बेसिक शिक्षा मंत्री का बेसिक शिक्षकों को खुला पत्र : गुणवत्ता में सुधार की अपील, दिया समस्याएं दूर करने का भरोसा और दिखाया आईना
- बेसिक शिक्षा मंत्री का शिक्षकों को खुला पत्र
- गुणवत्ता में सुधार की अपील
- समस्याएं दूर करने का भरोसा
- दिखाया आईना
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में खराब शिक्षा की गुणवत्ता को बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने खुलेआम फिर स्वीकारा है। ये ताजा कबूलनामा मंगलवार का है। मंत्री ने हर जिले के शिक्षकों को खुला पत्र भेजकर पढ़ाई में सुधार की अपील की तो आईना दिखाने से भी नहीं चूके। कहा है कि आज भी सरकारी स्कूलों में आठवीं के बच्चे पांच का पहाड़ा नहीं सुना पाते। ये सूरत बदलनी है। शिक्षकों की कमी से चुनौतियां जरूर रही हैं, मगर अब संख्याबल भरपूर है। लिहाजा, नए शैक्षिक सत्र में नई ऊर्जा और उमंग से काम करें।
बेसिक शिक्षा विभाग ने पहली बार सीबीएसई के साथ एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र की शुरुआत की है। इसे लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने 28 अप्रैल को सभी शिक्षकों को खुला पत्र लिखा है। कहा है कि सूबे में अब एक लाख भर्तियों के बाद शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात मानक के अनुरूप होने जा रहा है। पदोन्नति के नियम भी शिथिल किए जा रहे हैं। तल्ख हकीकत बयां करते हुए कहा है कि कक्षा पांच से आठवीं तक के बच्चे पांच का पहाड़ा भी नहीं सुना पाते। हिन्दी के आसान वाक्य भी नहीं पढ़ पाते। हमारी विफलता की चर्चा मीडिया में होती है। शिक्षक समय से स्कूल नहीं पहुंचते।
पठन-पाठन में रुचि न होने के कारण छात्र संख्या घटती जा रही है। शिक्षकों को मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का नाम न पता होना असहज कर जाता है। सवाल दागा है कि क्या शिक्षकों को ऐसे में अच्छे की अनुभूति होती होगी। मंत्री ने कहा कि विभाग किताबें, यूनिफार्म, मिड-डे मील, योग्य शिक्षक दे रहा है तो लोग क्यों निजी स्कूलों में मोटी रकम खर्च करने को उत्सुक हैं। यह चिंता का समाधान शिक्षकों को ही करना है। मंथन करें, ताकि गिरती साख को बचाया जा सके।
बेसिक शिक्षा विभाग ने पहली बार सीबीएसई के साथ एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र की शुरुआत की है। इसे लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने 28 अप्रैल को सभी शिक्षकों को खुला पत्र लिखा है। कहा है कि सूबे में अब एक लाख भर्तियों के बाद शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात मानक के अनुरूप होने जा रहा है। पदोन्नति के नियम भी शिथिल किए जा रहे हैं। तल्ख हकीकत बयां करते हुए कहा है कि कक्षा पांच से आठवीं तक के बच्चे पांच का पहाड़ा भी नहीं सुना पाते। हिन्दी के आसान वाक्य भी नहीं पढ़ पाते। हमारी विफलता की चर्चा मीडिया में होती है। शिक्षक समय से स्कूल नहीं पहुंचते।
पठन-पाठन में रुचि न होने के कारण छात्र संख्या घटती जा रही है। शिक्षकों को मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री का नाम न पता होना असहज कर जाता है। सवाल दागा है कि क्या शिक्षकों को ऐसे में अच्छे की अनुभूति होती होगी। मंत्री ने कहा कि विभाग किताबें, यूनिफार्म, मिड-डे मील, योग्य शिक्षक दे रहा है तो लोग क्यों निजी स्कूलों में मोटी रकम खर्च करने को उत्सुक हैं। यह चिंता का समाधान शिक्षकों को ही करना है। मंथन करें, ताकि गिरती साख को बचाया जा सके।
साभार : दैनिक जागरण |
- समय पर स्कूल आएं और अच्छी शिक्षा दें
- बेसिक शिक्षा की बदहाली पर मंत्री राम गोविंद चौधरी नाखुश
- शिक्षकों को पत्र भेज कर सुधरने की दी हिदायत
लखनऊ (ब्यूरो)। बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी सूबे में प्राथमिक विद्यालयों की दुर्दशा पर खासे नाराज हैं। उन्होंने शिक्षकों को सुधरने की हिदायत देते हुए कहा कि समय पर स्कूल आएं और बच्चों को अच्छी शिक्षा दें। इस बाबत उन्होंने सभी प्रधानाध्यापकों व शिक्षकों को पत्र भी लिखा है।
अपने पत्र में मंत्री ने विद्यालयों की खराब गुणवत्ता पर नाखुशी जताई है। उन्होंने कहा, परिषदीय स्कूलों के कक्षा पांच से आठ तक के छात्रों की हालत यह है कि उन्हें दो-तीन के पहाड़े तक नहीं आते। बच्चे हिन्दी के सरल वाक्यों को भी ठीक से नहीं पढ़ पाते। यह हमारे लिए चिंतनीय है। समाचार पत्रों व चैनलों में इसे बड़े ही हास्यास्पद ढंग से लिखा व दिखाया जाता है। शिक्षकों का हाल यह है कि वे समय पर विद्यालय नहीं पहुंच रहे हैं। पठन-पाठन में भी रुचि नहीं दिखा रहे। यही वजह है कि परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या में भी कमी आई है। हाल ही में कुछ चैनलों ने स्टिंग ऑपरेशन किया। उसमें भी शिक्षकों की कलई खुल गई। कुछ शिक्षक तो प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री का नाम तक नहीं बता पाए। यह देखकर मैं खुद असहज हो गया।
बेसिक शिक्षा के स्कूलों में शिक्षा, किताबें व यूनिफार्म सभी मुफ्त है। दोपहर का भोजन भी मिलता है। विद्यालयों में पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं इसके बावजूद लोग दो से तीन कमरों के स्कूलों में महंगी फीस देकर अपने बच्चों को पढ़ने भेज रहे हैं। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को अच्छा वेतन मिल रहा है। कई अन्य लाभ भी दिए जा रहे हैं। फिर भी वे अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। मंत्री ने अंत में लिखा कि इस पत्र को आप मेरा निवेदन मानिए या आदेश लेकिन यह सुनिश्चित करें कि आप समय पर विद्यालय जाएं। बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान कर उन्हें एक श्रेष्ठ नागरिक बनाने में योगदान दें। यह हम सबका दायित्व भी है।
खबर साभार : अमर उजाला
बच्चे प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाते.. शिक्षक भी मुख्यमंत्री/ प्रधानमंत्री का नाम नहीं बता पाते.. बड़ा हास्यास्पद दिखती है बुनियादी शिक्षा..। ये सब देख कर मैं बहुत असहज होता हूं.. आपको क्या अनुभूति हुई? ये सवाल बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने सरकारी प्राइमरी स्कूलों के अध्यापकों को लिखे एक पत्र में पूछा है। उन्होंने इसमें साफ कर दिया है कि अध्यापक अपने काम में सफल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा है कि जनप्रतिनिधियों की सूचनाओं और मीडिया की रिपोर्टो में जब ये सब आता है तो मैं असहज हो जाता हूं। बुनियादी शिक्षा में हमारी विफलता की चर्चा बड़े हास्यास्पद ढंग से होती है। विद्यार्थी 2-3 के पहाड़े नहीं सुना पाते, हिन्दी के पाठ नहीं पढ़ पाते.. मेरे लिए ये सब बहुत दुखद है।
श्री चौधरी ने दो पन्ने के इस पत्र में कई बार अपनी पीड़ा व्यक्त की है कि गांव के गरीब अभिभावक भी यदि सरकारी स्कूलों में विश्वास नहीं करता तो इसके लिए शिक्षक ही जिम्मेदार है। कई बार उठा चुके हैं सवाल:बेसिक शिक्षा मंत्री इससे पहले भी कई बार अपने विभाग के अधिकारियों व अध्यापकों की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न् लगाते रहे हैं। बीते दिनों उन्होंने कुछ बीएसए के भ्रष्ट होने की बात स्वीकारी थी। पिछले सत्र के दौरान भी उन्होंने अध्यापकों को पत्र लिखा था कि अच्छा वेतन, सारी सुविधाएं व सारी मांगों को मानने के बावजूद शिक्षक क्यों नहीं पढ़ाते?
श्री चौधरी ने दो पन्ने के इस पत्र में कई बार अपनी पीड़ा व्यक्त की है कि गांव के गरीब अभिभावक भी यदि सरकारी स्कूलों में विश्वास नहीं करता तो इसके लिए शिक्षक ही जिम्मेदार है। कई बार उठा चुके हैं सवाल:बेसिक शिक्षा मंत्री इससे पहले भी कई बार अपने विभाग के अधिकारियों व अध्यापकों की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न् लगाते रहे हैं। बीते दिनों उन्होंने कुछ बीएसए के भ्रष्ट होने की बात स्वीकारी थी। पिछले सत्र के दौरान भी उन्होंने अध्यापकों को पत्र लिखा था कि अच्छा वेतन, सारी सुविधाएं व सारी मांगों को मानने के बावजूद शिक्षक क्यों नहीं पढ़ाते?
साभार : हिंदुस्तान |
बेसिक शिक्षा मंत्री का बेसिक शिक्षकों को खुला पत्र : गुणवत्ता में सुधार की अपील, दिया समस्याएं दूर करने का भरोसा और दिखाया आईना
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:12 AM
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