आदेश के बावजूद प्रशिक्षु शिक्षकों को तैनाती नहीं, तैनाती के नियम साफ न होने से कतरा रहे बीएसए, सीनियारिटी के लिए है असली बवाल
बीटीसी शिक्षकों की काउंसलिंग आज से
प्राइमरी स्कूलों में 15 हजार बीटीसी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया मंगलवार से शुरू होगी। सभी बीएसए को निर्देश दिए गए हैं कि वे जिला स्तर पर काउंसलिंग के लिए विज्ञापन निकालें। काउंसलिंग पूरी होने के बाद उन्हें नई वरीयता क्रम के आधार पर तैनाती दी जाएगी।
प्रशिक्षु शिक्षकों को मूल तैनाती देने के लिए आदेश जारी हो गए लेकिन बीएसए इसके लिए तैयार नहीं हैं। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में बीएसए ने अभी तक तैनाती की प्रक्रिया शुरू ही नहीं की है। अभी यह भी तय नहीं है कि उन्हें उसी स्कूल में नियुक्ति दी जाएगी, जिसमें ट्रेनिंग कर रहे हैं या दूसरे स्कूलों में। तैनाती के नियम क्या होंगे, यह भी साफ नहीं है। इससे अभ्यर्थी परेशान हैं।
प्रदर्शन के दबाव में जारी हुए आदेश
प्रशिक्षु शिक्षकों की नियुक्ति के बाद उनको छह माह का प्रशिक्षण पूरा करना था। उनका प्रशिक्षण पूरा हो गया तो कहा गया कि परीक्षा होगी और जो पास होंगे, उनको ही तैनाती मिलेगी। इसमें नौ महीने बीत गए। प्रशिक्षण की अवधि के दौरान उन्हें अभी तक सिर्फ तीन महीने का ही मानदेय दिया गया है। अब न तो उन्हें मानदेय मिल रहा है और तैनाती न होने की वजह से वेतन भी नहीं मिल रहा। वे लगातार इसकी मांग कर रहे हैं। कई बार बेसिक शिक्षा निदेशालय और बेसिक शिक्षा परिषद के दफ्तर पर प्रदर्शन भी किया था। लगातार प्रशिक्षु शिक्षकों के प्रदर्शन और दबाव को देखते हुए निदेशक दिनेश बाबू शर्मा ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा को निर्देश दे दिए कि नियमानुसार जल्दी से तैनाती दे दी जाए। इस आदेश के बाद संजय सिन्हा ने सभी बीएसए को आदेश कर दिए कि वे शासनादेशों और कोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए जल्द तैनाती दे दें।
मानक तय नहीं तो कैसे दें तैनाती
अब बीएसए की मुसीबत यह है कि शासन या निदेशालय और परिषद की ओर से यह साफ नहीं किया गया है, तैनाती का वरीयता क्रम क्या होगा/ यही वजह है कि वे तैनाती प्रक्रिया शुरू करने से कतरा रहे हैं। माना जा रहा है कि प्रशिक्षु शिक्षकों के दबाव को देखते हुए यह आदेश अधिकारियों ने जारी कर दिए ताकि वे कुछ दिन के लिए शांत हो जाएं।
शिक्षामित्र भी वजह
यहां विवाद प्रशिक्षु शिक्षक बनाम शिक्षामित्र भी है। सरकार इंतजार कर रही है कि पहले शिक्षामित्रों के मामले पर केंद्र का रुख साफ हो जाए। इसकी वजह यह है कि शिक्षामित्रों के विवाद से पहले तबादलों के आदेश सरकार ने जारी किए थे। इसमें शिक्षामित्र सीनियर हो रहे थे। पहले प्रशिक्षु शिक्षकों को तैनाती दे दी गई तो वे सीनियर हो जाएंगे और शिक्षामित्र बवाल कर सकते हैं। बाद में फिर सीनियैरिटी का झगड़ा फंसेगा।
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