समय से पीछे चल रहे मॉडल स्कूल : निर्माण पूरा हो सका न ही सृजित पदों पर भर्ती
- 2010-11 में स्वीकृत स्कूल भी अब तक नहीं हो पाए पूरे
लखनऊ : शैक्षिक तौर पर पिछड़े विकासखंडों में मॉडल स्कूल खोलने की योजना सुस्त गति से चल रही है। केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर कक्षा छह से बारहवीं तक की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने वाले इन स्कूलों का न तो निर्माण पूरा हो पाया है और न ही शिक्षकों और अन्य स्टाफ के पदों पर भर्ती हो सकी है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2010-11 में राज्य के 148 पिछड़े विकासखंडों मे 148 मॉडल स्कूलों को मंजूरी दी थी। 2012-13 में 45 और विकासखंडों में मॉडल स्कूलों के निर्माण को केंद्र ने हरी झंडी दिखाई। मॉडल स्कूलों के निर्माण पर खर्च होने वाली धनराशि में केंद्र और राज्य सरकारों की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में है। मॉडल स्कूलों के निर्माण का जो शेड्यूल निर्धारित है उसके मुताबिक इन स्कूलों का निर्माण दो साल में पूरा हो जाना चाहिए। इस हिसाब से 2010-11 में स्वीकृत 148 मॉडल स्कूलों का निर्माण अब तक पूरा हो जाना चाहिए था। केंद्र सरकार ने इन 148 स्कूलों के निर्माण के लिए पहली किस्त के तौर पर 56 करोड़ रुपये की धनराशि भी 2010-11 में ही जारी कर दी थी। वहीं राज्य सरकार ने अपने हिस्से की धनराशि नवंबर 2011 में जारी की जिससे स्कूलों का निर्माण देर से शुरू हुआ।
मार्च 2013 तक केंद्र सरकार 2010-11 में स्वीकृत 148 मॉडल स्कूलों को बनाने के लिए पूरी धनराशि उपलब्ध करा चुकी है, लेकिन स्कूलों का निर्माण अभी पूरा नहीं हो पाया है। शासन ने 19 मार्च 2013 को 2010-11 में स्वीकृत हुए 148 मॉडल स्कूलों में शिक्षकों व अन्य स्टाफ के पद भी सृजित कर दिए। प्रत्येक मॉडल स्कूल के लिए प्रधानाचार्य का एक, प्रवक्ता के पांच, सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) के सात, कनिष्ठ लिपिक का एक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के चार पद सृजित किये गए हैं। अब तक इन पदों पर शिक्षक व अन्य स्टाफ की नियुक्ति भी नहीं हो सकी है। शासन ने पहले इन स्कूलों को सत्र 2014-15 से चालू करने की योजना बनायी थी, लेकिन निर्माण पूरा न होने और सृजित पदों पर नियुक्तियां न होने से ऐसा हो नहीं पाया। मौजूदा परिस्थितियों में भी अप्रैल 2015 से मॉडल स्कूलों का संचालन दूर की कौड़ी लगती है।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2010-11 में राज्य के 148 पिछड़े विकासखंडों मे 148 मॉडल स्कूलों को मंजूरी दी थी। 2012-13 में 45 और विकासखंडों में मॉडल स्कूलों के निर्माण को केंद्र ने हरी झंडी दिखाई। मॉडल स्कूलों के निर्माण पर खर्च होने वाली धनराशि में केंद्र और राज्य सरकारों की हिस्सेदारी 75:25 के अनुपात में है। मॉडल स्कूलों के निर्माण का जो शेड्यूल निर्धारित है उसके मुताबिक इन स्कूलों का निर्माण दो साल में पूरा हो जाना चाहिए। इस हिसाब से 2010-11 में स्वीकृत 148 मॉडल स्कूलों का निर्माण अब तक पूरा हो जाना चाहिए था। केंद्र सरकार ने इन 148 स्कूलों के निर्माण के लिए पहली किस्त के तौर पर 56 करोड़ रुपये की धनराशि भी 2010-11 में ही जारी कर दी थी। वहीं राज्य सरकार ने अपने हिस्से की धनराशि नवंबर 2011 में जारी की जिससे स्कूलों का निर्माण देर से शुरू हुआ।
मार्च 2013 तक केंद्र सरकार 2010-11 में स्वीकृत 148 मॉडल स्कूलों को बनाने के लिए पूरी धनराशि उपलब्ध करा चुकी है, लेकिन स्कूलों का निर्माण अभी पूरा नहीं हो पाया है। शासन ने 19 मार्च 2013 को 2010-11 में स्वीकृत हुए 148 मॉडल स्कूलों में शिक्षकों व अन्य स्टाफ के पद भी सृजित कर दिए। प्रत्येक मॉडल स्कूल के लिए प्रधानाचार्य का एक, प्रवक्ता के पांच, सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) के सात, कनिष्ठ लिपिक का एक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के चार पद सृजित किये गए हैं। अब तक इन पदों पर शिक्षक व अन्य स्टाफ की नियुक्ति भी नहीं हो सकी है। शासन ने पहले इन स्कूलों को सत्र 2014-15 से चालू करने की योजना बनायी थी, लेकिन निर्माण पूरा न होने और सृजित पदों पर नियुक्तियां न होने से ऐसा हो नहीं पाया। मौजूदा परिस्थितियों में भी अप्रैल 2015 से मॉडल स्कूलों का संचालन दूर की कौड़ी लगती है।
समय से पीछे चल रहे मॉडल स्कूल : निर्माण पूरा हो सका न ही सृजित पदों पर भर्ती
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
8:26 AM
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