अप्रैल 2005 के पहले के निजी स्कूलों के टीचर्स को पेंशन नहीं, कोर्ट ने कहा कि इसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं
लखनऊ : हाईकोर्ट ने सूबे में 2006 में सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की श्रेणी में आए एक हजार जूनियर हाई स्कलों में 1 अप्रैल 2005 से पहले से कार्यरत हजारों शिक्षकों को झटका दिया है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इन शिक्षकों को पेंशन स्कीम का फायदा न देने के राज्य सरकार के निर्णय पर मुहर लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि इसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं।
यह आदेश जस्टिस एपी शाही व एआर मसूदी की बेंच ने दिया। कोर्ट ने यूपी सीनियर बेसिक शिक्षक संघ सिंधी विद्यालय की ओर से दायर स्पेशल अपील खारिज करते हुए यह फैसला दिया। याचिका में एकल पीठ के 4 जनवरी 2013 के निर्णय को चुनौती दी गई थी। फैसला सुनाते हुए बेंच ने कहा कि पहले जूनियर हाई स्कूलों में शिक्षकों को पेंशन देने की स्कीम 1964 में बनी एक नियमावली के आधार पर थी। इसके तहत सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के शिक्षक ही पेंशन पाने के हकदार थे। स्कीम में मान्यता प्राप्त लेकिन गैर सरकारी सहायता प्राप्त(प्राइवेट) स्कूलों के शिक्षकों को पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिलता था। सरकार ने 2 दिसंबर 2006 को प्रदेश में एक हजार स्कूलों को सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों की श्रेणी में कर दिया। 8 अप्रैल 2009 को एक आदेश जारी कर कहा कि जिन स्कूलों को 1 अप्रैल 2005 के बाद सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल की श्रेणी में शामिल किया गया है उन स्कूलों को आगे से पेंशन का लाभ दिया जाएगा।
याचिका दायर कर असोसिएशन ने कहा कि नई पेंशन स्कीम से वे शिक्षक वंचित रह जाएंगे जो कि 1 अप्रैल 2005 से परमानेंट शिक्षक हो चुके थे।
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Reviewed by Brijesh Shrivastava
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