डीपीएड और सीटीई कोर्स फिर शुरू करने की तैयारी
- एससीईआरटी ने शासन को भेजा प्रस्ताव
- परिषदीय स्कूलों में शिक्षक रखने की योग्यता है बीटीसी व सीटीई
- डीपीएड करने वालों को सूबे में 2004 में किया गया था नियुक्ति
- सीटीई करने वालों को 2005 में प्राथमिक स्कूलों में पर किया गया था नियुक्ति
लखनऊ।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) से जुड़े
संस्थानों में एक बार फिर से डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन (डीपीएड) व
सर्टिफिकेट ऑफ टीचिंग एजुकेशन (सीटीई) कोर्स शुरू करने की तैयारी है।
एससीईआरटी ने शासन को प्रस्ताव भेजा है। इसमें कहा गया है कि बेसिक शिक्षा
विभाग इन दोनों कोर्सों को चलाने के लिए संस्थाओं को हर साल बजट मुहैया करा
रहा है। इसलिए इन कोर्सों को फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाए। शासन
स्तर पर इस पर विमर्श शुरू हो गया है और शीघ्र ही निर्णय लेने की तैयारी
है।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में
शिक्षक रखने की योग्यता बीटीसी व सीटीई है। राज्य सरकार समय-समय पर डीपीएड
करने वालों को भी शारीरिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति करती रही है। डीपीएड
करने वालों को उत्तर प्रदेश में आखिरी बार 2004 में शिक्षक के पद पर रखा
गया। इसके बाद से डीपीएड वालों को प्राथमिक स्कूलों में नौकरी नहीं मिली
है। इसी तरह सीटीई करने वालों को भी आखिरी बार 2005 में प्राथमिक स्कूलों
में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति दी गई।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की कमी को पूरा करने के
लिए तीन सरकारी व दो अनुदानित कॉलेजों में डीपीएड कोर्स शुरू करने की इजाजत
दे दी गई थी। इसके लिए प्रत्येक वर्ष 2 करोड़, 5 लाख, 42 हजार रुपये
सरकारी खजाने से खर्च किए जा रहे हैं। प्रत्येक डीपीएड कॉलेजों में न्यूनतम
60 सीटें हैं। इस हिसाब से इन पांचों कॉलेजों में डीपीएड की 300 सीटें
हैं।
इसी तरह प्रदेश के तीन जिलों आगरा,
लखनऊ और इलाहाबाद में सीटीई कॉलेज हैं। प्रत्येक सीटीई कॉलेज में 50-50
सीटें हैं। राज्य सरकार इन तीनों कॉलेजों पर सालाना 1 करोड़, 99 लाख, 16
हजार रुपये खर्च कर रही है। सीटीई कॉलेजों में एडमिशन न दिए जाने की वजह से
पिछले कई सालों से कोर्स तक शुरू नहीं किया जा सका है। इसलिए एससीईआरटी
चाहता है कि फिर से कोर्स शुरू कराए जाएं।
खबर साभार : अमर उजाला
डीपीएड और सीटीई कोर्स फिर शुरू करने की तैयारी
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:59 AM
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