इलाहाबाद शहर से खुलेगी यूपी के बेसिक स्कूलों की हकीकत, सुप्रीम कोर्ट ने गठित की कमेटी, चार सप्ताह में रिपोर्ट देने का दिया गया निर्देश, पीने के पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं न होने की शिकायत पर सुप्रीमकोर्ट ने लिया संज्ञान
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में पीने के पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं न होने की शिकायत पर सुप्रीमकोर्ट ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने आदेश के बावजूद स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया न होने पर उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जमीनी हकीकत जानने के लिए कमेटी को मौके का मुआयना कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। सुप्रीमकोर्ट की कमेटी सबसे पहले इलाहाबाद के स्कूलों का मुआयना कर कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगी।
मंगलवार को न्यायमूर्ति दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये आदेश उत्तर प्रदेश के गैर सरकारी संगठन हरिजन महिला की ओर से प्रदेश सरकार के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये। सुप्रीमकोर्ट ने 3 अक्टूबर 2012 को यानि की आज से ठीक चार साल पहले सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि वे छह महीने के भीतर प्राथमिक विद्यालयों में पीने का पानी, बिजली और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं। हरिजन महिला संगठन ने अवमानना याचिका दाखिल कर आदेश का पालन न होने का आरोप लगाया है।
मामले पर सुनवाई के दौरान संगठन की ओर से पेश वकील के. परमेश्वर और विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट के समक्ष यूपी के प्राथमिक स्कूलों की बद्तर हालत बयां करते हुए आंकड़े और फोटो पेश कीं। उन्होंने इलाहाबाद, फतेहपुर और कौशाम्बी के स्कूलों की दुर्दशा का ब्योरा देते हुए कहा कि कोर्ट ने 2012 में स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं मुहैय्या कराने का आदेश दिया था। उस आदेश से पहले ही 2012 में प्रदेश सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं हैं।
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