स्कूलों में सिर्फ लगती रही हाजिरी, बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में नहीं हो सकी पाठ्यक्रम के अनुरूप पढ़ाई, नियुक्तियों में बंटाधार के चलते हुआ यह हाल
📌 अंधेरे में भविष्य
इलाहाबाद : अमूमन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्तियां पठन-पाठन को बेहतर बनाने के लिए होती हैं, लेकिन इस साल नियुक्तियों के चलते स्कूलों में पढ़ाई की गाड़ी पटरी से उतर गई। शिक्षामित्र व शिक्षक नौकरी बचाने और नियमित करने के लिए आंदोलन की राह पकड़े रहे और स्कूलों में छात्र-छात्रओं की सिर्फ हाजिरी लगती रही। पाठ्यक्रम के अनुरूप पढ़ाई नहीं हो सकी और अब वार्षिक परीक्षाएं भी आ गई हैं।
राहत की बात यह है कि नियमों के कारण परीक्षार्थियों के फेल होने का खतरा नहीं है।1बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में इस वर्ष भले ही नया शैक्षिक सत्र अप्रैल से शुरू हुआ, लेकिन नियुक्तियों के चलते यहां पढ़ाई ठप हो गई है। स्कूलों में पहले नामांकन व प्रभातफेरियां निकलती रही। जब शैक्षिक गतिविधियां तेज हुईं उसी समय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न केवल शिक्षामित्रों का समायोजन रद कर दिया, बल्कि एक लाख सत्तर हजार से अधिक शिक्षामित्रों की नियुक्ति अवैध ठहरा दी। शिक्षामित्र नौकरी बचाने के लिए आंदोलन की राह पर बढ़ चले। कई दिनों तक विद्यालयों में ताला पड़ा रहा और बाद में कार्य बहिष्कार जारी रहा।
विद्यालयों में शिक्षामित्र अपनी मर्जी के अनुरूप जा रहे हैं। उनकी उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर भी ऊहापोह है। इस समय पंचायत चुनाव से फिर पढ़ाई प्रभावित है। कई स्कूलों में तो शिक्षकों की कमी से तालाबंदी की नौबत है। ऐसे में पाठ्यक्रम पूरा होने चाहिए परीक्षा पास करने भर की भी पढ़ाई नहीं हो पाई है।
📌 नियुक्तियों के चक्कर में हुआ पढ़ाई का बंटाधार
इस समय माध्यमिक स्कूलों में भी पढ़ाई ठप है। अधिकांश शिक्षक पंचायत चुनाव कराने में व्यस्त हैं और जो बचे हैं वह स्कूल संचालन भर में योगदान दे रहे हैं। साथ ही यूपी बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे हैं। प्रायोगिक परीक्षाएं तो अगले महीने ही शुरू हो रही हैं जो मंडलवार अगले माह भी चलेंगी।
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