दया और सहानुभूति के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से राहत मांगेंगे शिक्षामित्र, राज्य सरकार मांग सकती है एक और तारीख

लखनऊ। समायोजन के मामले में अब शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट से दया के आधार पर भी राहत की मांग करेंगे। इसके लिए पिछले ढाई महीने में खुदकुशी या हार्ट अटैक से हुई शिक्षामित्रों की मौत का ब्यौरा भी अदालत में रखने की तैयारी की जा रही है। संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई 4 दिसंबर को होने की संभावना है।


विगत 12 सितंबर को हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध बताते हुए इसे रद्द कर दिया था। इस आदेश के आने तक कुल 1.30 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन हो चुका था, वहीं बाकी के समायोजन की प्रक्रिया चल रही थी। कोर्ट के इस आदेश का पालन करते हुए शासन ने शिक्षामित्रों का समायोजन के बाद बढ़ाया गया वेतन वापस ले लिया था। जबकि, शिक्षामित्र संघ का कहना है कि स्थायी शिक्षकों के समान वेतन मिलने पर शिक्षामित्रों ने अपने बच्चों का दाखिला भी अच्छे स्कूलों में करा दिया था। अन्य खर्चे भी उसी अनुपात में बढ़ गए थे। एकाएक समायोजन रद्द होने के आदेश से बड़ी तादाद में शिक्षामित्र निराशा और गम में डूब गए हैं। इसी का नतीजा है कि अब तक हृदयाघात और खुदकुशी के चलते 41 शिक्षामित्रों की मौत हो चुकी है। शिक्षामित्र संघ ने इनका पूरा ब्यौरा जुटा लिया है।


संघ के प्रांतीय महामंत्री पुनीत चौधरी ने बताया कि इस पूरी स्थिति से सुप्रीम कोर्ट को भी अवगत कराया जाएगा, ताकि दया के आधार पर राहत मांगी जा सके। यहां बता दें कि समायोजन रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार के अलावा प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने भी सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दायर की है। सुनवाई के लिए 4 दिसंबर की तारीख मिली है।



शिक्षामित्रों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए राज्य सरकार एक और तारीख मांग सकती है। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने अपने अधिकारियों को पूरी तैयारी के साथ पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं, भले ही इसमें थोड़ा ज्यादा वक्त लग जाए। यही वजह है कि संबंधित अधिकारियों ने एक और तारीख लेने का फैसला किया है।

दया और सहानुभूति के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से राहत मांगेंगे शिक्षामित्र, राज्य सरकार मांग सकती है एक और तारीख Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 8:18 AM Rating: 5

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