प्रदेश भर के बीटीसी कालेजों में साढ़े तीन हजार से अधिक सीटें खाली रह गई, शीर्ष कोर्ट की ओर से तय मियाद पूरी, इसलिए अब यह सीटें भरा जाना संभव नहीं
इलाहाबाद : प्रदेश भर के बीटीसी कालेजों में साढ़े तीन हजार से अधिक सीटें खाली रह गई हैं। तमाम प्रयास के बाद भी इन कालेजों को अभ्यर्थी नहीं मिल सके हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव का कहना है कि शीर्ष कोर्ट की ओर से तय मियाद पूरी हो चुकी है, इसलिए अब यह सीटें भरा जाना संभव नहीं है।
प्रदेश में बीटीसी सत्र 2015 के लिए दाखिले की प्रक्रिया पिछले 21 सितंबर को पूरी हो चुकी है। इस बार परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने सभी सीटें जल्द भरने के लिए सामान्य वर्ग में 30 गुना एवं आरक्षित वर्ग में 50 गुना अभ्यर्थी बुलाने का निर्देश दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि यदि डायट प्राचार्यो को महसूस होता है कि इतने कटऑफ से भी सीटें नहीं भरेंगी तो वह इससे भी अधिक अभ्यर्थी बुलाकर काउंसिलिंग कराकर प्रवेश दे सकते हैं।
इतना होने के बाद भी कुछ जिलों को छोड़कर अधिकांश में सभी सीटें नहीं भर पाई हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के रजिस्ट्रार नवल किशोर ने बताया कि प्रदेश के डायटों में इस बार 10600 सीट के सापेक्ष 10459 अभ्यर्थियों को दाखिला मिला है। बची 141 सीटों के लिए अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी नहीं मिल सके। ऐसे ही निजी कालेजों में 66200 सीटों के सापेक्ष 62737 अभ्यर्थियों ने प्रवेश लिया। वहां 3463 सीटें खाली रह गई हैं।
इनमें से अधिकांश सीटें अनुसूचित जाति, पूर्व सैनिक एवं विकलांग आदि विशेष आरक्षित की हैं। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय ने दाखिले के संबंध में हलफनामा मांगा था, शुक्रवार को उसे दाखिल कर दिया गया है। उसमें यह स्पष्ट कर दिया गया है कि जो सीटें खाली रह गई हैं उसे अब नहीं भरा जा सकता है, क्योंकि शीर्ष कोर्ट ने 21 सितंबर तक सीट भरने का निर्देश दिया था।
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