सियासी वायदों के धागों में उलझे बीपीएड डिग्री धारक : पद ही नहीं बचे तो कैसे हों समायोजित
राज्य मुख्यालय। सियासी वायदों के धागों में उलङो बीपीएड
डिग्री धारक कभी गोमती नदी में जल समाधि लेते हैं कभी जूता पॉलिश करते हैं
और कभी-कभी लाठीचार्ज का शिकार भी। मंगलवार को राजधानी में बीपीएड धारकों
की उग्रता और पुलिस के लाठीचार्ज की खूब चर्चा रही। कहना गलत न होगा कि
कसूर उनका भी नहीं कि सियासी आश्वासनों की घुट्टी के चलते वे भी जब-तब
राजधानी का रुख कर लेते हैं।
पिछले वर्ष नवबर में भी बीपीएड डिग्रीधारकों की खूब चर्चा रही जब 50 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने गोमती नदी में जल समाधि ली और उसमें से कई डूबते-डूबते बचे। इसी वर्ष अप्रैल में विधान भवन के सामने जूता पॉलिश कर उन्होंने विरोध जताया। ये तो वे वाकये हैं जब उनकी खबरें सुर्खियां बनी। सपा सरकार बनने के बाद से उनका प्रदर्शन जब-तब होता रहता है। बीपीएड डिग्रीधारक सामान्य शिक्षक के पद पर दावा कर रहे थे लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें इससे बाहर कर दिया है। अब उनकी मांग खेल शिक्षक की नियुक्ति की है।
दरअसल, सत्तारूढ़ सरकार की पार्टी की पहलवानी और खेलकूद में रुचि किसी से छुपी नहीं है। जब-तब मंच से स्कूलों में खेल शिक्षक नियुक्त करने की बातें भी हुईं। सियासी आकाओं की ओर से खेल नीति के तहत भी हर स्कूल में एक शारीरिक शिक्षा का अध्यापक रखने की बात भी कही गई। गोमती नदी वाले वाकये के बाद बीपीएड डिग्रीधारक सपा मुखिया से मिले और उन्होंने मांगे पूरी करने का वायदा भी किया।
इनकी मुख्य मांग है कि हर उच्च प्राथमिक स्कूल में एक खेल शिक्षक की नियुक्ति की जाए। वैेसे जूनियर हाईस्कूलों में एक शारीरिक शिक्षा का अनुदेशक रखने की व्यवस्था है लेकिन ये 7200 रुपए मानदेय के आधार पर रखे जा रहे हैं। खेल शिक्षक बनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग में कवायद भी हुई।
कई चक्रों की बैठकें भी हुईं लेकिन मामला तब पलट गया जब ये सामने आया कि शिक्षामित्रों के समायोजन के लिए पद ही नहीं बचे हैं तो बीपीएड डिग्री धारकों को कैसे समायोजित किया जाए।
पिछले वर्ष नवबर में भी बीपीएड डिग्रीधारकों की खूब चर्चा रही जब 50 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने गोमती नदी में जल समाधि ली और उसमें से कई डूबते-डूबते बचे। इसी वर्ष अप्रैल में विधान भवन के सामने जूता पॉलिश कर उन्होंने विरोध जताया। ये तो वे वाकये हैं जब उनकी खबरें सुर्खियां बनी। सपा सरकार बनने के बाद से उनका प्रदर्शन जब-तब होता रहता है। बीपीएड डिग्रीधारक सामान्य शिक्षक के पद पर दावा कर रहे थे लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें इससे बाहर कर दिया है। अब उनकी मांग खेल शिक्षक की नियुक्ति की है।
दरअसल, सत्तारूढ़ सरकार की पार्टी की पहलवानी और खेलकूद में रुचि किसी से छुपी नहीं है। जब-तब मंच से स्कूलों में खेल शिक्षक नियुक्त करने की बातें भी हुईं। सियासी आकाओं की ओर से खेल नीति के तहत भी हर स्कूल में एक शारीरिक शिक्षा का अध्यापक रखने की बात भी कही गई। गोमती नदी वाले वाकये के बाद बीपीएड डिग्रीधारक सपा मुखिया से मिले और उन्होंने मांगे पूरी करने का वायदा भी किया।
इनकी मुख्य मांग है कि हर उच्च प्राथमिक स्कूल में एक खेल शिक्षक की नियुक्ति की जाए। वैेसे जूनियर हाईस्कूलों में एक शारीरिक शिक्षा का अनुदेशक रखने की व्यवस्था है लेकिन ये 7200 रुपए मानदेय के आधार पर रखे जा रहे हैं। खेल शिक्षक बनाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग में कवायद भी हुई।
कई चक्रों की बैठकें भी हुईं लेकिन मामला तब पलट गया जब ये सामने आया कि शिक्षामित्रों के समायोजन के लिए पद ही नहीं बचे हैं तो बीपीएड डिग्री धारकों को कैसे समायोजित किया जाए।
सियासी वायदों के धागों में उलझे बीपीएड डिग्री धारक : पद ही नहीं बचे तो कैसे हों समायोजित
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:00 AM
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