बीटीसी-2014 : विकल्प नहीं बनेगा प्रवेश में बाधा, प्रस्ताव में जिलों के विकल्प को समाप्त करने की सिफारिश
इलाहाबाद : बीटीसी- 2014 के दाखिले में इस बार अभ्यर्थियों के लिए
दस जिलों का विकल्प बाधा नहीं बनेगा। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने
शासन को भेजे गए प्रस्ताव में जिलों के विकल्प को समाप्त करने की सिफारिश
की है। इससे सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि अभ्यर्थियों को दाखिले के लिए महीनों
इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
अब तक अभ्यर्थियों को ऑनलाइन आवेदन के दौरान जिलों का विकल्प भरने के लिए काफी जूझना पड़ता था। अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सैकड़ों किमी दूर से आकर परीक्षा नियामक कार्यालय की परिक्रमा करनी पड़ती थी। परीक्षा नियामक ने नये प्रस्ताव में डायट प्राचार्यो को जिले से संबंधित कॉलेजों में दाखिले के लिए सभी अधिकार दिए जाने की सिफारिश की है। ऐसे में नामांकन संबंधित सभी समस्याओं का समाधान भी अब जिले में होगा।
परीक्षा नियामक की कोशिश है कि शासन से मंजूरी मिलते ही जून में विज्ञापन जारी कर 2014-15 की प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। परीक्षा नियामक ने यह पहल दो वर्ष विलंब से चल रही बीटीसी-2013-14 की प्रवेश प्रक्रिया से सबक लेते हुए की है। बीटीसी-2013 के करीब 2400 सीटों पर अब तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। 11 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी नामांकन की बांट जोह रहे हैं। परीक्षा नियामक अभी भी तीसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने के लिए जूझ रहा है। इससे पहले परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने बीटीसी 2014-15 में कॉलेज प्रबंधकों को विज्ञापन निकाल कर नामांकन के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था लेकिन सहमति नहीं बन पाई थी। शासन चाहता है कि केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत दाखिले की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए। बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव एचएल गुप्ता ने पूरे एक साल पीछे चल रही बीटीसी-2014 की प्रवेश प्रक्रिया को लेकर चिंता भी जताई थी। उधर, बीटीसी कॉलेजों को अभ्यर्थियों का आवंटन पुरानी पद्धति के आधार पर होगा या नई, यह अभी तय नहीं हो पाया है। बीटीसी-2013 में निजी कॉलेजों को अभ्यर्थियों का आवंटन परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय कर रहा है।
अब तक अभ्यर्थियों को ऑनलाइन आवेदन के दौरान जिलों का विकल्प भरने के लिए काफी जूझना पड़ता था। अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सैकड़ों किमी दूर से आकर परीक्षा नियामक कार्यालय की परिक्रमा करनी पड़ती थी। परीक्षा नियामक ने नये प्रस्ताव में डायट प्राचार्यो को जिले से संबंधित कॉलेजों में दाखिले के लिए सभी अधिकार दिए जाने की सिफारिश की है। ऐसे में नामांकन संबंधित सभी समस्याओं का समाधान भी अब जिले में होगा।
परीक्षा नियामक की कोशिश है कि शासन से मंजूरी मिलते ही जून में विज्ञापन जारी कर 2014-15 की प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी जाए। परीक्षा नियामक ने यह पहल दो वर्ष विलंब से चल रही बीटीसी-2013-14 की प्रवेश प्रक्रिया से सबक लेते हुए की है। बीटीसी-2013 के करीब 2400 सीटों पर अब तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। 11 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी नामांकन की बांट जोह रहे हैं। परीक्षा नियामक अभी भी तीसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाने के लिए जूझ रहा है। इससे पहले परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने बीटीसी 2014-15 में कॉलेज प्रबंधकों को विज्ञापन निकाल कर नामांकन के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव शासन को भेजा था लेकिन सहमति नहीं बन पाई थी। शासन चाहता है कि केंद्रीयकृत व्यवस्था के तहत दाखिले की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए। बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव एचएल गुप्ता ने पूरे एक साल पीछे चल रही बीटीसी-2014 की प्रवेश प्रक्रिया को लेकर चिंता भी जताई थी। उधर, बीटीसी कॉलेजों को अभ्यर्थियों का आवंटन पुरानी पद्धति के आधार पर होगा या नई, यह अभी तय नहीं हो पाया है। बीटीसी-2013 में निजी कॉलेजों को अभ्यर्थियों का आवंटन परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय कर रहा है।
बीटीसी-2014 : विकल्प नहीं बनेगा प्रवेश में बाधा, प्रस्ताव में जिलों के विकल्प को समाप्त करने की सिफारिश
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
11:46 AM
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