आरटीई (RTE) के संबंध में जारी शासनादेश में यूनिफॉर्म और किताबों का जिक्र ही नहीं, स्कूलों की मर्जी पर है किताबें और यूनिफॉर्म देना, बिना किताबों के बच्चों की पढ़ाई पर खड़े हुए सवाल


राइट टु एजुकेशन (आरटीई) के तहत एडमिशन पाने वाले बच्चों की किताबें और यूनिफॉर्म अब निजी स्कूलों की मर्जी पर निर्भर हो गई हैं। आरटीई के तहत निजी स्कूलों को 25 प्रतिशत सीटों पर आर्थिक रूप से कमजोर घरों के बच्चों को मुफ्त दाखिला देना होता है। इसके साथ ही किताबें और यूनिफॉर्म भी देनी होती हैं, लेकिन 3 मार्च को आरटीई के संबंध में जो शासनादेश जारी किया गया, उसकी गाइडलाइंस में यूनिफॉर्म और किताबों का जिक्र नहीं किया गया है। ऐसे में बिना किताबों के बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी, इस पर एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है।


सरकार नहीं देती किताब और यूनिफॉर्म का पैसा
आरटीई के तहत जो भी एडमिशन निजी स्कूलों में होते हैं, उनकी फीस 450 रुपये प्रति छात्र के हिसाब से शासन स्कूलों को देता है। किताबें और यूनिफॉर्म भी स्कूलों की तरफ से ही देने का नियम है, लेकिन उन्हें इसका रिफंड नहीं मिलता है। वहीं, बीते शुक्रवार को जुबली इंटर कॉलेज में हुई निजी स्कूलों की एक बैठक में कुछ स्कूलों ने किताबें देने की बात कही है।

एनजीओ ने दी थीं किताबें, यूनिफॉर्म
गत वर्ष भी किताब और यूनिफॉर्म का मुद्दा उठा था। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में जिन 13 बच्चों का एडमिशन हुआ था, उन्हें स्कूल प्रबंधन ने किताबें और यूनिफॉर्म देने से मना कर दिया था। ऐसे में एक एनजीओ ने उन्हें किताबें और यूनिफॉर्म दी थीं। उस समय अगले सत्र से शासनादेश में संशोधन की बात हुई थी, लेकिन हाल ही में एक बार फिर जो शासनादेश जारी किया गया, उसमें भी ऐसा कोई भी नियम शामिल नहीं किया गया।



हमें शासनादेश के मुताबिक ही कार्य करना होता है। जो शासनादेश जारी हुआ है, उसमें आरटीई के तहत मुफ्त दाखिलों की ही बात है। उसी का पालन हो रहा है। - प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए लखनऊ

आरटीई (RTE) के संबंध में जारी शासनादेश में यूनिफॉर्म और किताबों का जिक्र ही नहीं, स्कूलों की मर्जी पर है किताबें और यूनिफॉर्म देना, बिना किताबों के बच्चों की पढ़ाई पर खड़े हुए सवाल Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 8:01 AM Rating: 5

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