बीटीसी पाठ्यक्रम में बदलाव : प्रशिक्षु शिक्षक पढ़ेंगे शांति का पाठ
- अब शिक्षक पढ़ेंगे शांति का पाठ
- शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम में बदलाव
- कला, संगीत, शारीरिक शिक्षा अब वैकल्पिक विषय बने
‘शिक्षक समाज का निर्माता है’। यह उक्ति प्रदेश सरकार अब साकार करने की तैयारी में है। सांप्रदायिक तनाव व दंगों से आजिज प्रदेश सरकार समाज में समरसता फैलाने का जिम्मा अब शिक्षकों के कंधे पर डाल रही है। इसके लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाठ्यक्रम में परिवर्तन कर दिया गया है। अब इसमें शांति का पाठ भी शामिल है।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में बीटीसी के पाठ्यक्रम में तीन नए पाठ जोड़े गए हैं, इसमें शांति शिक्षण व सतत विकास, समावेशी शिक्षा और आरंभिक स्तर पर भाषा एवं गणित के पठन लेखन क्षमता का विकास शामिल हैं। शांति शिक्षा की पढ़ाई सामान्य विषय के तहत होगी। इसमें प्रशिक्षुओं को सामाजिक ताने-बाने की जानकारी देने के साथ ही सभी धर्मो से प्यार करने की शिक्षा दी जाएगी, ताकि वह बच्चों को भी धर्म, वर्ग, भाषा, जाति आदि के आधार पर न बंटने और समाज में प्रेम-भाव पूर्वक रहने के लिए प्रेरित कर सकें। प्रदेश सरकार ने बीटीसी प्रशिक्षुओं के पाठ्यक्रम में यह बदलाव एक दशक बाद किया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निर्देशन में राज्य शैक्षिक संस्थान इलाहाबाद ने इस बदलाव को लागू कर दिया है।
इस वर्ष प्रारंभ हुई 2013 बैच से ही यह नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। साथ ही कई और परिवर्तन भी किए गए हैं। बीटीसी में अब आठ मॉड्यूल पढ़ाए जाएंगे। अब तक कला, संगीत व शारीरिक शिक्षा जैसे विषय अनिवार्य होते थे। नए पाठ्यक्रम में इनको वैकल्पिक बना दिया गया है। ऐसे ही सामाजिक अध्ययन विषय में अर्थशास्त्र का कुछ भाग जोड़ा गया है। ‘बीटीसी के पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव हुआ है। फिलहाल इसे प्रथम सेमेस्टर से लागू किया गया है, आगे के सेमेस्टर के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार हो रहा है। शांति का पाठ से समाज में असर दिखेगा’
- आरएन विश्वकर्मा, प्रभारी,
राज्य शिक्षा संस्थान प्रारम्भिक शिक्षा विभाग इलाहाबाद
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में बीटीसी के पाठ्यक्रम में तीन नए पाठ जोड़े गए हैं, इसमें शांति शिक्षण व सतत विकास, समावेशी शिक्षा और आरंभिक स्तर पर भाषा एवं गणित के पठन लेखन क्षमता का विकास शामिल हैं। शांति शिक्षा की पढ़ाई सामान्य विषय के तहत होगी। इसमें प्रशिक्षुओं को सामाजिक ताने-बाने की जानकारी देने के साथ ही सभी धर्मो से प्यार करने की शिक्षा दी जाएगी, ताकि वह बच्चों को भी धर्म, वर्ग, भाषा, जाति आदि के आधार पर न बंटने और समाज में प्रेम-भाव पूर्वक रहने के लिए प्रेरित कर सकें। प्रदेश सरकार ने बीटीसी प्रशिक्षुओं के पाठ्यक्रम में यह बदलाव एक दशक बाद किया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निर्देशन में राज्य शैक्षिक संस्थान इलाहाबाद ने इस बदलाव को लागू कर दिया है।
इस वर्ष प्रारंभ हुई 2013 बैच से ही यह नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया गया है। साथ ही कई और परिवर्तन भी किए गए हैं। बीटीसी में अब आठ मॉड्यूल पढ़ाए जाएंगे। अब तक कला, संगीत व शारीरिक शिक्षा जैसे विषय अनिवार्य होते थे। नए पाठ्यक्रम में इनको वैकल्पिक बना दिया गया है। ऐसे ही सामाजिक अध्ययन विषय में अर्थशास्त्र का कुछ भाग जोड़ा गया है। ‘बीटीसी के पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव हुआ है। फिलहाल इसे प्रथम सेमेस्टर से लागू किया गया है, आगे के सेमेस्टर के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार हो रहा है। शांति का पाठ से समाज में असर दिखेगा’
- आरएन विश्वकर्मा, प्रभारी,
राज्य शिक्षा संस्थान प्रारम्भिक शिक्षा विभाग इलाहाबाद
खबर साभार : दैनिक जागरण
बीटीसी पाठ्यक्रम में बदलाव : प्रशिक्षु शिक्षक पढ़ेंगे शांति का पाठ
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
5:37 AM
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