जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति का मामला कोर्ट में गरमाया, 6 हफ्ते में जवाब मांगते हुए कोर्ट ने लगाई वरिष्ठता सूची बनाने पर रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों के सहायक अध्यापकों को जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नत करने के लिए वरिष्ठता सूची तैयार करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उप्र इलाहाबाद को निर्देश दिया है कि वह सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सूचित करे कि वे वरिष्ठता सूची को अंतिम रूप न दे। कोर्ट ने राज्य सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 30 अक्टूबर 17 के हफ्ते में होगी।
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■ फिर से अटका परिषदीय उ0प्रा0वि0 में प्र0अ0 पद पर पदोन्नति का मामला, प्रथम नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता सूची बनाने पर हाईकोर्ट ने पूर्व में लगाई रोक को रखा जारी, हाईकोर्ट का नवीन आदेश देखें
यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने दिनेश कुमार व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि वरिष्ठता सूची सहायक अध्यापकों की सेवा अवधि के आधार पर तैयार की जा रही है जो अनिल कुमार पांडेय केस के फैसले के विपरीत है। वरिष्ठता का निर्धारण उप्र बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 के नियम 22 के तहत पद पर मौलिक नियुक्ति तिथि से किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए तीखी टिप्प्णी की है कि बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों की मनमानी के कारण हाईकोर्ट में अनावश्यक याचिकाओं का बोझ बढ़ रहा है। परिषद कोर्ट के आदेश के विपरीत सेवा की पूरी अवधि के आधार पर वष्ठिता निर्धारण कर रहा है, जबकि मौलिक पद पर नियुक्ति तिथि से वरिष्ठता तय की जानी चाहिए। कोर्ट ने सभी याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के लिए प्रकरण मुख्य न्यायाधीश को संदर्भित कर दिया है।
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