आठवीं तक छात्रवृत्ति न देने से स्कूलों में घट सकती है विद्यार्थियों की संख्या
- सिर्फ आठवीं तक ही बिना केंद्रीय मदद के दिया जाता था वजीफा
- अपने बूते छात्रवृत्ति योजना नहीं चला पाएगी सरकार
- कक्षा 9-10 के एससी छात्रों के वजीफे के लिए केंद्र से मिली पर्याप्त रकम
- आठवीं तक छात्रवृत्ति न देने से स्कूलों में घट सकती है विद्यार्थियों की संख्या
लखनऊ।
आठवीं तक के विद्यार्थियों को वजीफा न देने के फैसले से साफ हो गया है कि
राज्य सरकार अपने बूते छात्रवृत्ति योजना चलाने की स्थिति में नहीं है।
सिर्फ इन्हीं कक्षाओं के विद्यार्थियों को बिना केंद्रीय मदद के
छात्रवृत्ति दी जा रही थी। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि
आठवीं तक के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति न दिए जाने के फैसले से स्कूलों
में विद्यार्थियों की संख्या घटना तय है।
अलबत्ता
केंद्र सरकार ने कक्षा 9-10 के अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के लिए
पर्याप्त रकम मुहैया करा दी है। पूर्व दशम छात्रवृत्ति योजना में पिछड़े
वर्ग के छात्रों के लिए केंद्र सरकार की नियमावली में मदद देने का प्रावधान
किया गया है। इसमें कक्षा 1-10 तक के विद्यार्थियों को शामिल किया गया है,
लेकिन हकीकत यह है कि कक्षा 1-10 तक के लिए 30-32 करोड़ रुपये ही केंद्र
सरकार से मिलते रहे हैं। इस राशि से कक्षा 9-10 के करीब पचास फीसदी पिछड़े
छात्रों को ही वजीफा मिल पाता है। इस तरह से देखें तो कक्षा एक से आठ तक की
छात्रवृत्ति योजना पूरी तरह से राज्य के ही संसाधनों पर ही निर्भर है।
यहां
बता दें कि कक्षा 9 और 10 के अनुसूचित जाति के सभी छात्र-छात्राओं के लिए
केंद्र सरकार ही छात्रवृत्ति देती है। वर्ष 2012-13 के आखिर में केंद्र
सरकार ने इस मद में 225 करोड़ रुपये दिए थे। इस राशि से वर्ष 2012-13 और
2013-14 में तो छात्रवृत्ति दी ही गई, इस साल के लिए भी पर्याप्त रकम अभी
समाज कल्याण विभाग के पास बची है। वहीं पिछड़े वर्ग के कक्षा 9-10 के
छात्रों के लिए छात्रवृत्ति देने संबंधी डिमांड केंद्र सरकार को भेजी जा
चुकी है। इस राशि के भी जल्द मिलने की उम्मीद है।
राज्य सरकार की नीयत में ही खोट
पिछले
साल दशमोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों के शुल्क की प्रतिपूर्ति न किए
जाने का मामला हाईकोर्ट में पहुंचने पर सरकार ने अपना पक्ष रखा था कि
केंद्र सरकार से मांग के अनुरूप रकम न मिल पाने के कारण प्रतिपूर्ति नहीं
की जा सकी। जबकि हकीकत यह है कि सरकार खुद भी छात्रवृत्ति योजना को जारी
रखने के मूड में नहीं है। सामान्य और अनुसूचित जाति व जनजाति के कक्षा 1-8
तक के छात्रों को वजीफा राज्य सरकार अपने संसाधनों से ही देती थी। दशमोत्तर
कक्षाओं में पढ़ रहे अनुसूचित जाति व जनजाति और पिछड़े वर्ग के
विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने के लिए केंद्र सरकार राशि देती है।
खबर साभार : अमर उजाला
आठवीं तक छात्रवृत्ति न देने से स्कूलों में घट सकती है विद्यार्थियों की संख्या
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:54 AM
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