स्कूलों के विलय से जुड़ी प्रक्रिया बाढ़ के कारण हो रही प्रभावित, एक किमी से ज्यादा दूरी और 50 से ज्यादा नामांकन वाले स्कूलों का रद्द होना है विलय


स्कूलों के विलय से जुड़ी प्रक्रिया बाढ़ के कारण हो रही प्रभावित, एक किमी से ज्यादा दूरी और 50 से ज्यादा नामांकन वाले स्कूलों का रद्द होना है विलय


लखनऊ। प्रदेश में लगभग दो दर्जन जिले इस समय बाढ़ से प्रभावित हैं। इसका असर बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से चल रही विलय की प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है। इन जिलों के बीएसए की ओर से विभाग से समय बढ़ाने की मांग की गई है। ऐसे में इस प्रक्रिया को पूरा करने में अभी थोड़ा और समय लगेगा।

प्रदेश में लगभग डेढ़ महीने से कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) की प्रक्रिया चल रही है। जिलों से मिली सूचना व विरोध के बाद एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी और 50 से ज्यादा नामांकन वाले विद्यालयों का विलय निरस्त करने का निर्देश दिया गया है। इस पर तेजी से काम भी शुरू हुआ।

कई जिलों में यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसके तहत कहीं 30 तो कहीं 40 स्कूलों का विलय निरस्त किया गया है। ऐसे में लगभग दो से तीन हजार विद्यालयों का विलय निरस्त होने की संभावना है।

वहीं इसी बीच बनारस, प्रयागराज, मिर्जापुर, भदोही, जालौन, औरैया, आगरा, कानपुर देहात, फतेहपुर, बलिया आदि पूर्वांचल के कई जिलों में आई बाढ़ से विलय की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। कुछ जिलों में मानक के विपरीत हुए विद्यालयों का विलय निरस्त कर दिया गया है। तो कुछ जगह पर इसकी प्रक्रिया नहीं पूरी हो पाई है। इसका कारण विभाग के अधिकारियों की बाढ़ प्रभावित जिलों में ड्यूटी लगना और स्कूलों का बंद होना, उनका सेल्टर बनना भी है।

इसी तरह जिन विद्यालयों का विलय किया गया, उनमें से कई स्कूलों में शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किया गया है। क्योंकि उनकी ड्यूटी भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लगी हुई है। कुछ जिलों के बीएसए ने निदेशालय को भी पत्र भेजकर इसके लिए समय मांगा है। वहीं विभागीय अधिकारी भी मान रहे हैं कि एक सप्ताह में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएगी। इसमें अभी थोड़ा समय और लगेगा। उसके बाद भी संख्या स्पष्ट होगी। 




जिलों में 20 से 25 और प्रदेश में दो से तीन हजार स्कूलों का विलय होगा निरस्त, पेयरिंग के लिए एक किलोमीटर से कम दूरी व 50 से कम बच्चों की संख्या का मानक बनेगा आधार, मनमानी पेयरिंग करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई

अंबेडकरनगर में 154, चित्रकूट में 40, गोरखपुर में 31 का विलय रद्द

हर जिले में करीब 20 से 25 स्कूलों का विलय होगा वापस

एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी वाले स्कूलों का विलय निरस्त किए जाने के निर्देश के बाद जिलों में कार्यवाही शुरू हुई तो विलय में की गई मनमानी सामने आई। अब तक मिली जानकारी के अनुसार ललितपुर में 12, गोरखपुर में 31, चित्रकूट में 40, अंबेडकरनगर में 154 विद्यालयों का विलय निरस्त किया गया है। एक अनुमान के मुताबिक हर जिले में लगभग 20-25 व कुछ जगह पर और ज्यादा संख्या में विद्यालयों का विलय निरस्त किया जा रहा है। ऐसे में यह संख्या प्रदेश भर में दो से तीन हजार तक होने की संभावना है।


लखनऊ। प्रदेश में एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी वाले और 50 से ज्यादा संख्या वाले स्कूलों का विलय (पेयरिंग) निरस्त करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार लगभग दो से तीन हजार विद्यालयों का विलय निरस्त होगा। इसमें सर्वाधिक संख्या एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी वाले विद्यालयों की है।

प्रदेश में पिछले एक महीने से ज्यादा समय से चल रही परिषदीय विद्यालयों के विलय की प्रक्रिया में स्थानीय अधिकारियों की मनमानी के मामले सामने आए हैं। इसकी शिकायत व विरोध-प्रदर्शन बढ़ने पर विभाग ने एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी वाले और 50 से ज्यादा नामांकन वाले विद्यालयों का विलय निरस्त करने के निर्देश दिए। प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी करने को कहा गया है।

मनमानी करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई
एक दिन पहले रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मानक के अनुरूप ही स्कूलों की पेयरिंग करने और इसमें अनियमितता बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। इसके बाद विभाग ने लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए सोमवार को निदेशालय स्तर पर समीक्षा की गई है। माना जा रहा है कि जल्द ही मामले में कार्रवाई की जाएगी।

बीएसए व अन्य अधिकारी जिलों में नियमानुसार कार्यवाही कर रहे हैं। तीन चार दिन के बाद विलय निरस्त होने वाले स्कूलों की संख्या की स्थिति स्पष्ट होगी। - कंचन वर्मा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा



स्कूलों के विलय में गड़बड़ी तो अफसरों पर होगी कार्रवाई – सीएम योगी 

04 अगस्त 2025
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि मानक के अनुरूप ही स्कूलों का विलय (पेयरिंग) किया जाए। रविवार शाम को बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए सीएम ने कहा कि इस कार्य में अनियमितता बरतने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए



विवाद बढ़ा तो फिर से शुरू हुई स्कूल पेयरिंग की जांच, मंत्री के निर्देश के बाद जिले स्तर पर अधिकारी कर रहे समीक्षा, पेयरिंग भी निरस्त होने लगी

03 अगस्त 2025
लखनऊ: जब बवाल बढ़ा तो बेसिक स्कूलों की पेयरिंग की नए सिरे से जांच शुरू हो गई है। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने के निर्देश के बाद विभाग के अफसरों ने स्कूलों की पेयरिंग की जांच शुरू कर दी है। जिलों में स्कूलों की पेयरिंग निरस्त भी होनी शुरू हो गई है। ज्यादातर जिलों में अधिकारी समीक्षा कर रहे है और एक बार फिर से स्थलीय निरीक्षण भी किया जा रहा है।

शुरू से ही आने लगी थीं शिकायतें
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार ने 16 जून को स्कूलों की पेयरिंग के आदेश दिए थे। इसमें कहा गया था कि जहां छात्र संख्या कम है, उन स्कूलों की पेयरिंग दूसरे नजदीकी स्कूल के साथ की जाएगी। इस आदेश में दूरी और छात्र संख्या का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं था। इस आदेश के बाद सभी जिलों में पेयरिंग शुरू हो गई। पेयरिंग के बाद काफी शिकायतें आने लगी। अभिभावकों, ग्राम पंचायत सदस्यों, ग्राम प्रधानों ने लिखित शिकायतें भी की। इनमें कहा गया कि पेयरिंग के बाद बच्चों को बहुत दूर पढ़ने जाना होगा। वहीं छात्र संख्या का कोई मानक न होने की शिकायतें आई। इस बीच राजनीतिक विरोध भी तेज हो गया।

मंत्री ने साफ की स्थिति
गतिरोध बढ़ता देख बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि एक किलोमीटर से दूर किसी स्कूल की पेयरिंग नहीं होगी। जहां 50 से ज्यादा बच्चे हैं, उन स्कूलों की भी पेयरिंग नहीं की जाएगी। यदि मानकों के विपरीत कहीं पेयरिंग हुई है तो उसको निरस्त किया जाएगा। पेयरिंग का मकसद शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाना है। पेयरिंग से खाली स्कूलों में बाल वाटिकाएं संचालित की जाएंगी। 

आखिर क्यों आई यह नौबत ?
जब पेयरिंग की गई तो उस आदेश में सिर्फ यह लिखा गया कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के पेयरिंग दूसरे स्कूलों में की जाएगी। अपर मुख्य सचिव के आदेश में यह यह साफ नहीं किया गया था कि कितनी छात्र संख्या पर स्कूल की पेयरिंग की जाएगी? जहां का स्कूल शिफ्ट से दूसरे स्कूल की दूरी कितनी होनी चाहिए? अपर मुख्य सचिव का आदेश आते ही आनन-फानन में पेयरिंग शुरू हो गई। जिले के अधिकारियो ने भी दूरी और छात्रसंख्या का कोई ध्यान नही दिया। किसी ने 20, किसी ने 30 तो किसी ने 50 छात्रसंख्या पर स्कूलो की पेयरिंग के आदेश भी कर दिए। 

बाद में पता यह चला कि कुछ जिलो में 50 से भी अधिक छात्र संख्या पर स्कूलों की पेयरिंग कर दी गई। जब विरोध हुआ, शिकायते आई और मामला कोर्ट में पहुंचा तो अधिकारियो को हालात की नजाकत समझ आई। इसके बाद संदीप सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अब दोबारा परीक्षण किया जा रहा है।



1 किमी से अधिक दूरी वाले विद्यालय नहीं होंगे विलय, 50 छात्र वाले स्कूल मर्ज नहीं होंगे, जो हुए उनका मर्जर होगा रद्द, बेसिक शिक्षा मंत्री ने साफ की स्थिति, कहा-विपक्ष इस संदर्भ में फैला रहा भ्रम

किसी शिक्षक की नहीं जाएगी नौकरी, कमी होगी तो नए भर्ती होंगे, कोई रोक नहीं

स्थाई रूप से नहीं बंद किया जा रहा कोई विद्यालय, जरूरत हुई तो फिर क्रियाशील होंगे

01 अगस्त 2025
 लखनऊ : प्राथमिक विद्यालयों के उच्च प्राथमिक में पेयरिंग (विलय) को लेकर शिक्षक संगठनों व विभिन्न वर्ग के लोगों द्वारा प्रकट की जा रही चिंताओं के बीच बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया है कि पेयरिंग सिर्फ उन्हीं प्राथमिक विद्यालयों को शामिल किया जाएगा जहां छात्र संख्या 50 से कम है। यह भी देखा जाएगा कि जिस विद्यालय में पेयरिंग की जा रही है वह एक किलोमीटर से अधिक दूर न स्थित हो। गुरुवार को लोकभवन में मीडिया से बातचीत करते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्ष इस संदर्भ में भ्रम फैला रहा है। यदि छात्र संख्या और दूरी के मानक पर किसी विद्यालय की पेरिंग हो गई है तो उसे रद किया जाएगा। एक सप्ताह के भीतर पेयरिंग की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।


बेसिक शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से छात्रहित में की गई है। न तो किसी विद्यालय को स्थाई रूप से बंद किया जा रहा है और न ही शिक्षकों की भर्ती पर कोई रोक लगाई गई है। विद्यालय पेयरिंग को लेकर विपक्षी दल अनावश्यक भ्रांतियां और अफवाहें फैला रहे हैं। भविष्य में यदि छात्रों की संख्या बढ़ती है, तो विलय किए गए विद्यालयों को फिर से क्रियाशील किया जाएगा। यू-डाइस कोड भी यथावत रहेगा और किसी भी शिक्षक की सेवा समाप्त नहीं की जाएगी। जरूरत के अनुसार शिक्षकों की नई भर्ती भी की जाएगी।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि हाल ही में जिन विद्यालयों का विलय किया गया है, उनमें 15 अगस्त से बाल वाटिकाओं (केजी नर्सरी) की शुरुआत की जाएगी। इन बाल वाटिकाओं में तीन से छह वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए विशेष पाठ्यक्रम, खेल सामग्री और प्रारंभिक शिक्षा की समुचित व्यवस्था की जाएगी। इनके संचालन हेतु शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

विभागीय उपलब्धियों की चर्चा करते हुए मंत्री ने बताया कि इस वर्ष 27.53 लाख बच्चों का नया नामांकन हुआ है, जबकि प्रदेश के 46 हजार से अधिक विद्यालयों को 'निपुण' घोषित किया जा चुका है। शिक्षक समायोजन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और अब तक 20,182 शिक्षकों को उनकी सहमति से समायोजित किया जा चुका है। अभिभावकों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए बीएसए कार्यालयों में शिकायत निवारण तंत्र विकसित किया गया है। 69 हजार शिक्षक भर्ती से संबंधित सवाल पर मंत्री ने कहा कि मामला न्यायालय में लंबित है और सरकार न्यायालय के आदेश का पालन करेगी। इस दौरान अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार भी उपस्थित रहे।


पेयरिंग किए गए स्कूलों का होगा परीक्षण

प्रदेश में अब तक 10,684 परिषदीय विद्यालयों की पेयरिंग (विलय) की जा चुकी है। बेसिक शिक्षा विभाग ने यह कार्य उन स्कूलों के लिए किया जिनमें छात्र संख्या 50 से कम थी, पर शिक्षक संगठनों का कहना है कि कई ऐसे विद्यालय भी विलय में शामिल हैं, जिनमें छात्र संख्या 50 से अधिक थी। इसके अलावा, कुछ विद्यालयों के बीच दूरी एक किलोमीटर से अधिक है, जो छात्रों की सुविधा के हिसाब से अनुचित है। 

अब जब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 50 से अधिक नामांकन वाले और बस्ती से एक किलोमीटर से ज्यादा दूर स्थित स्कूलों की पेयरिंग नहीं की जाएगी, इससे भविष्य में विलय किए जाने वाले विद्यालयों की संख्या घट सकती है। इस संबंध में मंडल स्तर पर सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को निर्देश है कि वे अपने जिले में पेयरिंग किए गए सभी स्कूलों की भौगोलिक दूरी, छात्र संख्या और अवस्थापना सुविधाओं के आधार पर जांच करें। 

वहीं, सीतापुर जिले में 14 विद्यालयों की पेयरिंग की गई, जबकि उनमें 50 से अधिक छात्र नामांकित हैं। यह मामला अब हाई कोर्ट में विचाराधीन है और विभाग को 21 अगस्त को शपथ पत्र दाखिल करना है। उधर, बेसिक शिक्षा विभाग ने यह भी निर्णय लिया है कि जिन विद्यालयों का विलय हो गया है, वहां बाल वाटिका (प्री-प्राइमरी कक्षा) संचालित की जाएगी। 


7000 से अधिक जर्जर विद्यालयों की मरम्मत
बेसिक शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी कि प्रदेश के 7,000 से अधिक जर्जर विद्यालय भवनों की मरम्मत कराई जा चुकी है और शेष पर कार्य प्रगति पर है। शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी विद्यालयों का सेफ्टी आडिट कराया जा रहा है। गंभीर रूप से जर्जर भवनों की पहचान कर उन्हें ध्वस्त करने की कार्रवाई भी की जा रही है।




UP School Merger: प्राइमरी स्कूल मर्जर पर यूपी सरकार का बड़ा फैसला, 1 किमी से अधिक दूरी वाले विद्यालय नहीं होंगे विलय

यूपी में 50 छात्र वाले प्राइमरी स्कूल मर्ज नहीं होंगे, जो हुए उनका मर्जर होगा रद्द

🔴 एक किलोमीटर से अधिक दूरी और 50 से अधिक छात्र संख्या वाले जो स्कूल मर्ज हुए हैं, उन्हें फिर अनपेयर किया जाएगा। यानी, मर्जर कैंसिल किया जाएगा।

🔴 सरकार शिक्षा भर्ती के खिलाफ नहीं है। छात्र शिक्षक अनुपात के अनुसार, 50 छात्र संख्या वाले स्कूल में दो सहायक टीचर और एक विषय टीचर नियुक्त किया जाएगा। इस मानक को पूरा करने के लिए आवश्यक हुआ तो शिक्षक भर्ती करेंगे।

🔴 मर्जर से खाली स्कूल में महिला और बाल कल्याण विभाग के सहयोग से बाल वाटिका चलाई जाएगी। बाल वाटिका में 3 से 6 साल के बच्चे पढ़ेंगे, उनके लिए पाठ्यक्रम तैयार किया है। बाल वाटिका के लिए करीब 18 हजार एजुकेटर्स भी जेम पोर्टल से भर्ती किए।

🔴 स्कूलों का मर्जर छात्र हित में किया गया, ताकि उन्हें बेहतर शिक्षा और संसाधन मिले। कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा और शिक्षक का एक भी पद समाप्त नहीं होगा

🔴 प्रदेश में बिना मान्यता के संचालित स्कूलों को अभियान चलाकर बंद किया जाएगा।


यूपी में प्राइमरी स्कूलों के मर्जर पर सरकार ने बड़ा फैसला किया है. राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि एक किमी से अधिक दूरी वाले किसी भी स्कूलों को मर्ज नहीं किया जाएगा. यही नहीं, अगर किसी स्कूल में 50 से अधिक छात्र हैं तो उसे भी मर्ज नहीं किया जाएगा. यह ऐलान बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह ने किया है.

स्कूल मर्जर का विभिन्न जिलों में विरोध हो रहा था. वहीं विलय के बाद दूसरा स्कूल दूर पड़ रहा था. इसका भी अभिभावक विरोध कर रहे थे. ऐसे में राज्य सरकार ने प्राइमरी स्कूल विलय पर फैसला लेते हुए कहा कि एक किलोमीटर से अधिक दूरी वाले किसी भी प्राथमिक विद्यालय को मर्ज नहीं किया जाएगा. मंत्री ने कहा कि जिस भी विद्यालय में छात्रों की संख्या 50 तक होगी. उनमें तीन शिक्षकों की तैनाती अनिवार्य होगी. वहीं हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीतापुर जिले के स्कूल मर्जर पर अगले आदेश तक रोक भी लगा दी थी.




यूपी में प्राइमरी स्कूलों के मर्जर पर सरकार ने बड़ा फैसला किया है। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा- एक किमी से अधिक दूरी पर किसी भी स्कूल को मर्ज नहीं किया जाएगा। यही नहीं, अगर किसी स्कूल में 50 से अधिक छात्र हैं तो उसे भी मर्ज नहीं किया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि जो स्कूल मर्ज हो चुके हैं। उनको अनपेयर यानी उनका मर्जर कैंसिल किया जाएगा। साथ ही, मर्जर में स्कूल की जो बिल्डिंग खाली हो रही हैं, उनमें बाल कल्याण विभाग के सहयोग से बाल वाटिका शुरू की जाएगी। इसमें 3 से 6 साल के बच्चे पढ़ेंगे।

लोक भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री ने दावा किया कि कोई भी स्कूल बंद नहीं होगा। न ही एक भी टीचर का पद समाप्त किया जाएगा। दरअसल, यूपी सरकार ने 16 जून 2025 को प्राइमरी स्कूलों का मर्ज करने का फैसला किया था। अब तक 10827 स्कूल का मर्जर हुआ है।

सरकार के इस फैसले के खिलाफ सीतापुर की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने मर्जर के आदेश को सही बताया था। इसके बाद सीतापुर के ही कुछ अन्य बच्चों ने डबल बेंच में याचिका लगाई थी। कोर्ट ने सीतापुर के 210 में से 14 स्कूलों का मर्जर रोक दिया था।


बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून, 2025 को एक आदेश जारी किया था। इसमें यूपी के हजारों स्कूलों को बच्चों की संख्या के आधार पर नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश दिया था। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे शिक्षा की क्वालिटी में सुधार और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा।

सरकार के आदेश को 1 जुलाई को सीतापुर की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। एक अन्य याचिका 2 जुलाई को भी दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि यह आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून (RTE Act) का उल्लंघन करता है।

छोटे बच्चों के लिए नए स्कूल तक पहुंचना कठिन होगा। यह कदम बच्चों की पढ़ाई में बांधा डालेगा। इससे असमानता भी पैदा होगी। जस्टिस पंकज भाटिया की पीठ में 3 और 4 जुलाई तक बहस हुई। 4 जुलाई को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस पंकज भाटिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

7 जुलाई को सिंगल बेंच ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। कहा था- यह फैसला बच्चों के हित में है। ऐसे मामलों में नीतिगत फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती, जब तक कि वह असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हो।

सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ डबल बेंच में 3 याचिकाएं दायर की गई थीं। 7 दिन पहले लखनऊ हाईकोर्ट ने सीतापुर जिले के 210 में से 14 प्राइमरी स्कूलों के मर्जर पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा- अभी पुरानी स्थिति को बहाल रखा जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।

स्कूलों के विलय से जुड़ी प्रक्रिया बाढ़ के कारण हो रही प्रभावित, एक किमी से ज्यादा दूरी और 50 से ज्यादा नामांकन वाले स्कूलों का रद्द होना है विलय Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 6:17 AM Rating: 5

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