सेवा संबंधी मामले में हाईकोर्ट का अहम फैसला : कर्मचारी को दंड देने का आदेश हो स्पष्ट
लखनऊ।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक वरिष्ठ लिपिक की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द
कर उसे तत्काल सेवा में बहाल किए जाने व वेतन देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट
ने फैसले में कहा कि याची की बर्खास्तगी का आदेश यह नहीं दिखाता कि उसे
बर्खास्तगी का दंड क्यों दिया गया। कोर्ट ने अहम टिप्पणी की कि कर्मचारी को
दंड देते समय सक्षम प्राधिकारी को अपने स्वतंत्र दिमाग का प्रयोग करने की
जरूरत होती है जो खुद आदेश से प्रकट हो।
न्यायमूर्ति
ऋतुराज अवस्थी ने यह फैसला सेल्स टैक्स ट्रिब्यूनल लखनऊ (अब कॉमर्शियल
टैक्स ट्रिब्यूनल) के वरिष्ठ लिपिक बृजेंद्र मोहन शर्मा की याचिका को मंजूर
कर सुनाया। इसमें याची ने सेवा से बर्खास्तगी संबंधी 29 नवंबर 2011 के
आदेश को चुनौती देकर रद्द किए जाने का आग्रह किया था। कोर्ट ने फैसले में
कहा कि याची की बर्खास्तगी का आदेश यह नहीं दिखाता है कि उसे बर्खास्तगी का
दंड क्यों दिया गया। ऐसे में यह प्रश्नगत आदेश कानून की नजर में ठहरने
योग्य नहीं है और याचिका मंजूर किए जाने योग्य है। अदालत ने इस टिप्पणी के
साथ याची की सेवा से बर्खास्तगी संबंधी 29 नवंबर 2011 के आदेश को रद्द कर
दिया। साथ ही राज्य सरकार समेत विपक्षी पक्षकारों को याची के खिलाफ कानून
के मुताबिक नए सिरे से जांच कराने की छूट भी दी है। अदालत ने कहा कि अगर नए
सिरे से जांच शुरू की जाती है तो इसे तीन माह में पूरा किया जाएगा। कोर्ट
ने याची को सेवा में बहाल करने व नियमित वेतन का भुगतान करने के निर्देश
दिए हैं।
(साभार-:-अमर उजाला)
(साभार-:-अमर उजाला)
सेवा संबंधी मामले में हाईकोर्ट का अहम फैसला : कर्मचारी को दंड देने का आदेश हो स्पष्ट
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:56 AM
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