डेंगू पर अब टूटी बेसिक शिक्षा विभाग की नींद, बेसिक शिक्षा निदेशक ने डेंगू से बचाव के लिए जारी किए बीएसए को निर्देश
☀ ये हैं बचाव के उपाय
● मादा एडीज एजिप्टी मच्छर सामान्यता दिन के समय काटते हैं। इसलिए विद्यालय आने वाले सभी बच्चे पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
● अपने घर व विद्यालय को साफ रखें और कहीं पानी न जमा होने दें।
● मादा एडीज एजिप्टी मच्छर खाली पड़े डिब्बों और गंदी जगहों में पैदा होते हैं, इसलिए कहीं फूलदान, गमलों में ज्यादा पानी न रहने दें।
● अभिभावकों को सलाह दें कि हमेशा मच्छर दानी का प्रयोग करें।
● यदि घर में कोई डेंगू से पीड़ित है तो सुनिश्चित करें कि उन्हें या घर के किसी अन्य सदस्य को मच्छर न काटे।
☀ ये हैं लक्षण
★ पेट में तेज दर्द होना, लीवर और सीने में फ्लूइड का जमा होना, खून में प्लेटलेट्स का कम होना।
लखनऊ। राजधानी सहित प्रदेश के कई जिलों में डेंगू का प्रकोप इस समय तेजी से फैल चुका है। अब तक सैकड़ों की संख्या में डेंगू पीड़ितों की मौत हो चुकी है। लेकिन स्कूली बच्चों व शिक्षकों को इससे जागरुक करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की नींद अब टूटी है।
मंगलवार को बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को डेंगू से बचाव के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए।इन दिनों डेंगू काफी तेजी से फैल गया है। राजधानी में ही कई स्कूली बच्चों से लेकर दर्जनों लोग डेंगू का शिकार हो चुके हैं। बीते दिनों प्राथमिक विद्यालय खुर्रमनगर में एक छात्रा की डेंगू से मौत होने के बाद अब बुधवार को प्राथमिक विद्यालय छावनी मड़ियावं कक्षा दो की एक छात्रा में भी डेंगू की पुष्टि हो गई। लिहाजा इसको लेकर अब बेसिक शिक्षा निदेशक दिनेश बाबू शर्मा ने बच्चों व शिक्षकों को जागरुक करने के निर्देश दिए हैं।
बीएसए को भेजे गए पत्र में उन्होंने कहा है कि एडीज एजिप्टी मच्छर डेंगू बुखार फैलाने वाले वायरस के मुख्य वाहक हैं। इस बीमारी से बचने के लिए कोई टीका नहीं है।डेंगू पहले तो सामान्य बुखार की तरह ही लगता है, पर इसका प्रभाव शरीर पर बहुत खतरनाक होता है। उन्होंने बीएसए को निर्देश दिए हैं कि इसकी रोकथाम के लिए विद्यालयों में अध्यापकों के साथ समन्वय कर प्रसारित करना सुनिश्चित करें। साथ ही विद्यालय के छात्र-छात्राओं को भी इससे जागरुक किया जाए।
परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे इस रोग की चपेट में न आए इसके लिए अभिभावकों को बचाव का पाठ पढ़ाया जाएगा। शिक्षा निदेशक बेसिक ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया है।
शिक्षा निदेशक बेसिक दिनेश बाबू शर्मा ने बीएसए को लिखा है कि अभी तक इस बीमारी से बचने का कोई टीका नहीं है। पहले तो यह सामान्य बुखार की तरह लगता है और बाद में शरीर में खतरनाक प्रभाव पड़ता है। मसलन पेट में तेज दर्द होना, लिवर व सीने में फ्लूइड का जमा होना एवं प्लेटलेट्स का कम होना आदि। इससे बचने के लिए अभिभावकों को जानकारी देना बहुत जरूरी है।
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