हजारों शिक्षकों की नौकरी पर फिर मंडराया खतरा, यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट हुई रद्द, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, फिर से बनेगी मेरिट लिस्ट

हजारों शिक्षकों की नौकरी पर फिर मंडराया खतरा, यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट हुई रद्द, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला,  फिर से बनेगी मेरिट लिस्ट


69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को फिर से चयन सूची बनान का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से हजारों शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है।


2019 Assistant Teacher Recruitment Exam: 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 की 1 जून 2020 को जारी चयन सूची व 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को दरकिनार कर नए सिरे से चयन सूची बनाने के आदेश दिए हैं।

 न्यायालय ने इस सम्बंध में 13 मार्च 2023 के एकल पीठ के आदेश को संशोधित करते हुए यह भी निर्णय दिया है कि सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट में आने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में ही माइग्रेट किया जाएगा। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद से सैकड़ों शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है। 

हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार दिए जाने वाले ऊर्ध्वाधर आरक्षण का लाभ, क्षैतिज आरक्षण को भी देना होगा। इसके साथ ही न्यायालय ने इसी भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को खारिज करने के एकल पीठ के निर्णय में कोई हस्तक्षेप न करते हुए तीन माह में नई सूची जारी करने की कार्रवाई पूरी कर लेने को कहा है। 

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि नई सूची तैयार करने के दौरान यदि वर्तमान में कार्यरत कोई अभ्यर्थी प्रभावित होता है तो उसे सत्र का लाभ दिया जाए ताकि छात्रों की पढ़ाई पर असर न पड़े।

यह निर्णय न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने महेंद्र पाल व अन्य समेत 90 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया है। उक्त अपीलों में एकल पीठ के 13 मार्च 2023 के निर्णय को चुनौती दी गई थी जिसमें एकल पीठ ने 69000 अभ्यर्थियों की चयन सूची पर पुनर्विचार करने के साथ-साथ 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 की चयन सूची को खारिज कर दिया था।


क्या था एकल पीठ का आरक्षण के सम्बंध में निर्णय
एकल पीठ ने अपने निर्णय में कहा था कि टीईटी में आरक्षण का लाभ लेने वाले अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी का कटऑफ मार्क्स पाने पर अनारक्षित वर्ग में रखा जाना सही है क्योंकि टीईटी एक अभ्यर्थी को सिर्फ सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में भाग लेने के लिए उपयुक्त बनाता है। हालांकि एकल पीठ ने आगे कहा कि सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में जिन अभ्यर्थियों ने आरक्षण का लाभ लिया है, उन्हें अनारक्षित श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।


खंडपीठ ने यह किया संशोधन 
वहीं खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा है कि सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट के मार्क्स लाने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में ही माइग्रेट किया जाए। न्यायालय ने यह भी कहा है कि हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार दिए जाने वाले ऊर्ध्वाधर आरक्षण का लाभ, क्षैतिज आरक्षण को भी देना होगा। आरक्षण के सम्बंध में आरक्षण अधिनियम की धारा 3(6) सर्विस रूल्स 1981 के अपेंडिक्स-एक का नई सूची बनाते समय पूर्णतया पालन किया जाए।



69000 शिक्षक भर्ती सम्बन्धी कोर्ट ऑर्डर हुआ अपलोड, नए सिरे से सूची निर्माण से प्रभावित होने वाले शिक्षक वर्तमान सत्र में करते रहेंगे कार्य


देखें कार्यकारी आदेश 👇



69000 प्राथमिक शिक्षक भर्ती में नया मोड़, हाईकोर्ट ने सरकार को दिया तीन माह के अन्दर संशोधित मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश, जानिए पूरा मामला विस्तार से 


उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार को 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह फिर से संशोधित मेरिट लिस्ट तीन महीने के अंदर जारी करें. यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों को ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई करते दिया, जिसमें इस भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन नहीं करने की बात कही गई थी. आइए जानते हैं कि 69 हजार शिक्षक भर्ती का पूरा मामला क्या है.


अखिलेश यादव की सरकार में राज्य के 1,72,000 शिक्षा मित्रों का समायोजन शिक्षकों के तौर पर करने का आदेश हुआ. इसमें से 1,37,000 हजार शिक्षा मित्र समायोजित हुए. इसके खिलाफ शिक्षक कोर्ट गए तो सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन रद्द कर राज्य सरकार को खाली पड़े पदों पर भर्ती करने का आदेश दिया. राज्य सरकार ने 69,000 और 68,500 शिक्षकों की भर्ती निकाली. इसमें 69 हजार शिक्षक भर्ती का विज्ञापन दिसंबर 2018 में जारी किया गया था. कुल 4 लाख 10 हजार युवाओं ने फॉर्म भरा था. इसमें 1 लाख 47 हजार अभ्यर्थी पास हुए, जिनमें आरक्षित वर्ग के 1 लाख 10 हजार अभ्यर्थी शामिल थे. इन आरक्षित वर्ग में ओबीसी की संख्या 85,000 थी.


ओबीसी और सामान्य का कितना था कट ऑफ?

सरकार ने परीक्षा होने तक कट ऑफ लिस्ट जारी नहीं की थी. परीक्षा के एक दिन बाद कट ऑफ लिस्ट जारी की गई. जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 65 और ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत नंबर रखे गए. डिग्री और कट ऑफ को मिलाकर गुणांक बनता है. इसी गुणांक के आधार पर मेरिट तैयार होती हैय. ऐसे में मेरिट लिस्ट में सामान्य वर्ग का कट ऑफ 67.11 और ओबीसी का कट ऑफ 66.73 रखा गया.


अभ्यर्थियों ने लगाए ये आरोप

नतीजों के बाद लगभग 1000 अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंचे और दावा किया कि प्रश्न पत्र में एक सवाल गलत था यानी अभ्यर्थियों को एक नंबर गलत तरीके से मिला. जांच हुई तो आरोप सही पाया गया. तब हाईकोर्ट ने कहा कि जितने अभ्यर्थी कोर्ट आए थे, उनके एक नंबर बढ़ाए जाए. इसके बाद कुछ अभ्यर्थियों ने दावा किया कि आरक्षण देने में अनियमितता हुई है.


आरक्षण नियमावली का नहीं हुआ पालन

कुल 69 हजार पदों में ओबीसी का हिस्सा 18,598 बन रहा था. परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा विभाग की वेबसाइट से नतीजों की पूरी लिस्ट निकाली. तीन महीनों तक रिसर्च किया. अभ्यर्थियों का दावा है कि इस लिस्ट में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का अनुपालन नहीं किया गया. आरक्षण नियमावली कहता है कि नंबर के हिसाब से जनरल केटेगरी के हिसाब से अंक पाने वालों को आरक्षित वर्ग से निकाल कर सामान्य वर्ग में रखा जाए.


राज्य सरकार ने क्या दिए जवाब?

वहीं आरक्षित वर्ग को उनके कट ऑफ के हिसाब से चयनित किया जाए. दावा ये भी किया गया कि सरकार ने मात्र तीन फीसदी ही ओबीसी वर्ग का चयन किया है. हालांकि जांच के बाद सरकार ने दावा किया कि 18,568 पदों के सापेक्ष 30 हजार से ज्यादा ओबीसी अभ्यर्थियों का चयन इस भर्ती में किया गया. वहीं अभ्यर्थियों का दावा है कि सरकार ने पास हुए ओबीसी अभ्यर्थियों में 27% ऐसे अभ्यर्थियों को चयनित किया, जो ओबीसी कट ऑफ पा रहे थे. यानी दावे के मुताबिक आरक्षण नियमावली का पालन नहीं किया गया.


इसके बाद राज्य सरकार से लेकर पिछड़ा वर्ग आयोग और हाईकोर्ट तक में अभ्यर्थियों ने अपनी मांग उठाई. दावा है कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी माना की गड़बड़ी हुई है. साल 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार को दोबारा शिक्षक भर्ती लिस्ट बनाने को कहा. अभ्यर्थी देर होता देख डबल बेंच के पास चले गए और अब डबल बेंच ने मामले में अपना फैसला सुनाया है.
हजारों शिक्षकों की नौकरी पर फिर मंडराया खतरा, यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती की पूरी लिस्ट हुई रद्द, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, फिर से बनेगी मेरिट लिस्ट Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 4:59 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.