शिक्षक भर्ती परीक्षा का पैटर्न ही बना गड़बड़ियों का मददगार, लिखित परीक्षा व परिणाम दोनों रहे बेहद चुनौतीपूर्ण, मूल्यांकन व परीक्षा एजेंसी की गलतियां पड़ रही भारी
शिक्षक भर्ती परीक्षा का पैटर्न ही बना गड़बड़ियों का मददगार, लिखित परीक्षा व परिणाम दोनों रहे बेहद चुनौतीपूर्ण, मूल्यांकन व परीक्षा एजेंसी की गलतियां पड़ रही भारी
इलाहाबाद : की लिखित परीक्षा की गड़बड़ियां बढ़ाने में इम्तिहान पैटर्न ने भी अहम भूमिका निभाई है। अफसरों ने इस तरह का खाका खींचा ताकि अभ्यर्थियों की लेखन शैली का पता चल सके। इसका मानवीय मूल्यांकन ही हो सकता था, इसके लिए पर्याप्त समय भी नहीं दिया गया। अब परत दर परत खामियां सामने आ रही हैं। यही वजह है कि अगली परीक्षा पुराने पैटर्न की जगह ओएमआर शीट पर कराने की लगभग सहमति बन चुकी है।
■ सब्जेक्टिव लिखित परीक्षा व परिणाम दोनों रहे बेहद चुनौतीपूर्ण
■ शिक्षकों का मूल्यांकन व परीक्षा एजेंसी की गलतियां पड़ रही भारी
बदलते दौर में कुछ अहम परीक्षाओं को छोड़कर अधिकांश ओएमआर शीट पर ही हो रहे हैं। इसमें परीक्षा कराने से लेकर उसका परिणाम जारी करने तक में समय कम और मूल्यांकन गुणवत्तापरक होता है। इसके उलट की पहली परीक्षा सब्जेक्टिव कराई गई। तर्क दिया गया कि कई चयनित शिक्षक सही से प्रार्थना पत्र तक नहीं लिख पाते हैं। इसमें उनकी लेखन शैली की जांच होगी, लिहाजा विशेष तरह का प्रश्नपत्र जिसका उत्तर एक शब्द से लेकर एक लाइन तक रहा हो बनाया गया। साथ ही उत्तर लिखने के लिए अलग से कॉपी भी मुहैया कराई गई। परीक्षा किसी तरह सकुशल निपटी तो उत्तर कुंजी पर कई सवाल उठे। उस समय करीब 33 प्रश्न ऐसे हो गए जिनके दस या उससे अधिक विकल्प सही माने गए। बाद में मूल्यांकन में पर्याप्त शिक्षक नहीं मिले। जैसे-तैसे हुए मूल्यांकन में शिक्षकों व परीक्षा एजेंसी ने जल्दबाजी में सैकड़ों अभ्यर्थियों का परिणाम उलट-पुलट दिया। वहीं मामले अब सामने आ रहे हैं। अब महकमा इस परीक्षा प्रणाली को बदलने पर सहमत हो गया है।
■ परीक्षा की सीबीआइ जांच की मांग: परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर अभ्यर्थियों का अनवरत धरना चल रहा है। उनका कहना है कि परीक्षा में व्यापक गड़बड़ियां हुईं हैं इसलिए भ्रष्टाचार की सीबीआइ से जांच कराई जाए। वजह यह है कि तमाम अभ्यर्थियों के अंक असली अंकों से बहुत कम हैं। बार कोडिंग में खामी से अंक दूसरे अभ्यर्थी को मिल गए हैं। जब 122 अंक पाने वाले को महज 22 अंक दिए गए तब उसके अंक किसी दूसरे को जरूर मिले होंगे। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने सीबीआइ जांच एक मात्र विकल्प है। यहां अनूप सिंह, विशाल प्रताप, अनिरुद्ध आदि मौजूद रहे।
■ विभागीय नहीं, न्यायिक अफसर करें जांच : आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उप्र के अध्यक्ष जितेंद्र शाही ने कहा है कि इस मामले की विभागीय अफसरों से जांच कराना उचित नहीं है। ये बहुत बड़ी धांधली है इसका पर्दाफाश न्यायिक जांच से ही संभव है। जिन अफसरों को जांच टीम में रखा गया है वे और सचिव परीक्षा नियामक समान पद पर हैं, तब वे जांच कैसे कर सकते हैं।
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