अगले वर्ष तक बनने वाली शिक्षा नीति में गांवों तक की होगी भागेदारी - स्मृति ईरानी
- अच्छी खबरों को पहले पेज पर जगह मिलना किस्मत की बात
- केंद्रीय मंत्री ने माना स्वच्छता अभियान बन गया संकल्प
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश का नवनिर्माण कर रहे
हैं। अभी तक शिक्षा नीति कुछ विशेषज्ञों से बनवाकर देश पर थोप दी जाती रही
है, पर अब ऐसा नहीं होगा। अगले वर्ष बनने वाली नयी शिक्षा नीति में गांवों
तक की भागीदारी होगी। यह बातें मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में ‘महामना मालवीय : समकालीन समाज, संस्कृति
व पत्रकारिता’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि
मोदी सरकार का पहला बजट आया तो नए अध्यापकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की
गई। महामना के नाम से इस योजना के लिए अलग से धन भी आवंटित किए गए।
स्वच्छता अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि अब यह संकल्प बन गया है। हमें
आने वाली चुनौतियों से निपटकर स्वर्णिम इतिहास रचना है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि प्रत्येक वर्ष बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों की अपेक्षा मेरिट लिस्ट में छात्रओं का दबदबा रहता है। इसके बावजूद तकनीकी संस्थाओं में छात्रओं की महज करीब 22 फीसद भागीदारी है। इसका प्रमुख कारण छात्रओं को विशेषज्ञों से ट्रेनिंग न मिलना व आर्थिक कमी है। इसे देखते हुए बाल दिवस पर ‘उड़ान’ नामक एक कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके तहत देशभर की एक हजार छात्रओं को टैबलेट दिए जाएंगे। इस योजना में वे मेधावी छात्रएं शामिल हैं जो आर्थिक समस्या के चलते तकनीकी ज्ञान नहीं ले पाती हैं।
ऐसी छात्रओं को तकनीकी शिक्षा में प्रवेश दिलाने के लिए ही उड़ान की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा उड़ान की खबर अखबारों में नहीं छपी जबकि मेरे हाथ टूटने की खबर पहले पृष्ठ पर स्थान पाती है। बोलीं, मौजूदा दौर में अच्छी खबरों को अखबार के पहले पन्ने पर जगह मिलना किस्मत की बात है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि महामना पं. मदन मोहन मालवीय ने समाचार पत्रों का सहारा लेकर ब्रिटिश सरकार को क्षमायाचना के लिए बाध्य कर दिया था। कुलपति डा. पृथ्वीश नाग ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की संस्था को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा घोषित करने की मांग रखी।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि प्रत्येक वर्ष बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों की अपेक्षा मेरिट लिस्ट में छात्रओं का दबदबा रहता है। इसके बावजूद तकनीकी संस्थाओं में छात्रओं की महज करीब 22 फीसद भागीदारी है। इसका प्रमुख कारण छात्रओं को विशेषज्ञों से ट्रेनिंग न मिलना व आर्थिक कमी है। इसे देखते हुए बाल दिवस पर ‘उड़ान’ नामक एक कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके तहत देशभर की एक हजार छात्रओं को टैबलेट दिए जाएंगे। इस योजना में वे मेधावी छात्रएं शामिल हैं जो आर्थिक समस्या के चलते तकनीकी ज्ञान नहीं ले पाती हैं।
ऐसी छात्रओं को तकनीकी शिक्षा में प्रवेश दिलाने के लिए ही उड़ान की परिकल्पना की गई है। उन्होंने कहा उड़ान की खबर अखबारों में नहीं छपी जबकि मेरे हाथ टूटने की खबर पहले पृष्ठ पर स्थान पाती है। बोलीं, मौजूदा दौर में अच्छी खबरों को अखबार के पहले पन्ने पर जगह मिलना किस्मत की बात है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि महामना पं. मदन मोहन मालवीय ने समाचार पत्रों का सहारा लेकर ब्रिटिश सरकार को क्षमायाचना के लिए बाध्य कर दिया था। कुलपति डा. पृथ्वीश नाग ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की संस्था को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा घोषित करने की मांग रखी।
अगले वर्ष तक बनने वाली शिक्षा नीति में गांवों तक की होगी भागेदारी - स्मृति ईरानी
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
10:36 AM
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