शिक्षक भर्ती प्रक्रिया : जहाँ से चले फिर वहीं पहुँचे


  • ढाई साल से शिक्षक बनने की राह देख रहे टीईटी पास बीएड डिग्रीधारी
  • सरकार को अब 12 हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का करना है पालन
  • विज्ञान और गणित शिक्षकों की भर्ती में भी पेंच
 
लखनऊ (ब्यूरो)। प्राइमरी स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में राज्य सरकार जहां से चली थी, फिर वहीं पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि राज्य सरकार को शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट के आधार पर ही करनी होगी। इसके लिए 12 हफ्ते का समय भी मुकर्रर कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दो साल से शिक्षक बनने की राह देखने वालों को अब उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। उन्हें लग रहा है कि शिक्षक बनने का उनका सपना अब शायद पूरा हो जाए। हालांकि, सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार सिर्फ इतना ही कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के बाद ही इस संबंध में कुछ स्पष्ट कह सकेंगे।
 
उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो चुका है। इसके तहत 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। गुणवत्तापरक शिक्षा देने के लिए शिक्षक और छात्र अनुपात में भी बदलाव कर दिया गया है। प्राइमरी स्कूलों में 30 छात्रों पर एक शिक्षक और उच्च प्राइमरी में 35 पर एक शिक्षक रखने की अनिवार्यता है। प्रदेश में 2,91,906 शिक्षकों की कमी है। इनमें प्राइमरी स्कूलों में 2,36,398 तथा उच्च प्राइमरी में 55,508 शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए सितंबर 2011 में 72,825 शिक्षकों की भर्ती का निर्णय किया गया। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की शर्तों के मुताबिक टीईटी पास बीएड वालों को 1 जनवरी 2012 तक प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने का मौका दिया गया।
तत्कालीन माया सरकार ने नवंबर 2011 में टीईटी मेरिट के आधार पर शिक्षकों की भर्ती का निर्णय करते हुए 30 नवंबर को विज्ञापन निकाला। करीब 63 लाख टीईटी पास बीएड वालों ने आवेदन किए। यह प्रक्रिया पूरी हो पाती, इस बीच 24 दिसंबर 2012 को विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। इसके चलते भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई और इसी बीच टीईटी में गड़बड़ी के आरोप में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन गिरफ्तार भी कर लिए गए। 
 
विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सत्ता बदल गई और अखिलेश सरकार ने टीईटी मेरिट के स्थान पर शैक्षिक मेरिट से शिक्षकों की भर्ती करने का निर्णय करते हुए एनसीटीई से 31 मार्च 2014 तक प्रकिया पूरी करने का समय भी ले लिया, पर मामला हाईकोर्ट में जाकर फंस गया। हाईकोर्ट ने 4 फरवरी 2013 को शिक्षक चयन के लिए शुरू हुई काउंसलिंग पर रोक लगा दी और नौ माह बाद फैसला दिया कि शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट पर ही की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी अब इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। इससे साफ हो गया है कि शिक्षकों की भर्ती ढाई साल पहले जिस प्रक्रिया के साथ शुरू हुई थी, उसी के आधार पर पूरी की जाएगी।
 
उच्च प्राइमरी स्कूलों में विज्ञान व गणित के 29,334 शिक्षकों की भर्ती में भी पेंच फंस सकता है। सरकार ने इन शिक्षकों की भर्ती भी शैक्षिक मेरिट के आधार पर करने का निर्णय किया था। इसके आधार पर विज्ञापन निकालते हुए आवेदन भी लिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली के 15वें संशोधन को रद्द कर दिया है। इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग को इन शिक्षकों की भर्ती के लिए नियमावली में संशोधन की जरूरत पड़ सकती है।

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 31 मई 2013 के अनिरस्त कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम ओदश में  जारी रखा है। बता दें कि सपा सरकार ने 31 अगस्त 2012 में जारी किए गए शासनादेश में टीईटी को मात्र अर्हता माना था और चयन का आधार शैक्षणिक गुणांक कर दिया गया था। इसी शासनादेश को निरस्त करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गत वर्ष 31 मई को सहायक शिक्षकों का चयन टीईटी की मेरिट के आधार पर किए जाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने बसपा सरकार में 30 नवंबर, 2011 को जारी हुए भर्ती विज्ञापन को सही ठहराया।





खबर साभार : अमर उजाला

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शिक्षक भर्ती प्रक्रिया : जहाँ से चले फिर वहीं पहुँचे Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:05 AM Rating: 5

2 comments:

Vinay said...

कहीं इसमें कोई चुनावी पेंच तो नहीं

Unknown said...

isme jatiwad ka pench hai ..................bhai

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