अपठनीय बताकर आरटीई के आवेदन निरस्त किए जाने की शिकायतों के बाद DGSE की पहल के बाद अब सत्यापन के दौरान आवेदक को देना होगा अवसर

अपठनीय बताकर आरटीई के आवेदन निरस्त किए जाने की शिकायतों के बाद DGSE की पहल के बाद अब सत्यापन के दौरान आवेदक को देना होगा अवसर


कई जिलों से जानबूझकर फार्म रद करने की शिकायतें

लखनऊ : शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत बड़ी संख्या में जानबूझकर आवेदन फार्म निरस्त किए जाने की जिलों से शिकायतें आ रही हैं। कानपुर में तो 11,838 आवेदन फार्म में से 4,402 फार्म निरस्त कर दिए गए। ऐसी ही शिकायतें अन्य जिलों की भी हैं। पहली ही लाटरी में 1.82 लाख आवेदन फार्म में से 44,230 आवेदन पत्र निरस्त किए गए। 82 हजार विद्यार्थियों को निजी स्कूलों में प्री-प्राइमरी व कक्षा एक में प्रवेश दिलाने की प्रक्रिया चल रही है।


ज्यादातर मामलों में खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) व बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) ने रिपोर्ट लिखी कि इनके कागजात पठनीय नहीं थे। ऐसे में महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की और से सभी जिलों के बीएसए को पत्र लिखकर सख्त नाराजगी जताई गई है। क्योंकि बड़ी संख्या में आवेदन फार्म व उसके साथ लगाए गए डाक्यूमेंट की प्रतियां लगाकर शिकायतें की गई हैं और उसमें प्रमाण पत्रों की एकदम साफ-सुथरी फोटो कापी लगी हुई है। 


ऐसे में अब आवेदन फार्म निरस्त करने से पूर्व अभिभावक को उनके मोबाइल नंबर पर फोन कर अभिलेखों की साफ-सुथरी प्रति लेनी होगी। बेवजह अगर आवेदन फार्म निरस्त किए गए तो संबंधित बीईओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। निजी स्कूलों को शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए अभी 254 करोड़ रुपये की धनराशि भी भेजी गई है। ऐसे में निजी स्कूल शुल्क न दिए जाने का बहाना नहीं कर सकते। एक छात्र को प्रति महीने 450 रुपये शुल्क प्रतिपूर्ति और पांच हजार रुपये वार्षिक स्टेशनरी इत्यादि खरीदने को दिए जाते हैं।


मालूम हो कि चार चरणों में जुलाई तक 56 हजार निजी स्कूलों में 5.25 लाख सीटों पर गरीब परिवार के बच्चों का मुफ्त दाखिले की प्रक्रिया पूरी होगी। बीते वर्ष करीब एक लाख सीटों पर ही प्रवेश हो सके थे। अब इस वर्ष न्यूनतम दो लाख विद्यार्थियों का निश्शुल्क प्रवेश कराने का लक्ष्य रखा गया है।
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