विद्यालय पेयरिंग के फलस्वरूप रिक्त विद्यालय भवन में बालवाटिका संचालित किये जाने के सम्बन्ध में

 बालवाटिका में समन्वय के लिए शिक्षामित्र-शिक्षक की तैनाती, ईसीसीई एजुकेटर की तैनाती तक के लिए होगी यह व्यवस्था


लखनऊ। प्रदेश में कम नामांकन वाले विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के बाद खाली हुए 5000 से ज्यादा विद्यालयों में 15 अगस्त से बालवाटिका की शुरुआत हो चुकी है। बालवाटिका के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ बच्चों को पढ़ाने के लिए ईसीसीई एजुकेटर की तैनाती की जा रही है। जब तक ईसीसीई एजुकेटर की तैनाती की प्रक्रिया अभी चल रही है। तब तक इन विद्यालयों में तैनात रहे एक शिक्षामित्र या शिक्षक को यहां के समन्वय के लिए लगाया गया है।

दरअसल, महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से पांच अगस्त को जारी आदेश को लेकर शिक्षकों में ऊहापोह है। उनका कहना है कि मर्जर वाले विद्यालय के शिक्षक अपने मूल विद्यालय (बालवाटिका) में ही पढ़ाएंगे। वहीं, विभाग का कहना है कि आदेश की गलत व्याख्या की जा रही है।

मर्जर वाले विद्यालय के शिक्षक अपने मूल विद्यालय में नहीं पढ़ाएंगे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने कहा कि जब तक बालवाटिका के लिए ईसीसीई एजुकेटर की तैनाती चल रही है, तब तक एक शिक्षामित्र या शिक्षक, जो पहले यहां तैनात रहे हैं, उनको यहां पठन-पाठन के समन्वय के लिए कहा गया है। यह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ मिलकर व्यवस्था करेंगे। 

उन्होंने बताया कि लखनऊ समेत कई जिलों में ईसीसीई एजुकेटर की भर्ती की जा चुकी है। कुछ जिलों में चल रही है। जल्द ही इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। ऐसे में इसे लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए कि एक शिक्षक दो-दो विद्यालयों में पढ़ाएंगे। न ही विलय के बाद शिक्षकों को उनके पूर्व के विद्यालय (विलय वाले) में भेजने की कोई प्रक्रिया चल रही है।




तो दो-दो जगह पढ़ाएंगे शिक्षक? पेयरिंग वाले बेसिक स्कूलों में शिक्षकों को अपने नए स्कूल के साथ ही पुराने स्कूल की बाल वाटिका में भी पढ़ाना होगा


लखनऊ : पेयरिंग वाले बेसिक स्कूलों में शिक्षकों को अपने नए स्कूल के साथ ही पुराने स्कूल की बाल वाटिका में भी पढ़ाना होगा। इस तरह के निर्देश महानिदेशक बेसिक शिक्षा ने सभी जिलों के बीएसए को दिए है। अब शिक्षक परेशान हैं कि वे दो जगह जिम्मेदारी कैसे संभालेंगे?

ये है निर्देश : प्रदेश में हाल में कम संख्या वाले 10,827 स्कूलों की पेयरिंग हुई है। इससे खाली हुए स्कूलों में बाल वाटिकाएं चलाई जाएंगी। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बाल वाटिकाओं के संचालन के संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। कहा गया है कि खाली स्कूलों में बाल वाटिकाओं को शिफ्ट करने के बाद इनमें शिक्षण कार्य आंगनबाड़ी वर्कर के साथ समन्वय करते हुए शिक्षा मित्र, सीईसी एजुकेटर, संबंधित विद्यालय के सहायक अध्यापक  करेंगे। ये विशेष तौर से पांच से छह साल के बच्चों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।


शुरुआत में शिक्षक गाइड करेंगे। जब सीईसी एजुकेटर सीख लेंगे तो फिर जरूरत नहीं होगी। सीईसी एजुकेटर की अलग से ट्रेनिंग भी करवाई जाएगी। - कंचन वर्मा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा

दो जगह की जिम्मेदारी मुश्किल प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि जहां पहले से प्राथमिक स्कूल परिसर में बाल वाटिकाएं चल रही हैं, वहां तो शिक्षक बाल वाटिकाओं को देख सकते हैं। स्कूल से अलग पुराने वाले स्कूल की बाल वाटिका की जिम्मेदारी संभालना मुश्किल है।



विद्यालय पेयरिंग के फलस्वरूप रिक्त विद्यालय भवन में बालवाटिका संचालित किये जाने के सम्बन्ध में


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