पांच साल में सिर्फ तीन बार टीईटी : अब वर्ष 2016 में ही टीईटी होने की संभावना
लखनऊ।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने भले ही साल में दो बार
शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) कराने की व्यवस्था दी हो पर यूपी में इसका
पालन नहीं किया जा रहा है। स्थिति यह है कि 2011 के बाद से अब तक मात्र
तीन बार ही टीईटी कराई जा सकी है। 2015 में 29 दिसंबर को टीईटी कराने का
प्रस्ताव शासन को मिला था, लेकिन क्षेत्र पंचायत चुनाव की आचार संहिता के
चलते इस पर सहमति नहीं बन सकी। इन स्थिति में अब यही संभावना बन रही है कि
टीईटी इस वर्ष न होकर 2016 में होगी।
एनसीटीई
ने कक्षा आठ तक के स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास होना
अनिवार्य कर दिया है। इसे पास किए बिना शिक्षक बन पाना संभव नहीं है। राज्य
सरकार ने सबसे पहले 2011 में टीईटी कराया था। तत्कालीन बसपा सरकार में
टीईटी में धांधली की शिकायतों पर तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय
मोहन को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद से ही बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी
टीईटी कराने से बचते चले आ रहे हैं। 2011 के बाद 2012 में टीईटी न कराकर
वर्ष 2013 व वर्ष 2014 में एक-एक बार कराई गई। वर्ष 2015 के लिए 29 दिसंबर
को टीईटी कराने का प्रस्ताव सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी नीना
श्रीवास्तव ने भेजा था, लेकिन क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव होने के चलते
परीक्षा नहीं हो सकी। टीईटी कराने के लिए कम से कम तीन माह का समय चाहिए,
साल को समाप्त होने में दो माह से भी कम बचे हैं। टीईटी अब अगले साल होने
की ही संभावना है।
खबर साभार : अमर उजाला
पांच साल में सिर्फ तीन बार टीईटी : अब वर्ष 2016 में ही टीईटी होने की संभावना
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:32 AM
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