विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति न्यूनतम 75 प्रतिशत अथवा अधिक का लक्ष्य हासिल किये जाने के संबंध में

तीन दिन तक स्कूल नहीं पहुंचेंगे बच्चे तो परिषदीय शिक्षक देंगे घर में दस्तक


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के बच्चे अगर लगातार तीन दिन तक स्कूल नहीं आते हैं तो शिक्षक बच्चे के घर जाएंगे और स्कूल न आने का कारण देखेंगे। बच्चों की 75 फीसदी तक हर माह हाजिरी का प्रयास किया जाएगा। 

बच्चों की औसत उपस्थिति 75 फीसदी निर्धारित है। जुलाई से इसे हर हाल में लागू किया जाएगा। इसमें छात्र यदि तीन दिन तक स्कूल नहीं आता है तो उसके घर विद्यालय के शिक्षक व बच्चों की टीम पहुंच जाएगी। जानकारी लेंगी कि वह स्कूल क्यों नहीं आ रहा है। इसके लिए हर विद्यालय में एक टोली का गठन भी होगा। शत-प्रतिशत उपस्थिति वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। परिषदीय स्कूलों में पठन पाठन व्यवस्था व बच्चों की उपस्थिति बेहतर करने के लिए सुविधाएं बढ़ाई गईं।

छुट्टियों में ऑनलाइन होगी पढ़ाई गर्मी की छुट्टियों में भी बच्चों की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए छुट्टियों में भी बच्चों को गृह कार्य व प्रोजेक्ट दिएक जाएंगे। आमतौर पर यह देखने में आया है कि बच्चे जब छुट्टी के बाद स्कूल आते हैं तो पढ़ाई की उनकी तारतम्यता बनाने में समय लगता है।


तीन दिन तक छात्र स्कूल नहीं आया तो घर पहुंचेगी बुलावा टोली, परिषदीय विद्यालयों में 75 फीसदी उपस्थिति और नामांकन बढ़ाने पर जोर

परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति 75 फीसदी निर्धारित की गई है। स्कूल शिक्षा महानिदेशक की ओर से बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र भेजकर इसे प्रभावी बनाने के निर्देश दिए गए हैं। जुलाई से इसे हर हाल - में लागू करने पर जोर दिया गया है। इसमें छात्र यदि तीन दिन तक स्कूल नहीं आता है तो उसके घर विद्यालय के शिक्षक व बच्चों की टीम पहुंच जाएगी। उसके बारे में जानकारी लेगी कि वह स्कूल क्यों नहीं आ रहा है। इसके लिए हर विद्यालय में एक टोली का गठन भी होगा। शत प्रतिशत उपस्थिति वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। परिषदीय स्कूलों में पठन-पाठन व्यवस्था व बच्चों की उपस्थिति बेहतर करने के लिए सुविधाएं बढ़ाई गईं। शत-प्रतिशत उपस्थिति वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने लिए पुरस्कार दिए जाने का प्रावधान किया गया।

इसके बावजूद विद्यालयों में उपस्थिति कम रह रही है। ऐसे में स्कूल शिक्षा महानिदेशक ने स्कूलों में 75 फीसदी उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। आदेश में स्पष्ट है कि पंजीकृत छात्र-छात्राएं यदि तीन दिन से ज्यादा अनुपस्थित रहते हैं तो उनके घर बुलावा टोली जाए, टोली में स्कूल के शिक्षक शामिल होंगे।

शिक्षक अभिभावक से मुलाकात कर बच्चे के स्कूल न आने का कारण जानेंगे। टोली के सदस्य अभिभावकों को जागरूक करते हुए बच्चों को रोज स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे। 


ग्रीष्मावकाश में 26 दिनों के लिए लर्निंग एट होम, बच्चों में पढ़ाई की निरंतरता बनाए रखने के लिए DGSE का निर्देश 

बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से इस बार गर्मियों की छुट्टी को लेकर एक अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। बच्चों में पढ़ाई की निरंतरता बनी रहे इसके लिए छुट्टी के दौरान भी अध्ययन कार्य कराया जायेगा। इसके लिए कुल 26 दिनों का शेड्यूल बनाया जा रहा है। जब छुट्टी के दौरान ऑनलाइन और ऑफलाइन बच्चों को पढ़ाई से जोड़ा जा सके।

महानिदेशक स्कूली शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से आदेश आया है कि गर्मी की छुट्टियों में भी पढ़ाई हो इसके लिए बच्चों को प्रेरित किया जाए।  आदेश में कहा गया है कि आमतौर पर यह देखने में आया है कि बच्चे जब छुट्टी के बाद स्कूल आते हैं तो पढ़ाई की उनकी तारतम्यता बनाने में समय लगता है। यही वजह है कि विभाग ने निर्णय लिया है कि गर्मी व जाड़े की छुट्टियों में घर में पढ़ाई को बढ़ावा दिया जाए। 

महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा है कि अभिभावकों को प्रेरित किया जाए कि ऑनलाइन शैक्षिक कंटेंट का प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि दीक्षा, खान एकेडमी, स्विफ्टचैट, एंबाइब पर उपलब्ध डिजिटल शैक्षणिक कंटेंट उपलब्ध है। इसके प्रयोग से छुट्टियों में आसानी से पठन-पाठन किया जा सकेगा। इसके लिए गृह कार्य के साथ प्रोजेक्ट भी दिए जाए।



सरकारी विद्यालयों में अब हर दिन 75 प्रतिशत से अधिक बच्चों की उपस्थिति का लक्ष्य हुआ जरूरी,  बेहतर कार्य करने वाले शिक्षकों को विभागीय स्तर पर किया जाएगा प्रोत्साहित 

गर्मी की छुट्टियों में घर पर पढ़ाई को देंगे बढ़ावा, बेसिक शिक्षा  विभाग बच्चों को पढ़ाई का प्रोजेक्ट भी देगा


लखनऊ। प्रदेश में स्कूली शिक्षा में चल रहे बदलाव के तहत अब बेसिक शिक्षा विभाग की तैयारी है कि गर्मी या जाड़े की छुट्टियों में भी बच्चे घर पर कुछ ना कुछ पढ़ाई करते रहें। इसके लिए छुट्टियों में भी बच्चों को गृह कार्य व प्रोजेक्ट दिए जाएंगे, ताकि उनका तारतम्य बना रहे।

आमतौर पर यह देखने में आया है कि बच्चे जब छुट्टी के बाद स्कूल आते हैं तो पढ़ाई की उनकी तारतम्यता बनाने में समय लगता है। यही वजह है कि विभाग ने निर्णय लिया है कि गर्मी व जाड़े की छुट्टियों में घर में पढ़ाई को बढ़ावा दिया जाए।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बताया कि अभिभावकों को प्रेरित किया जाएगा कि ऑनलाइन शैक्षिक कंटेंट का प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि दीक्षा, खान एकेडमी, स्विफ्टचैट, एंबाइब पर उपलब्ध डिजिटल शैक्षणिक कंटेंट उपलब्ध है। इसके प्रयोग से छुट्टियों में आसानी से पठन-पाठन किया जा सकेगा। बता दें कि परिषदीय विद्यालयों में 20 मई से जून तक गर्मी की छुट्टी होगी। 



परिषदीय विद्यालयों में 75 फीसदी होगी बच्चों की औसत उपस्थिति का लक्ष्य निर्धारित 

लखनऊ। प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति 75 फीसदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निदेशालय ने इस लक्ष्य को पाने के लिए कार्य योजना बनाई है। वहीं, यह भी कहा है कि छात्रों की अनुपस्थिति का एक कारण कुछ शिक्षकों का देर से आना या बिना सूचना के गैरहाजिर रहना भी हो सकता है। ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी।

पिछले दिनों बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्कूलों का भ्रमण किया था। इसमें बच्चों की उपस्थिति संतोषजनक नहीं मिली थी। विभाग ने कहा है कि बच्चों के अभिभावकों से मिलकर उन्हें डीबीटी आदि योजनाओं की जानकारी दें। शिक्षकों की शत- प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित कराएं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने निर्देश दिया है कि तीन दिन लगातार न आने वाले बच्चों के घर बुलावा टोली भेजी जाए। ऐसे बच्चों के स्कूल आने पर रेमेडियल कक्षाएं चलाई जाएं।

वहीं विकास खंड कार्यालय व बीएसए कार्यालय में जिले में सबसे ज्यादा व सबसे कम उपस्थिति वाले 10-10 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के नाम व बच्चों की उपस्थिति का प्रतिशत हर माह लिखा जाए। विभाग बेहतर उपस्थित बढ़ाने वाले व इसमें सुधार करने वाले शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों को मासिक बैठकों में सम्मानित करेगा।



विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति न्यूनतम 75 प्रतिशत अथवा अधिक का लक्ष्य हासिल किये जाने के संबंध में


बच्चों के पठन-पाठन में नियमित उपस्थिति के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए समस्त हितधारकों का यह कर्तव्य है कि प्रत्येक बच्चे की उपस्थिति का सतत अनुश्रवण एवं अभिभावकों से निरंतर सम्पर्क किया जाय , उपस्थिति बढ़ाने के लिये बहु-आयामी रणनीति अपनायी जाये , जिससे कि उनका शैक्षिक उपलब्धि स्तर भी बढ़ाया जा सके। 


 लक्ष्य : विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति न्यूनतम 75% अथवा अधिक का लक्ष्य हासिल किया जाना। 

उक्त के सम्बन्ध में दिशानिर्देश संलग्न कर प्रेषित किये जा रहे हैं , जिसके मुख्य बिन्दु निम्नवत हैं -

1️⃣  बच्चों की कम उपस्थिति के मूल कारणों का विश्लेषण करना।

2️⃣  शिक्षक एवं बच्चों के मध्य आत्मीय संबंध विकसित करना।

3️⃣  निरीक्षण एवं अनुश्रवण के माध्यम से उपस्थिति पर विशेष ध्यान दिया जाना 
 
4️⃣  आउटरीच प्रोग्राम के अंतर्गत अभिभावकों / ग्राम पंचायत के साथ बैठक , होम विजिट एवम शिक्षा चौपाल का आयोजन करना।

विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति न्यूनतम 75 प्रतिशत अथवा अधिक का लक्ष्य हासिल किये जाने के संबंध में Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 6:01 AM Rating: 5

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