प्रदेश में एजुकेशन टिब्यूनल जल्द : ताकि सीधे हाईकोर्ट में न जाएं शिक्षा महकमों से जुड़े मुकदमे
लखनऊ। हाई कोर्ट
में लंबित मुकदमों के बोझ तले हांफ रहे शिक्षा से जुड़े महकमों के लिए यह
राहत भरी खबर है। वहीं अपने सेवा संबंधी मामलों को लेकर वर्षों तक हाई
कोर्ट के चक्कर काटने वाले सरकारी और सहायताप्राप्त शिक्षण संस्थाओं के
शिक्षकों और शिक्षणोत्तर कर्मचारियों के लिए भी यह तसल्लीबख्श खबर है।
शिक्षा विभाग के सेवा संबंधी मामलों को सीधे हाई कोर्ट में जाने से रोकने
और उनकी सुनवाई के लिए राज्य सरकार प्रदेश में स्टेट एजुकेशन टिब्यूनल गठित
करेगी।
बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभागों के तकरीबन 18700 मुकदमे
हाई कोर्ट में लंबित हैं। इनमें सबसे ज्यादा लगभग 10000 मामले माध्यमिक
शिक्षा विभाग के हैं। बेसिक शिक्षा जहां तकरीबन सात हजार वहीं उच्च शिक्षा
विभाग हाई कोर्ट में 1700 मुकदमे लड़ रहा है। इनमें से ज्यादातर मुकदमे
शिक्षकों और शिक्षणोत्तर कर्मचारियों के सेवा संबंधी हैं। अधिकतर मुकदमे
पदोन्नति, वेतन व वेतन वृद्धि रुकने, निलंबन होने, नौकरी में रखे जाने या
निकाले जाने संबंधी हैं। सहायताप्राप्त विद्यालयों में प्रबंध समितियों के
विवाद, स्कूलों को अनुदान सूची में शामिल करने की मांग को लेकर भी सैकड़ों
मुकदमे चल रहे हैं। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि
सिर्फ हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में ही रोजाना बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े
लगभग 50 मुकदमों की सुनवाई होती है। सेवा संबंधी कुछ लंबित मामले तो लगभग
तीन दशक पुराने हो चुके हैं। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बताया कि सेवा संबंधी
ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए शिक्षकों और शिक्षणोत्तर कर्मचारियों के पास
कोई वैकल्पिक फोरम उपलब्ध नहीं है। इसलिए वे सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा
खटखटाते हैं। ऐसे मामलों की सुनवाई करने के लिए केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण
की तर्ज पर सूबे में स्टेट एजुकेशन टिब्यूनल गठित करने का शासन स्तर पर
निर्णय हुआ है।
प्रदेश में एजुकेशन टिब्यूनल जल्द : ताकि सीधे हाईकोर्ट में न जाएं शिक्षा महकमों से जुड़े मुकदमे
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
6:18 AM
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