शिक्षकों से छिन सकता है स्कूल बनवाने का काम : हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का अहम फैसला
• अंबेडकरनगर में तालाब की जमीन पर स्कूल बनवाने के मामले में हाईकोर्ट का अहम फैसला
• याची शिक्षक से तत्काल वसूलें दो लाख रुपये
• प्रधान और बीएसए को देने होंगे 50-50 हजार
• प्रधान और बीएसए को देने होंगे 50-50 हजार
लखनऊ।
सूबे के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों से स्कूलों के निर्माण का काम न
कराने का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में
कहा है कि शिक्षक न तो स्कूल बनवाने के लिए प्रशिक्षित होते है न ही उनका
यह काम है । ऐसे में सरकार को स्कूल निर्माण संबंधी प्रावधान/चलन को बदलने
पर गौर करना चाहिए। कोर्ट ने शिक्षकों से स्कूलों के निर्माण की निगरानी
कराने व इसके लिए खर्च की बगैर समुचित निगरानी कराए उन्हें रकम मुहैया
कराने संबंधी प्रावधान या प्रैक्टिस पर गहरा आश्चर्य व असहमति जताई है।
जस्टिस
सिबगतुल्ला खां एवं जस्टिस डॉ. सतीश चंद्र की खंडपीठ ने यह अहम फैसला
अंबेडकर नगर जिले के उसरहा गांव में एक तालाब की जमीन पर जूनियर हाईस्कूल
के निर्माण मामले में सुनाया। कोर्ट ने स्कूल निर्माण में लाखों का घपला
करने वाले शिक्षक, ग्राम प्रधान व बीएसए को अलग-अलग रकम वापस करने के
निर्देश दिए हैं। दूरगामी महत्व के कोर्ट के इस फैसले से प्राइमरी स्कूलों
के निर्माण में धांधली करने वाले शिक्षकों, प्रधानों व अफसरों पर अंकुश लग
सकेगा।
18 मई 2008 को गांव में स्कूल बनवाने
का प्रस्ताव पारित हुआ। 18 अक्टूबर 2008 को स्पेशल बीएसए अंबेडकरनगर के
दफ्तर से याची सहायक शिक्षक बाबूराम यादव को निर्माण प्रभारी बनाने का पत्र
जारी हुआ जिसमें प्रधान का नाम सुषमा दर्ज था। इसके बाद भोलू प्रसाद उर्फ
लल्लू ने शिकायत की कि जिस भूखंड पर निर्माण किया गया, वह एक तालाब है।
याची को यद्यपि स्कूल के लिए मिले 3,15,000 रुपये बैंक में जमा करने को
कहा गया लेकिन उसने यह रकम स्कूल बनवाने के लिए निकाल ली और इस रकम को बैंक
में जमा करने संबंधी दिए गए आदेश को रद्द कराने के लिए यह याचिका दायर कर
दी। मामले की सुनवाई के दौरान पता चला कि प्राथमिक विद्यालय उसरहा में
सिर्फ नींव खोदी गई और डीपीसी स्तर तक अन्य निर्माण किया गया।
अदालत
ने कहा ऐसे में याची शिक्षक द्वारा कराए गए काम की कीमत का सक्षम एजेंसी
से मूल्यांकन कराया जाना चाहिए और याची से तत्काल दो लाख रुपये वापस लिए
जाएं। याची द्वारा कराए गए वास्तविक काम के खर्च को 3,15,000 रुपये की रकम
से घटाकर बाकी रकम की 18 फीसदी सालाना ब्याज दर पर गणना की जाए। अगर यह रकम
दो लाख से अधिक हो तो यह बढ़ी रकम तुरंत याची शिक्षक से वसूली जाए और अगर
यह रकम दो लाख से कम हो तो अंतर वाली रकम वापस दी जाए।
अदालत
ने कहा कि जब 3,15,000 रुपये विभिन्न किस्तों में निकाले गए थे तो
तत्कालीन प्रधान भी इस रकम के दुरुपयोग केलिए बराबर जिम्मेदार है। जिस
बीएसए ने काम पर निगरानी नहीं रखी और याची को रकम निकालने की मंजूरी दी, वह
भी इसके दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में तत्कालीन बीएसए व
तत्कालीन प्रधान को भी गंभीर लापरवाही के लिए 50-50 हजार अदा करने होंगे
अगर वे इस सरकारी कार्य में सीधे तौर पर शामिल न हों। कोर्ट ने इन
निर्देशों के साथ याचिका का निपटारा कर दिया।
शिक्षकों से छिन सकता है स्कूल बनवाने का काम : हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का अहम फैसला
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:10 AM
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8 comments:
SIR KAYA TRANSFER HONGE PLEASE YES OR NO LIKH KAR BHEJE....
Are bhai kuch nahin kah sakte is dunia main kuch bhi ho sakta hain everything is possible or not possible
Kahan gaye tranfer k bare me farji suchana dene wale... Ab koyi suchana nahi mil rahi hai....
Suna ja raha hai ki ekal tranfer ho rahe hai.kiya ye suchna sahi hai kisi ko pata ho batayen.
Being teacher Im glad to hear that shikshha mitra will get trained salary.But lets see .really its fair ????????
Please give posting them to another block school so that they feel the heat and pressure that we teachers are getting.
Construction karwana hi kon chata hai.wo ko corrupt hai.Bhad me jai
bhai koi ni chahta ki kamra banwaye hanari to na banwane se 3 mahine k selary ruk gai h.mdm bi hata de adhyapak se to naukri sakun se kare.sarkar aise kam karati h fir galti nikle to karwahi karti h aur khane wale adhyapak ko kha jati h .
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