शिक्षक न स्कूल, फिर कैसा अधिकार : उत्तर प्रदेश में 1.59 लाख शिक्षकों के पद खाली
- शिक्षक न स्कूल, फिर कैसा अधिकार
- अकेले उत्तर प्रदेश में 1.59 लाख शिक्षकों के पद हैं खाली
पहली अप्रैल से देश के हर बच्चे को आरटीई एक्ट के तहत अपने घर के आसपास आठवीं तक निशुल्क शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार होगा। मगर इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है कि बड़ी संख्या में स्कूलों का निर्माणकार्य पूरा नहीं होने और पूरे देश में सात लाख शिक्षकों के पद रिक्त होने के चलते बच्चों को यह अधिकार कैसे हासिल हो सकेगा। यूपी में इस समय प्राइमरी शिक्षकों के 1.59 लाख पद रिक्त हैं।
2009 में केंद्र द्वारा पारित निशुल्क शिक्षा का अधिकार कानून को प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकारों को तीन साल की मोहलत दी गई थी ताकि वे सभी की जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त स्कूल, शिक्षक व अन्य संसाधन का इंतजाम कर सकें। यह समयसीमा मार्च में पूरी हो जाएगी। मगर देश के हर बच्चे को उसके घर के समीप आठवीं तक शिक्षा सुलभ कराने के लिए जितने स्कूल बनने थे वह अभी तक नहीं बन सके। प्राथमिक स्कूलों में छात्र व शिक्षक अनुपात के हिसाब से 6.96 लाख शिक्षकों की अभी और भर्ती किए जाने की जरूरत है। सबसे खराब स्थिति केवल पांच राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल की है। इन्हीं राज्यों में अकेले 5.42 लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
शिक्षक न स्कूल, फिर कैसा अधिकार : उत्तर प्रदेश में 1.59 लाख शिक्षकों के पद खाली
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:48 AM
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