अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई से छूट के मसले पर नोटिस, याचिका में मांग की गई है कि सरकारी स्कूलों की सारी सीटें भरने के बाद ही निजी स्कूलों में हो प्रवेश, नोटिस जारी कर माँगा जवाब
नई दिल्ली: अल्पसंख्यक स्कूलों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा (आरटीई) कानून से पूरी तरह छूट दिए जाने के संविधान पीठ के फैसले पर फिर से विचार किए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह नोटिस निजी स्कूलों की संस्था इंडिपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की याचिका पर जारी किया है।
बुधवार को संस्था की ओर से बहस करते हुए वकील रवि प्रकाश गुप्ता ने कहा कि कोर्ट संविधान पीठ के प्राइमरी एजुकेशनल ट्रस्ट के 2014 के फैसले पर पुनर्विचार करे। इसमें कहा गया है कि आरटीई के प्रावधान सहायता और गैरसहायता प्राप्त- दोनों तरह के अल्पसंख्यक स्कूलों में लागू नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होगा तो इन स्कूलों पर आरटीई कानून की धारा 18 के मान्यता संबंधी नियम भी लागू नहीं होंगे। इससे सरकार का इन पर नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
गुप्ता का कहना था कि अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई कानून से पूरी तरह छूट न दी जाए और इन पर मान्यता आदि के न्यूनतम नियम अवश्य लागू किए जाएं। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील एमआर शमशाद ने इस आधार पर याचिका का विरोध किया कि यह आरटीई कानून का विरोध करने के मकसद से दाखिल की गई है। लेकिन न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और यूयू ललित की पीठ ने दलीलें सुनने के बाद केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
☀ गरीब बच्चे नहीं जा रहे सरकारी स्कूलों में : याचिका में दूसरा मुद्दा आरटीई कानून के तहत निजी स्कूलों में गरीब तबके के 25 फीसद बच्चों को प्रवेश देने का उठाया गया है। याचिका में मांग की गई है कि सरकारी स्कूलों की सारी सीटें भर जाएं, उसके बाद ही आरटीई कानून के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसद गरीब बच्चों को प्रवेश का कोटा लागू किया जाए।
गुप्ता ने तर्क दिया कि निजी स्कूलों में 25 फीसद गरीब बच्चों का कोटा लागू होने से बच्चे सरकारी स्कूलों के बजाए निजी स्कूलों में प्रवेश ले रहे हैं। इससे सरकारी स्कूल खाली पड़े हैं। इससे सरकार पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और ढांचागत सुविधाएं जुटाने पर खर्च करना पड़ रहा है और बच्चे न होने से वहां के शिक्षक मुफ्त में वेतन ले रहे हैं। दूसरे, अगर आरटीई कानून में निजी स्कूल में बच्चे प्रवेश लेते हैं तो सरकार को प्रति बच्चा करीब 450 रुपये निजी स्कूल को प्रतिमाह भरपाई के तौर पर देने पड़ते हैं। गुप्ता ने बताया कि देश भर में करीब 3000 मिडिल स्तर के सरकारी स्कूल हैं जिनमें एक भी बच्चा नहीं है, यानि जीरो इनरोलमेंट है।
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