प्रदेश में अब चार क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण (Tribunal) होंगे, पहले हर मंडल स्तर पर गठन का था इरादा

लखनऊ : बेसिक व माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों व शिक्षणोत्तर कर्मचारियों के सेवा संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए प्रस्तावित राज्य शैक्षिक अधिकरण के तहत अब सिर्फ चार क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण गठित किये जाएंगे। पहले प्रदेश के हर मंडल स्तर पर क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण गठित करने का इरादा था लेकिन वित्त महकमे की आपत्ति के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राज्य शैक्षिक अधिकरण के गठन का संशोधित प्रस्ताव तैयार किया है। संशोधित प्रस्ताव को वित्त विभाग को मंजूरी के लिए भेजा गया है। 


अपनी सेवा संबंधी शिकायतों को लेकर बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक व शिक्षणोत्तर कर्मचारी अभी सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं क्योंकि उनके पास सुनवाई का कोई वैकल्पिक फोरम उपलब्ध नहीं है। इस वजह से बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग हाई कोर्ट में विचाराधीन बीस हजार से ज्यादा मुकदमों से जूझ रहे हैं। 



हाई कोर्ट में बढ़ते मुकदमों की संख्या से चिंतित राज्य सरकार ने ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए उप्र राज्य शैक्षिक अधिकरण गठित करने का फैसला किया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने उप्र राज्य शैक्षिक अधिकरण विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया था जिसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाकर विधानमंडल के मॉनसून सत्र में पारित कराने का इरादा था। 



प्रस्तावित विधेयक में राज्य शैक्षिक अधिकरण के तहत प्रत्येक मंडल स्तर पर रिटायर्ड जिला जज की अध्यक्षता में क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण गठित करने का प्रावधान था। इसमें यह भी व्यवस्था है कि शिक्षक व शिक्षणोत्तर कर्मचारी अपने सेवा संबंधी मामलों को लेकर सीधे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बजाय पहले अपनी शिकायत मंडल स्तर पर गठित होने वाले क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण में दर्ज कराएंगे। क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में गठित राज्य शैक्षिक अधिकरण में अपील की जा सकेगी। 


राज्य शैक्षिक अधिकरण के निर्णय से असंतुष्ट शिक्षक व शिक्षणोत्तर कर्मचारी हाई कोर्ट जा सकेंगे। विधेयक के प्रारूप को वित्त विभाग ने यह कहते हुए मंजूरी देने से मना कर दिया था कि प्रत्येक मंडल स्तर पर क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण गठित करने से सरकारी खजाने पर बहुत बोझ बढ़ेगा। 



वित्त विभाग की आपत्ति के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने जो संशोधित प्रस्ताव तैयार किया है, उसमें प्रदेश को चार क्षेत्रों-पूर्वी, पश्चिमी व मध्य उप्र और बुंदेलखंड में बांटते हुए प्रत्येक में एक क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण गठित करने का इरादा जताया है। क्षेत्र में आने वाले जिलों के मामलों की सुनवाई संबंधित क्षेत्रीय शैक्षिक अधिकरण में होगी।

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