प्रभारियों के सहारे शिक्षा विभाग के डायरेक्टर और सचिव जैसे पद, अहम पदों का दोहरा, तिहरा चार्ज भी संभाल रहे शिक्षाधिकारी

प्रभारियों के सहारे शिक्षा विभाग के डायरेक्टर और सचिव जैसे पद, अहम पदों का दोहरा, तिहरा चार्ज भी संभाल रहे शिक्षाधिकारी 


लखनऊ: शिक्षा विभाग में ज्यादातर प्रमुख पदों पर अफसर दोहरे चार्ज के बोझ तले दवे हैं। यहां तक कि डायरेक्टर और सचिव जैसे पद भी प्रभारी अफसरों के भरोसे हैं। शुरुआत से ही अधिकारियों के समय पर प्रमोशन न होने के कारण इन पदों पर स्थायी तैनाती नहीं हो पा रही है।

शिक्षा विभाग में डायरेक्टर के चार प्रमुख पद है। इनमें सिर्फ माध्यमिक में ही स्थायी निदेशक है। डॉ. महेंद्र देव यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वेसिक शिक्षा, साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) में प्रभारी निदेशक हैं। गणेश कुमार संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक है। वहीं, प्रभारी निदेशक एससीईआरटी हैं। भगवती सिंह भी संयुक्त शिक्षा निदेशक है। वही यूपी वोर्ड के सचिव और साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा के प्रभारी निदेशक का काम देख रहे हैं। 


प्रताप सिंह वघेल अपर निदेशक बेसिक शिक्षा है। वही वेसिक शिक्षा निदेशक का काम भी देख रहे हैं। वह स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशनल टेक्नॉलजी (एसआईईटी) के प्रभारी निदेशक का काम भी देख रहे हैं। वीके पांडेय संयुक्त शिक्षा निदेशक हैं।

वही अपर निदेशक समग्र शिक्षा अभियान और अपर निदेशक व्यावसायिक शिक्षा का कार्यभार संभाल रहे हैं। सुरेंद्र तिवारी अपर निदेशक माध्यमिक हैं। उनके पास ही सचिव वेसिक शिक्षा परिषद का कार्यभार है। अनिल भूषण चतुर्वेदी अपर निदेशक है। उनके पास तिहरा कार्यभार है। वह सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी के साथ ही इंस्टिट्यूट ऑफ अडवांस स्टडीज इन एजुकेशन (आईएएसई) के प्राचार्य और राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान के निदेशक काम भी देख रहे हैं।


क्यों आई ये नौबत ? 

दरअसल, निदेशक के लिए जरूरी है कि अपर शिक्षा निदेशक बनने के लिए जरूरी है कि संयुक्त शिक्षा निदेशक पद पर तीन साल का अनुभव हो। इसी तरह निदेशक के पद का पांच साल का अनुभव हो। दिक्कत यह है कि अभी जो संयुक्त शिक्षा निदेशक और अपर शिक्षा निदेशक के पद पर हैं। उनका पांच साल और तीन साल का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में वे निदेशक के लिए अर्ह नहीं हैं।

 इसकी वजह यह कि निचले स्तर पर समय से प्रमोशन नहीं हुए। काफी लेटलतीफ प्रमोशन होने के कारण अब जो अधिकारी अपर निदेशक और संयुक्त निदेशक के पद पर पहुंचे हैं, वे निदेशक की अर्हता नहीं रखते। लेटलतीफी का फायदा उठाकर कई जूनियर को निदेशक और अपर निदेशक का चार्ज दे दिया जाता है। अपनी पहुंच से जूनियर अधिकारी ये काम प्रभारी के तौर पर देखते रहते हैं।
प्रभारियों के सहारे शिक्षा विभाग के डायरेक्टर और सचिव जैसे पद, अहम पदों का दोहरा, तिहरा चार्ज भी संभाल रहे शिक्षाधिकारी Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 6:23 AM Rating: 5

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