तीन महीने में कैसे छपेंगी 10 करोड़ किताबें : एक अप्रैल से शुरू होना है नया शैक्षिक सत्र
- अब तक नहीं शुरू हुई किताब छापने की प्रक्रिया
- चार से पांच महीने का लगता है समय
लखनऊ। तीन महीने से भी कम समय और करीब 10 करोड़ किताबें छापने का लक्ष्य। उसके लिए भी अब तक कोई शासनादेश तक नहीं जारी हुआ। जी हां, बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में बच्चों को दी जाने वाली निशुल्क किताबों के छापने की प्रक्रिया कुछ ऐसी ही चल रही है। यह स्थिति तब है जबकि खुद राज्य सरकार ने परिषदीय विद्यालयों का शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू करने का फैसला लिया है। लेकिन शासन ने अब तक किताबें छापने के लिए शासनादेश भी नहीं जारी किया। इसको लेकर अफसर भी परेशान हैं।सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत परिषदीय विद्यालयों, राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त एवं माध्यमिक विद्यालयों, समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय व एडेड स्कूल तथा मदरसों में कक्षा 1 से 8 तक के सभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के बालकों तथा सभी वर्ग की बालिकाओं को निशुल्क किताबें दिए जाने का प्रावधान है। इस बार भी 30 सितंबर के आधार पर करीब एक करोड़ 85 लाख बच्चों को किताबें मुहैया कराई जानी है। चूंकि अभी तक बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों का शैक्षिक सत्र एक जुलाई से शुरू होता था। इसलिए किताबें छापने की प्रक्रिया जनवरी के अंत से शुरू की जाती थी। लेकिन इस बार शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होना है। बावजूद इसके अब तक किताबें छापने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए शासनादेश तक नहीं जारी किया गया। जबकि इसका प्रस्ताव अक्टूबर में ही शासन को भेज दिया गया था। ऐसे में अफसर परेशान हैं कि आखिर इतने कम समय में किताबें छापकर बच्चों तक कैसे पहुंचाई जाएंगी।.
अभी तक किताबों की छपाई के संबंध में शासनादेश जारी नहीं हुआ है। उसका इंतजार किया जा रहा है। इस बार एक करोड़ 85 लाख बच्चों के लिए करीब 10 करोड़ किताबें छपनी हैं।
- पवन कुमार सचान, पाठ्य पुस्तक अधिकारी
- चार से पांच महीने का लगता है समय
किताबें छापने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए शासनादेश जारी किया जाता है। उसके बाद एक महीने का समय निर्धारित करते हुए टेक्निकल बिड आमंत्रित की जाती है। टेंडर के बाद कागज की जांच, फिर फाइनेंशियल बिड, उसके बाद चयनित प्रकाशकों के साथ अनुबंध किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद दो महीने का समय किताबें छपवाने में लगता है। इसके बाद किताबों का जिले स्तर पर सत्यापन और फिर स्कूल तक पहुंचाने में भी समय लगता है। पूरी प्रक्रिया में चार से पांच महीने लग जाते हैं। लेकिन अफसर शासनादेश जारी होने का ही इंतजार कर रहे हैं।
तीन महीने में कैसे छपेंगी 10 करोड़ किताबें : एक अप्रैल से शुरू होना है नया शैक्षिक सत्र
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
9:00 AM
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