आसानी से मिलेगी बीटीसी कॉलेजों को संबद्धता : एक साथ 360 कॉलेजों को संबद्धता देने के प्रकरण पर विचार
- आसानी से मिलेगी बीटीसी कॉलेजों को संबद्धता
- छोटी-मोटी खामियां खुद दूर कराएगा राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद
लखनऊ। बीटीसी कॉलेजों को अब और आसानी से संबद्धता मिलेगी। उन्हें इसके लिए महीनों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यही नहीं छोटी-मोटी खामियां अब विभाग खुद ही दूर कराएगा। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) यह व्यवस्था लागू करने जा रहा है। इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया गया है। राज्य स्तरीय समिति की बैठक में एक साथ 360 कॉलेजों को संबद्धता देने के प्रकरण पर विचार किया गया। संबद्धता देने की प्रक्रिया में पहली बार ऐसा हुआ। बड़ी खामियों को छोड़ दें तो अन्य सभी कॉलेजों को संबद्धता देने की संस्तुति कर दी गई है। वहीं बड़ी खामियों वाले संस्थाओं को नोटिस देकर उसे दूर करने को कहा गया है, ताकि उस पर भी विचार किया जा सके।
सूबे में केवल जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में ही बीटीसी प्रशिक्षण देने की व्यवस्था थी। हाईकोर्ट के आदेश पर पहली बार वर्ष 2009 में 44 कॉलेजों को संबद्धता दी गई। धीरे-धीरे यह संख्या बेढ़कर 100 के ऊपर पहुंच गई। निजी कॉलेजों को बीटीसी कोर्स चलाने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से मान्यता लेने के बाद एससीईआरटी से संबद्धता के लिए आवेदन करना होता है। हर कॉलेज में बीटीसी की 50 सीटें होती हैं। एससीईआरटी स्थलीय सर्वे कराने के बाद राज्य स्तरीय समिति के समक्ष संबद्धता देने संबंधी प्रस्ताव रखता है। समिति इस पर विचार के बाद संबद्धता देने की संस्तुति करता है। इसके बाद शासन इसे मंजूरी देता है। निजी कॉलेजों को संबद्धता देने में मौजूदा समय काफी समय लग रहा है। इसलिए एससीईआरटी चाहता है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त करने वाली संस्थाओं का स्थलीय सर्वे हर हाल में दिसंबर तक करा लिया जाए और फरवरी से मार्च तक राज्य स्तरीय संबद्धता समिति के समक्ष प्रस्ताव रख दिया जाए। इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे मुख्य मकसद सरकारी और निजी कॉलेजों में बीटीसी सत्र नियमित करना है। मौजूदा समय सरकारी संस्थाओं में पहले पढ़ाई शुरू हो जाती है और निजी कॉलेजों में देर से शुरू हो रही है।
आसानी से मिलेगी बीटीसी कॉलेजों को संबद्धता : एक साथ 360 कॉलेजों को संबद्धता देने के प्रकरण पर विचार
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
7:21 AM
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