विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों को दो माह के भीतर बकाया प्रशिक्षण अवधि का मानदेय नियुक्ति की तिथि तक देने का हाईकोर्ट का निर्देश (आदेश की प्रति भी देखें)
- विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों को मानदेय देने का निर्देश
हाईकोर्ट ने विशिष्ट बीटीसी 2004 के अभ्यर्थियों को उनका बकाया प्रशिक्षण अवधि का मानदेय नियुक्ति की तिथि तक देने का निर्देश दिया है। पूर्व में जारी इस आदेश का पालन नहीं होने पर अभ्यर्थियों ने अवमानना याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति आरडी खरे ने प्रदेश सरकार से कहा है कि आदेश की प्राप्ति के दो माह के भीतर इसका पालन किया जाए, अन्यथा जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना की कार्यवाही की जाएगी।
विशिष्टि बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के संतोष तिवारी का कहना है कि 2004 में चयनित 46189 शिक्षकों का प्रशिक्षण अगस्त 2004 में प्रारंभ हुआ और 17 जुलाई 2005 को परीक्षा कराकर सभी को नियुक्तियां दे दी गई। अभ्यर्थियों को प्रतिमाह 2500 रुपये मानदेय देने की बात कही गई थी, मगर सरकार ने अप्रैल 2005 तक का ही मानदेय दिया। करीब आठ माह के मानदेय का भुगतान नहीं किया गया था। एसोसिएशन ने इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिस पर हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों को नियुक्ति की तिथि तक मानदेय देने का निर्देश दिया था। इसके विरुद्ध प्रदेश सरकार ने विशेष अपील दाखिल की थी जो खारिज हो गई। इधर एसोसिएशन की अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने दो माह में आदेश के पालन का निर्देश दिया है।
अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने दो माह की मोहलत दी
साभार : अमर उजाला |
हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव हीरा लाल गुप्ता को तीन सप्ताह के भीतर विशिष्ट बीटीसी चयनित शिक्षकों को 2500 रुपये प्रतिमाह भत्ता देने के आदेश का पालन के निर्देश दिए हैं। कहा है कि इसके बावजूद यदि आदेश का पालन नहीं किया जाता है तो याची दोबारा हाई कोर्ट आ सकते हैं। न्यायमूर्ति आरडी खरे ने विशिष्ट बीटीसी शिक्षा वेलफेयर एसोसिएशन और अन्य की अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने आठ दिसंबर 2014 के आदेश में कहा था कि याची गण सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति से पूर्व समय का प्रशिक्षण भत्ता पाने के हकदार हैं। याचियों का मई 2005 से दिसंबर 05 तक भुगतान बाकी है। कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद सचिव ने आदेश का पालन नहीं किया है। उधर, एक अन्य मामले में हाई कोर्ट ने सचिव को तलब किया है।
साभार : दैनिक जागरण |
आदेश की प्रति !
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
Court No. - 5
Case :- CONTEMPT APPLICATION (CIVIL) No. - 2584 of 2015
Applicant :- Vishstha B.T.C. Shikshak Welfare Association And 2 Ors.
Opposite Party :- Sri Heera Lal Gupta, Secretary Basic Edu., U.P. Lko. & Anr.
Counsel for Applicant :- Alok Kumar Gupta
Hon'ble Rajesh Dayal Khare,J.
Heard learned counsel for the applicants.
The grievance of the applicants is that the opposite parties-contemnors have� intentionally and deliberately flouted the order of the Writ Court dated 08.12.2014 passed in Writ-A-No. 49574 of 2010, copy of which order has been annexed as annexure-6 to the affidavit accompanying this contempt application, whereby� a direction for payment of stipend was made in favour of the applicants till they were appointed as Assistant Teacher in Primary Schools.
Court No. - 5
Case :- CONTEMPT APPLICATION (CIVIL) No. - 2584 of 2015
Applicant :- Vishstha B.T.C. Shikshak Welfare Association And 2 Ors.
Opposite Party :- Sri Heera Lal Gupta, Secretary Basic Edu., U.P. Lko. & Anr.
Counsel for Applicant :- Alok Kumar Gupta
Hon'ble Rajesh Dayal Khare,J.
Heard learned counsel for the applicants.
The grievance of the applicants is that the opposite parties-contemnors have� intentionally and deliberately flouted the order of the Writ Court dated 08.12.2014 passed in Writ-A-No. 49574 of 2010, copy of which order has been annexed as annexure-6 to the affidavit accompanying this contempt application, whereby� a direction for payment of stipend was made in favour of the applicants till they were appointed as Assistant Teacher in Primary Schools.
Learned counsel for the applicants� contends that the aforesaid order of the Writ Court was duly served upon the opposite parties by registered post vide application dated 29.12.2014 copy of which along with registry receipt has been filed as annexure-7 to the affidavit accompanying this application.� It is contended that in spite of service of the order of the writ Court, same has not been complied with, therefore, the opposite parties have deliberately flouted the order of the Writ Court.
The opposite parties are bound by the order of this court and in case they do not comply with the directions of the writ court within a period of two months of receipt of this order, without any reasonable cause, the court would have no option but to proceed against them under the Contempt of Courts Act.
The applicants shall supply a duly stamped registered envelope addressed to the opposite parties and another self-addressed stamped envelope to the office within two weeks from today. The office shall send a copy of this order along with the self-addressed envelope of the applicants with a copy of contempt application to the opposite parties within three weeks from today and keep a record thereof.
The opposite parties shall comply with the directions of the writ court and intimate him of the order through the self-addressed envelope within a week thereafter.
In case, opposite parties do not comply with the aforesaid directions, it would be open to the applicants to approach this court again.
With the aforesaid observations, this application is finally disposed of at this stage.
Order Date :- 1.5.2015
faraz
विशिष्ट बीटीसी अभ्यर्थियों को दो माह के भीतर बकाया प्रशिक्षण अवधि का मानदेय नियुक्ति की तिथि तक देने का हाईकोर्ट का निर्देश (आदेश की प्रति भी देखें)
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:40 AM
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