तीन बीएसए के खिलाफ सतर्कता जांच होगी : राम हजूर, दिनेश व अवधेश पर शिकंजा
- राज्य सतर्कता समिति ने दी हरी झंडी
- शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला
- अधिकारियों की लम्बी शिकायतें शासन में पड़ी हैं
लखनऊ : बेसिक
हो या फिर माध्यमिक शिक्षा विभाग, इसमें फैला भ्रष्टाचार किसी से छिपा
नहीं है। प्रदेश में कई बीएसए और डीआईओएस ऐसे हैं जिनके किस्से की चर्चा
सत्ता के गलियारे से लेकर ब्यूरोक्रेसी में आए दिन होती रहती है। बेसिक
शिक्षा विभाग की कमान संभालने के बाद मंत्री रामगोविंद चौधरी ने भ्रष्टों
को पोस्टिंग न देने की ठानी। इसके बाद भी कई ऐसे अधिकारियों को पोस्टिंग दे
दी गई जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं। बेसिक शिक्षा मंत्री ने करीब 12
बीएसए के खिलाफ सतर्कता जांच कराने के लिए कहा था। इसकी जानकारी पत्रकारों
को भी दी गई थी। इसके आधार पर ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी
के समक्ष प्रस्ताव भेजा गया था।
सर्व शिक्षा
अभियान के तहत प्रदेश के सभी जिलों में अरबों रुपये का काम हर साल कराया
जा रहा है। अधिकतर बीएसए स्कूल निर्माण से लेकर शिक्षकों की नियुक्ति,
छुट्टियों की मंजूरी, साल में होने वाली पदोन्नति और समायोजन यहां तक कि
यूनिफॉर्म और मुफ्त किताबों के वितरण में खेल कर रहे हैं। इसके लिए
उन्होंने अपने कुछ खास कारिंदों को लगा रखा है जो उनके साथ खुद मालामाल हो
रहे हैं। कहा जाता है कि बीएसए बनने के बाद अधिकारी स्कॉर्पियों से लेकर
लगजरी कारें तक भेंट करने से नहीं चूकते। ऐसे अधिकारियों की लंबी शिकायतें
शासन में पड़ी हुई हैं। कई अधिकारियों के खिलाफ मंडलायुक्त से लेकर
जिलाधिकारियों ने कार्रवाई के लिए लिखा है। शासन के शिक्षा अनुभागों में
ऐसी फाइलें गठ्ठर में बंधी पड़ी हुई हैं।
बहराइच
में तैनात रह चुके एक बीएसए ने सर्व शिक्षा अभियान की आड़ में करोड़ों के
वारे-न्यारे किए। बीएसए पद से हटने के बाद एक निदेशालय में तैनात इस पूर्व
बीएसए की जांच जब वरिष्ठ अधिकारियों के पास पहुंची तो जुगाड़ के सहारे
मनमुताबिक रिपोर्ट लगवा दी गई। एक पूर्व बीएसए के यहां सतर्कता विभाग ने
छापेमारी की तो उन्हें निदेशालय में संबद्ध कर दिया गया। सत्ता बदली तो
जुगाड़ के सहारे प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक बना दिया गया। शिक्षा
विभाग में ऐसे न जाने कितने अधिकारी हैं जिनके कारनामों की चर्चा आम है
लेकिन जांच की संस्तुति सिर्फ तीन के खिलाफ ही की गई है।
- तीन बीएसए के खिलाफ सतर्कता जांच होगी
लखनऊ।
जिलों में तैनाती के दौरान अकूत संपत्तियां कमाने और मॉल से लेकर
व्यावसायिक कॉप्लेक्स बनवाने वाले बेसिक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ शिकंजा
कसने लगा है। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में गठित राज्य
सतर्कता समिति ने महाराजगंज के पूर्व बीएसए राम हजूर प्रसाद, मुजफ्फरनगर के
पूर्व बीएसए दिनेश कुमार तथा देवरिया के पूर्व बीएसए अवधेश नारायण मौर्य
के खिलाफ जांच की संस्तुति की है।
राम हजूर
प्रसाद पर आरोप है कि महाराजगंज में तैनाती के दौरान सर्व शिक्षा अभियान के
तहत आवंटित धनराशि के 98 लाख रुपये फर्जी चेक से निकाल लिये गए। इस
धोखाधड़ी में उनके शामिल होने का अंदेशा जताया गया था। दिनेश कुमार पर आरोप
है कि मुजफ्फरनगर में तैनाती के दौरान उन्होंने जमकर धांधली की। वहां के
जिलाधिकारी को मई 2012 में निरीक्षण के दौरान एक दुकान में समानांतर बीएसए
कार्यालय चलते हुए मिला। यहां लेनदेन का एक रजिस्टर भी मिला था, जिसमें 100
करोड़ से अधिक का ब्यौरा दर्ज था।
अवधेश
नारायण मौर्य पर आरोप है कि देवरिया में तैनाती के दौरान उन्होंने भी जमकर
धांधली की। मंडलायुक्त गोरखपुर ने उन्हें अनुदानित विद्यालयों के अभिलेखों
में कूटरचना करके फर्जी नियुक्तियां करने तथा वेतन व एरियर के भुगतान में
96 लाख रुपये के सरकारी धन की क्षति के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
(साभार-:-अमर उजाला)
(साभार-:-अमर उजाला)
तीन बीएसए के खिलाफ सतर्कता जांच होगी : राम हजूर, दिनेश व अवधेश पर शिकंजा
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
4:38 PM
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