2 वर्षीय बीटीसी का आखिरी मौका, 3 काउंसलिंग, 50 गुना आवेदक, फिर भी बीटीसी की सीटें खाली, खाली सीटों की जानकारी देने को नहीं है सेंट्रलाइज सिस्टम, निजी कॉलेज सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में

👉 दो वर्षीय बीटीसी का आखिरी मौका
👉 कुछ कॉलेजों में इक्का-दुक्का स्टूडेंट ही
👉 डेढ़ साल लेट हो चुका सत्र
👉  3 काउंसलिंग, 50 गुना आवेदक
👉  फिर भी बीटीसी की सीटें खाली
👉  खाली सीटों की जानकारी देने को नहीं है सेंट्रलाइज सिस्टम,
👉  निजी कॉलेजों को नहीं मिल रहे छात्र

लखनऊ : कुल 75 जिलों का विकल्प, 10 दिनों में तीन काउंसलिंग फिर भी बीटीसी सीटें खाली। दरअसल खाली सीटों की सूचना देने के लिए कोई केंद्रीय व्यवस्था न होने के चलते ज्यादातर निजी कॉलेज स्टूडेंट्स के लिए तरसते रहे। ऐसा तब है जब बीटीसी में सीटों के मुकाबले 50 गुना आवेदक बुलाए गए थे। आवेदकों को पता ही नहीं चल पाया कि किस जिले में कितनी सीटें खाली हैं। उसके बाद अचानक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर 21 सितंबर को एडमिशन बंद करने के आदेश दे दिए गए। अब छात्र और कॉलेज दोनों परेशान हैं। इससे नाराज कॉलेज प्रबंधक अब फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि 22 से नया सत्र शुरू कर दिया जाए। ऐसे में 21 तक ही दाखिले हो सकते थे। इसमें हम अपनी ओर से कोई निर्णय नहीं ले सकते।  ~ नीना श्रीवास्तव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी, इलाहाबाद

खराब काउंसलिंग से सत्र लेट हुआ। अब अव्यवस्थित ढंग से काउंसलिंग कराई और दाखिले बंद कर दिए। हम इसके खिलाफ कोर्ट जाएंगे और खाली सीटों पर सीधे दाखिले की मांग करेंगे।~  विनय त्रिवेदी, अध्यक्ष स्ववित्तपोषित महाविद्यालय असोसिएशन

कॉलेज प्रबंधकों का कहना है कि यह दो साल की बीटीसी का आखिरी सत्र है। ऐसे में ज्यादातर लोग दाखिला लेना चाहते हैं और उसके लिए मारामारी है। एनसीटीई के नियमानुसार अगले साल से इंटर के बाद चार साल की बीटीसी की तैयारी है। 

इंटर कॉलेज भर्थना को 12 स्टूडेंट ही मिले हैं। कुनाल कॉलेज आगरा में 100 में से एक, स्प्रिंगडेल कॉलेज बरेली में 200 में 77, भगवती प्रसाद कॉलेज बांदा में 100 में चार, ब्लूमिंग बड्स कॉलेज गोरखपुर में 100 में 54 सीटें ही भरी हैं। वहीं लखनऊ में काउंसलिंग तो हो गई है पर छात्रों के आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। अभी कॉलेजों को आवंटन की लिस्ट जारी नहीं की गई है।

उधर, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि 22 सितंबर से नया सेशन शुरू हो जाए। इसे देखते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने समय पर सेशन शुरू करने के आदेश कर दिए और दाखिलों पर रोक लगा दी। अब भी प्रदेश में छात्र दाखिला लेना चाहते हैं लेकिन वे परेशान हैं। इटावा के सरस्वती महाविद्यालय में 50 सीटों के मुकाबले 17, अंकलिकर महाविद्यालय इटावा को महज एक को दिया गया। जिलेवार मेरिट के विज्ञापन अखबारों में दिए गए। कुछ विज्ञापन पूरे प्रदेश में छपे तो कुछ दो-चार जिलों में ही। 

कुछ डायट में तो ऑनलाइन मेरिट जारी की गई लेकिन ज्यादातर में ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में अभ्यर्थियों के सामने समस्या यह थी कि वे कैसे पता करें कि किस जिले में कितनी मेरिट गई है। पहली काउंसलिंग 10 सितंबर से शुरू हुई। उसमें पांच गुने छात्र बुलाए गए लेकिन दाखिले नहीं हुए। जिन्होंने कई जिलों में आवेदन किए वे अपने मनचाहे जिले में नाम आने का इंतजार करते रहे। वहीं जिनकी मेरिट अच्छी थी, वे सभी जगह  सिलेक्ट हो गए। दूसरी और तीसरी काउंसलिंग में 30 गुने और 50 गुने अभ्यर्थी भी बुलाए गए लेकिन फिर अच्छी मेरिट वालों से जगह भरी रही। निचली मेरिट वालों को मौका ही नहीं मिला। जल्दी में अभ्यर्थियों को पता नहीं चल पाया कि किस जिले में कितनी  मेरिट है। 

बीटीसी का सत्र पहले ही डेढ़ साल पीछे चल रहा है। वर्ष 2014-15 के दाखिलों के लिए सितंबर में काउंसलिंग की गई। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रदेश स्तर पर मांगे गए थे। आवेदन आने के बाद जिला स्तर पर दाखिले शुरू हुए। अभ्यर्थियों को सभी जिलों का विकल्प दिया गया था। दाखिले जिलेवार शुरू हुए। इसका जिम्मा डायट(जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थानों)

2 वर्षीय बीटीसी का आखिरी मौका, 3 काउंसलिंग, 50 गुना आवेदक, फिर भी बीटीसी की सीटें खाली, खाली सीटों की जानकारी देने को नहीं है सेंट्रलाइज सिस्टम, निजी कॉलेज सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 9:43 AM Rating: 5

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