बीएसए अब कर सकेंगे ऐडेड जूनियर हाईस्कूल में सीधी भर्ती, इस बार नायाब तरीके से शिक्षक भर्ती करने की तैयारी
इलाहाबाद । सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में इस बार नायाब तरीके से शिक्षक भर्ती होने जा रही है। इसमें न पदों की कोई सीमा तय की गई है और न ही नियुक्ति अधिकारी को बार-बार शासन से अनुमति ही लेनी होगी। एक सूत्रीय निर्देश है कि हर हाल में अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों के लिए तय न्यूनतम मानक के तहत शैक्षिक पदों को भरा जाए। भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की मियाद भी तय कर दी गई है।
बेसिक या फिर माध्यमिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सिर्फ शिक्षकों का संकट नहीं है बल्कि अशासकीय स्कूलों में तो स्थिति बेहद गंभीर है। सूबे के अशासकीय सहायता प्राप्त 2888 जूनियर हाईस्कूलों में अरसे से प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों की कमी है। शिक्षा निदेशालय ने तो 800 प्रधानाध्यापक, 1444 शिक्षकों यानी 2244 पदों को भरने के लिए शासन को बाकायदे पत्र भी भेजा था। इस अधियाचन में कुछ जिलों के शामिल न होने और बाद में अधिक संख्या में खाली पद सामने आने पर शासन ने इसी माह सीधी भर्ती कराने का आदेश दिया है। शासनादेश के दो दिन बाद ही प्रमुख सचिव डिंपल वर्मा ने बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा को निर्देश भेजा भेजा। शिक्षा निदेशक ने पुरानी भर्तियों में पद न भरने की स्थिति को भांपते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर सीधी भर्ती करने के लिए अधिकृत कर दिया है।
बेसिक शिक्षा के अपर निदेशक विनय कुमार पांडेय ने बताया कि भर्ती में पद की सीमा तय करने के बजाय शासन ने विद्यालयों के लिए तय न्यूनतम मानक के तहत भर्ती करने को कहा है। इसमें केवल 2244 पद ही नहीं भरे जाएंगे बल्कि जो भी शैक्षिक पद खाली हैं, वह सब भरना है। यानी एक विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, चार सहायक अध्यापक हर हाल में तैनात रहेगा। इसके लिए बेसिक शिक्षा अधिकारियों को शासन से बढ़े पदों के लिए अलग से अनुमति भी नहीं लेनी होगी। भर्ती प्रक्रिया को 31 मार्च 2016 तक हर हाल में पूरा करने का निर्देश दिया गया है।
30 सितंबर तक नहीं भरा एक पद
अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल में बीते जून में ही 800 प्रधानाध्यापक एवं 1444 सहायक अध्यापक एवं 528 लिपिकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। उस समय भी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया, लेकिन प्रदेश भर में एक भी पद नहीं भरा गया। भर्ती पूरी करने के लिए समय बढ़ाकर 30 सितंबर तक किया गया था। इन स्कूलों में अनुचरों के भी जो पद खाली थे, वो सीधी भर्ती से भरने के बजाय प्रबंधतंत्र को ही इसकी नियुक्ति की जिम्मेदारी सौंप दी थी।
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