‘सत्र’ मिला, ‘लाभ’ का अब तक इंतजार, सेवानिवृत्त के बाद प्रदेश के दो हजार शिक्षकों को नहीं मिल पाई पेंशन और बकाया , बेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक ने भेजा प्रस्ताव, शासनादेश अटका, माध्यमिक के उलट बेसिक शिक्षकों से हुआ भेदभाव

 इलाहाबाद : सेवानिवृत्त होने के दिन शिक्षकों को सारे देयक दिए जाने के निर्देश हैं। इस आदेश को प्रदेश के करीब दो हजार शिक्षक आईना दिखा रहे हैं, क्योंकि रिटायर होने के सात माह बाद भी देयक मिलना दूर उनके भुगतान की सुगबुगाहट तक नहीं है। आर्थिक संकट से जूझ रहे शिक्षक दफ्तरों में अधिकारियों की परिक्रमा कर रहे हैं। हालांकि बेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक ने इस संबंध में प्रस्ताव शासन को भेजा है, लेकिन शासनादेश जारी नहीं हो रहा है।



बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों को सत्र लाभ अब भारी पड़ रहा है। शासन ने सूबे के विद्यालयों का शैक्षिक सत्र में बदलाव किया। अब विद्यालय का शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होता है, जबकि पहले एक जुलाई से 30 जून तक का सत्र रहा है। पिछले वर्षो में जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्त तारीख एक अप्रैल से लेकर 30 जून के बीच रही है। उन्होंने सत्र लाभ की मांग की। शासन ने इस संबंध में निर्देश भी जारी किया कि शिक्षकों को सत्र का लाभ दिया जाए। यह आदेश आने तक कई शिक्षक नियमानुसार रिटायर हो चुके थे और अपने देयक आदि का भुगतान निकालना शुरू कर दिया था। वहीं कुछ को पेंशन का भुगतान भी होने लगा था। 



करीब दो हजार शिक्षकों को सत्र लाभ मिलने पर उन्होंने विद्यालयों में पढ़ाना शुरू कर दिया, लेकिन उनके देयकों की गुत्थी सुलझ नहीं पाई। सामान्य रूप से सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों के सभी देयकों के बारे में स्पष्ट निर्देश हैं कि उन्हें क्या और कैसे मिलना है, लेकिन सत्र लाभ पाने वाले शिक्षकों के देयकों के संबंध में कोई गाइड लाइन नहीं थी। साथ ही कई ऐसे सवाल थे जिनका उत्तर विभागीय अफसरों के पास नहीं था। 



मसलन, जो शिक्षक सेवानिवृत्त के देयक निकाल चुके हैं उस धन का समायोजन कैसे किया जाए। सत्र लाभ देने में शिक्षकों को जुलाई में एक वेतनवृद्धि का लाभ मिलना चाहिए वह देय होगी या नहीं या दी जानी है कि भुगतान कहां से होगा। ऐसे ही तमाम सवाल अफसरों को उलझाए रहे। इस संबंध में शासन को कई पत्र भेजकर अफसरों ने निर्देश मांगे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। 



परिषद के वित्त नियंत्रक ने सत्र लाभ वाले शिक्षकों को भुगतान करने के लिए प्रस्ताव भी भेजा है, फिर भी शासनादेश अब तक जारी नहीं हो सका है। दफ्तरों में आए दिन पहुंचने वाले शिक्षकों को जल्द आदेश आने का वादा किया जा रहा है, लेकिन किसी को नहीं मालूम कि आखिर उनके भुगतान की गुत्थी सुलङोगी कब?

‘सत्र’ मिला, ‘लाभ’ का अब तक इंतजार, सेवानिवृत्त के बाद प्रदेश के दो हजार शिक्षकों को नहीं मिल पाई पेंशन और बकाया , बेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक ने भेजा प्रस्ताव, शासनादेश अटका, माध्यमिक के उलट बेसिक शिक्षकों से हुआ भेदभाव Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 5:56 AM Rating: 5

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