सरकारी स्कूलों में पांच साल में घटे 15 % छात्र : स्कोर संस्था द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में हुआ खुलासा


  • प्रदेश में 3,06,680 शिक्षकों के पद अब भी खाली
लखनऊ। वर्ष 2009-10 में प्रदेश के 63 फीसदी बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ने जाते थे, जबकि आज यह संख्या घटकर मात्र 48 फीसदी रह गई है। इससे जाहिर है कि अभिभावकों व बच्चों का मोह सरकारी विद्यालयों से भंग हो रहा है। यह बात मंगलवार को स्टेट कलेक्टिव फॉर राइट टू एजुकेशन (स्कोर) संस्था द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में कही गई। आरटीई फोरम के सदस्य रवि प्रकाश ने कहा कि अनेक विकसित देश फेल न करने की नीति का पालन कर रहे हैं। हमारे यहां सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन द्वारा इस नीति और सतत व समग्र मूल्यांकन को शिक्षा का अधिकार कानून से हटाने पर विचार किया जाना दयनीय है। ऐसा करने से बहुत से बच्चे और बालिकाएं फेल होकर शिक्षा की मुख्य धारा से छूट जाएंगे। उन्होंने कहा कि पांच साल बाद भी प्रदेश में 3,06,680 शिक्षकों के पद रिक्त हैं जबकि सतत व समग्र मूल्यांकन को अभी प्रदेश में बेहतर तरीके से लागू नहीं किया जा सका। एनसीपीसीआर की पूर्व राज्य प्रतिनिधि वीणा गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को यह नीति हटाए जाने का विरोध करना चाहिए। बच्चों के सीखने का निरंतर आकलन और शिक्षकों की प्रगति को उत्पात आधारित बनाया जाए।
  • विद्यालय खुद फैला रहे असमानता
सम्मेलन में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन्स एलायन्स की अध्यक्ष ताहिरा हसन ने कहा कि सरकारी व निजी तंत्र दोनों के ही द्वारा संचालित विद्यालयों में अलग-अलग गुणवत्ता की शिक्षा दिया जाना असमानता का मूल कारण है। राजकीय विद्यालयों में अधिकांश पिछड़े और अभिवंचित वर्ग के बच्चे ही रह गए हैं जिससे वहां गुणवत्ता की कमी आई है। आरटीई फोरम के संयोजक अंबरीश राय ने कहा कि केंद्रीय, नवोदय और सैनिक विद्यालय भी सरकार द्वारा ही संचालित हैं और वहां गुणवत्तापरक शिक्षा दी जाती है। यहां संसाधनों की भी कमी नहीं। फिर अन्य विद्यालयों की अनदेखी क्यों की जा रही है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने जन प्रतिनिधियों व सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में भेजने का जो आदेश दिया है, उससे सरकारी विद्यालयों की स्थिति निश्चित रूप से बेहतर होगी। लखनऊ विवि की पूर्व कुलपति प्रो. रूपरेखा वर्मा ने कहा कि सरकारी विद्यालयों को अभावग्रस्त बना दिया गया है। संगोष्ठी में स्कोर के सह संयोजक विनोद सिन्हा, शिक्षाविद मजहर हुसैन, राज्य सलाहकार समूह आरटीई की सदस्य सहबा हुसैन आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

खबर साभार : अमर उजाला

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सरकारी स्कूलों में पांच साल में घटे 15 % छात्र : स्कोर संस्था द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय संगोष्ठी में हुआ खुलासा Reviewed by Brijesh Shrivastava on 7:00 AM Rating: 5

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