विलुप्त हो रहे देशज खेलों की पुस्तक तैयार, सीखेंगे नौनिहाल, परंपरागत पहचान वाले 20 खेलों से जुड़ी जानकारियां जुटाकर राज्य शिक्षा संस्थान ने देशज खेल नामक पुस्तक तैयार की

विलुप्त हो रहे देशज खेलों की पुस्तक तैयार, सीखेंगे नौनिहाल

परंपरागत पहचान वाले 20 खेलों से जुड़ी जानकारियां जुटाकर राज्य शिक्षा संस्थान ने देशज खेल नामक पुस्तक तैयार की


प्रयागराज। हरा समंदर गोपी चंदर, बोल मेरी मछली कितना पानी... कुछ याद आया आपको। यह ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों और बाग बगीचों में खेला जाने प्रचलित खेल घघ्घो रानी की पंक्तियां हैं।


नई पीढ़ी के बच्चे इस खेल से परिचित नहीं हैं। इस तरह के कई और खेल विलुप्त हो रहे हैं। प्रदेश की परंपरागत पहचान वाले ऐसे 20 खेलों से जुड़ी जानकारियां जुटाकर राज्य शिक्षा संस्थान ने देशज खेल नामक पुस्तक तैयार कर दी है। अगले कुछ महीनों में इसकी छपाई हो जाएगी तो इसे स्कूलों में भेज दिया जाएगा।


बदले दौर में नई पीढ़ी के बच्चे प्रदेश के परंपरागत खेलों को भूलते जा रहे हैं। परंपरागत खेल प्रदेश की पहचान हैं। लेकिन मोबाइल और इंटरनेट संस्कृति ने नई पीढ़ी को परंपरागत खेलों दूर कर दिया है। इससे बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है। इसलिए पिछले वर्ष स्कूली शिक्षा के तत्कालीन महानिदेशक विजय किरण आनंद ने देशज खेलों पर एक पुस्तक तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य शिक्षा संस्थान प्रयागराज को दी थी।


राज्य शिक्षा संस्थान के प्राचार्य नवल किशोर के निर्देशन में प्रदेश के अलग अलग जिलों के 13 शिक्षकों की टीम ने कई महीने की मशक्कत से देशज खेलों का विवरण जुटाया। सहायक उप शिक्षा निदेशक डॉ. दीप्ति मिश्रा ने बताया कि देशज खेल की सचित्र पुस्तक तैयार कर ली गई है। 
विलुप्त हो रहे देशज खेलों की पुस्तक तैयार, सीखेंगे नौनिहाल, परंपरागत पहचान वाले 20 खेलों से जुड़ी जानकारियां जुटाकर राज्य शिक्षा संस्थान ने देशज खेल नामक पुस्तक तैयार की Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 5:44 AM Rating: 5

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