नई शिक्षा नीति : सेक्स एजुकेशन के बजाय पारिवारिक शिक्षा पर जोर, विज्ञान और अध्यात्म साथ-साथ, इंडियन एजुकेशन सर्विस की भी मांग
नई दिल्ली : न्यू एजुकेशन पॉलिसी के ड्राफ्ट पर काम चल रहा है, जो जल्द ही पब्लिक डोमेन में आ जाएगा। इस ड्राफ्ट में संघ के सुझावों को अहमियत दी जा रही है। संघ ने एचआरडी मिनिस्ट्री से मांग की है कि सभी स्टेट कैरिकुलम से सेक्स एजुकेशन को हटाया जाए और फैमिली एजुकेशन को अहम हिस्सा बनाया जाए। संघ से जुड़े संगठनों ने इस बारेमें एचआरडी मिनिस्ट्री को सुझाव भी दिए हैं।
इंडियन एजुकेशन सर्विस की मांग : संघ का सुझाव है कि इलेक्शन कमिशन और सुप्रीम कोर्ट की तरह एजुकेशन पॉलिसी के लिए स्वायत्त एजुकेशन कमिशन बनाया जाए। यह कमिशन नैशनल, स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर हो। साथ ही, इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) की तर्ज पर इंडियन एजुकेशन सर्विस शुरू की जाए, ताकि एजुकेशन का कंट्रोल शिक्षाविदों के हाथों में रहे।
विज्ञान और अध्यात्म साथ-साथ : सुझावों के मुताबिक, एजुकेशन स्टूडेंट के इंटरेस्ट, टैलंट और कपैसिटी को देखकर दी जाए। इससे बच्चे की नेचरल ग्रोथ होगी। विज्ञान और अध्यात्म एक साथ होने चाहिए। शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के राष्ट्रीय संयोजक और संघ विचारक दीनानाथ बत्रा ने कहा कि स्कूल में पढ़ाए जाने वाले हर सब्जेक्ट के साथ वैल्यू एजुकेशन जरूर होनी चाहिए। बत्रा के मुताबिक, एलिमेंट्री एजुकेशन मदर टंग में होनी चाहिए। एकैडमिक्स में लाइफ लेशन भी इंटीग्रेट होना चाहिए। जैसे यह भी सिखाया जाना चाहिए कि कैसे अच्छे पैरंट्स, अच्छे भाई-बहन बनें।
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