69000 शिक्षक भर्ती में EWS आरक्षण से संबंधित सैकड़ों याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की खारिज, देखें कोर्ट ऑर्डर


69000 शिक्षक भर्ती में EWS आरक्षण से संबंधित सैकड़ों याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की खारिज, देखें कोर्ट ऑर्डर 

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि अधिनियम का किसी भी कार्यालय ज्ञापन की तुलना में हमेशा अधिक कानूनी मूल्य होता है। अधिनियम के लागू होने के बाद ही संबंधित कार्यालय ज्ञापन को मान्यता प्राप्त हो पाती है।  

मालूम हो कि वर्तमान मामले में याचियों ने सामान्य श्रेणी के अंतर्गत सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा- 2019 में भाग लिया था और उसका परिणाम मई 2020 में जारी हुआ। याचियों का तर्क है कि उन्होंने सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र 10% आरक्षण के लिए दिखाया था। 

याचियों के अधिवक्ता ने कोर्ट को यह बताया कि राज्य सरकार 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान करने के लिए बाध्य है, क्योंकि उक्त परीक्षा 103वें संवैधानिक संशोधन के अधिसूचित होने के साथ-साथ फरवरी 2019 के कार्यालय ज्ञापन के बाद आयोजित की गई थी। 

इस पर कोर्ट ने कहा कि सहायक शिक्षकों के पदों पर भर्ती अधिनियम लागू होने से पहले शुरू की गई थी, इसलिए प्रदेश सरकार उक्त भर्ती प्रक्रिया में कानूनी रूप से आरक्षण प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने शिवम पांडेय और 11 अन्य सहित सैकड़ों याचिकाओं को खारिज करते हुए पारित किया। 

अंत में कोर्ट ने कहा कि कार्यालय ज्ञापन में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि आरक्षण की व्यवस्था राज्य सेवाओं की भर्ती के लिए फरवरी 2019 के बाद जारी अधिसूचना पर लागू होगी। हालांकि उस समय कोई अधिनियम लागू नहीं हुआ था। बाद में वर्ष 2020 के यूपी अधिनियम संख्या 10 के अधिनियमन के माध्यम से उपरोक्त कार्यालय ज्ञापन को मान्यता प्राप्त हुई।


69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर कोर्ट ऑर्डर जारी

69000 शिक्षक भर्ती में ईडब्ल्यूएस आरक्षण नहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में दायर दर्जनों याचिकाओं को किया खारिज

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में ईडब्ल्यूएस(आर्थिक पिछड़ा वर्ग) आरक्षण लागू करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया ईडब्ल्यूएस आरक्षण उत्तर प्रदेश में लागू होने से पूर्व प्रारंभ हो चुकी थी, ऐसी स्थिति में सिर्फ ऑफिस मेमोरेंडम जारी होने के आधार पर राज्य सरकार आरक्षण लागू करने के लिए वैधानिक रूप से बाध्य नहीं है। शिवम पांडे व दर्जनों अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया है।

69000 सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल सामान्य वर्ग के आर्थिक पिछड़े दर्जनों अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल कर भर्ती प्रक्रिया में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने की मांग की थी। कहा गया कि सांसद ने संविधान में 103 वें संशोधन द्वारा 12 जनवरी 2019 को आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। यूपी सरकार ने इसे 18 फरवरी 2019 को ऑफिस मेमोरेंडम जारी कर लागू कर दिया। 

69000 सहायक अध्यापक भर्ती की प्रक्रिया एक दिसंबर 2018 को शुरू हुई मगर शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 में आयोजित की गई ऑफिस मेमोरेंडम लागू होने के बाद तथा इसका परिणाम 12 मई 2020 को घोषित किया गया। याची परीक्षा में सफल रहे उन्होंने आर्थिक पिछड़ा वर्ग का प्रमाण पत्र प्राप्त कर 10 प्रतिशत पदों पर आरक्षण लागू करने के लिए प्रस्तुत किया मगर सरकार ने इसे नहीं माना जिसकी वजह से याची नियुक्त नहीं हो सके।

याचियों के अधिवक्ता का कहना था कि भर्ती परीक्षा में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू होना चाहिए क्योंकि परीक्षा और चयन प्रक्रिया संशोधन लागू हो जाने और ईडब्ल्यूएस प्रावधान को लेकर 18 फरवरी 2019 को लागू को जारी ऑफिस मेमोरेंडम के बाद की गई है।


भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद नहीं लागू होगा एक्ट

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट का 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने की मांग में दाखिल याचिका में कहना था कि यदि चयन प्रक्रिया 16 मई 2019 को सहायक अध्यापक भर्ती का शासनादेश जारी होने के साथ शुरू हो गई अर्थात 18 फरवरी 2019 को ऑफिस मेमोरेंडम के बाद तो क्या सरकार ईडब्ल्यूएस आरक्षण देने को बाध्य है।

कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर यूपी में ईडब्ल्यूएस आरक्षण एक्ट लागू नहीं हुआ था और इस प्रावधान को ऑफिस में मेमोरेंडम द्वारा लागू किया गया था। बाद में इसे एक्ट संख्या 10/ 2020 लागू करके यूपी में वैधानिक बना दिया गया। एक्ट संख्या 10 को 31 अगस्त 2020 से इस विशेष प्रावधान के साथ प्रभावी किया गया एक्ट उन मामलों में लागू नहीं होगा। 

69000 सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया 31 अगस्त 2020 से पहले शुरू हो चुकी थी। कोर्ट का कहना था कि ऑफिस मेमोरेंडम की तुलना में एक्ट का अधिक वैधानिक मूल्य होता है। ऐसी किसी स्थिति में एक्ट संख्या 10/ 2020 के प्रावधान प्रभावी होंगे। इसलिए यूपी सरकार वैधानिक रूप से 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में ईडब्ल्यूएस लागू करने के लिए बाध्य नहीं है।


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