दावेदारों की बड़ी संख्या ने खोली 72825 भर्ती की पोल, 58 हजार नियुक्ति, फिर भी टीईटी में उम्दा अंक पाने वालों की भरमार, गलतियां ढूंढने में अभी लगेगा वक्त
इलाहाबाद । प्राथमिक स्कूलों में 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती की गड़बड़ियां आहिस्ता-आहिस्ता सामने आ रही हैं। जिस तरह से बेसिक शिक्षा परिषद को दावेदारों ने आवेदन भेजे हैं, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि बड़े पैमाने पर नियमों की अनदेखी की गई है, जिससे अच्छे अंक पाने वाले नौकरी पाने से दूर हुए। हालांकि तमाम दावेदारों ने अपने आवेदन सलीके से नहीं भेजे हैं और उसमें चयन न हो पाने का कारण भी नहीं ही लिखा है। फिर भी जो कुछ आया है वह भर्ती प्रक्रिया की पोल खोलने भर के लिए काफी है।
प्रदेश की पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 में माध्यमिक शिक्षा परिषद की देखरेख में हुई थी। उस समय पांच लाख 96 हजार 733 अभ्यर्थियों ने इम्तिहान दिया था। दो लाख 92 हजार 913 यानी 49.09 फीसद उत्तीर्ण हुए। इन्हीं अभ्यर्थियों को शिक्षक बनाने के लिए सरकार ने 72 हजार शिक्षकों की भर्ती निकाली, पर काफी उतार-चढ़ाव से गुजरते हुए जैसे-तैसे यह भर्ती शुरू हो पाई। संयोग यह है कि जब नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई तब टीईटी मेरिट को ही आधार बनाया गया, पर माध्यमिक शिक्षा परिषद के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं था। भर्ती में घोटाले के सबूत मिलने पर पुलिस ने सारे रिकॉर्ड जब्त कर लिये थे। कहा जा रहा है कि इसका खूब फायदा उठाया गया। जिन युवाओं ने मेरिट में आने की उम्मीद संजोई थी वे मेरिट अपेक्षा के अनुरूप नीचे आई ही नहीं। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने यह आंकड़ा भी नहीं जुटाया था कि कितने प्रतिशत पर कितने अभ्यर्थी हैं और न ही भर्ती के लिए आवेदन लेने के बाद राज्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (एससीईआरटी) ने ही इस संबंध में रिकॉर्ड तैयार करने की जहमत उठाई। ऐसे में प्रदेश स्तरीय मेरिट काफी ऊपर रही।
शीर्ष कोर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान कट ऑफ से अधिक अंक पाने वालों को भी नौकरी न दे पाने का मसला उठा तो कोर्ट ने इसका जवाब मांगा है। बेसिक शिक्षा परिषद ने सामान्य वर्ग के 70 फीसद व आरक्षित वर्ग के 60 फीसद से अधिक अंक पाने वाले अभ्यर्थियों से प्रत्यावेदन मांगा था। परिषद को करीब 76 हजार आवेदन मिले हैं। यह हाल तब है जब एससीईआरटी 58 हजार से अधिक अभ्यर्थियों को शिक्षक के रूप में नियुक्त कर चुका है। अब आवेदनों की छंटाई चल रही है।
बड़ी तादाद में आवेदन मिलने के बाद भी दावेदारों ने यह नहीं स्पष्ट किया है कि वे शिक्षक बनने से कैसे चूक गए, कुछ दावेदारों ने तो सिर्फ अंक पत्र ही भेज दिया है तो कई ने पत्र लिखकर अपना दुखड़ा सुनाया है। अफसर अब प्रत्यावेदनों को संबंधित जिले की मेरिट को देखते हुए जांचेंगे। उसके बाद ही यह तय हो सकेगा कि आखिर कितने युवा कटऑफ से अधिक अंक पाने के बाद भी शिक्षक नहीं बन सके।
इलाहाबाद : अरसे बाद फिर से 72 हजार शिक्षकों की भर्ती का प्रकरण फिर सतह पर आने जा रहा है। करीब 14 हजार खाली पदों को भरने के लिए आगामी 23 नवंबर से आंदोलन होने जा रहा है। टीईटी संघर्ष मोर्चा के संजीव ने बताया कि प्रदेश भर के अभ्यर्थी परिषद कार्यालय का घेराव करके पूछेंगे कि आखिर विशेष आरक्षण के तहत खाली सीटें क्यों नहीं भरी जा रही हैं।
इलाहाबाद : शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी 2011 के आकड़ों से किसी का वास्ता नहीं है। न परीक्षा कराने वाली संस्था ने उसे संजोया और न ही भर्ती कराने वाली इकाई ने ही उसकी चिंता की। शायद इसीलिए टीईटी संघर्ष मोर्चा के संजीव मिश्र को जनसूचना अधिकार के तहत मांगी सूचना का जवाब एक साल बाद भी नहीं मिला। उन्होंने एससीईआरटी, बेसिक शिक्षा परिषद व माध्यमिक शिक्षा परिषद से पूछा था कि टीईटी 2011 के परीक्षा परिणाम में 100 अंक से अधिक नंबर पाने वाले कितने अभ्यर्थी हैं और संशोधित परिणाम जारी होने के बाद 100 अंक से अधिक नंबर वाले अभ्यर्थियों की संख्या कितनी हो जाती है। जवाब न मिलने पर उन्होंने राज्य सूचना आयोग में केस किया है।
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