शिक्षा मित्रों को थोड़ी राहत, 2010 से पहले नियुक्त और लगातार सेवारत शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट, प्रक्रिया को त्रुटिहीन रखना राज्य सरकार का दायित्व




लखनऊ (डीएनएन)। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने उत्तर प्रदेश के उन अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता खत्म कर दी है जो 25 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त हैं और सेवारत हैं। एनसीटीई ने यह भी साफ किया है कि यह शिक्षक नियमावली 2001 के अधीान जाने जाएंगे। इस तिथि के बाद नियुक्ति किए गए और सेवा में बने हुए प्रशिक्षित शिक्षकों को एनसीटीई के तहत तय की गई निर्धारित टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। एनसीटीई ने यह भी कहा है कि टीईटी किसी शिक्षक के लिए न्यूनतम योग्यता का पैमाना है। ऐसे में इसे लागू किया जाना चाहिए। अप्रशिक्षिक शिक्षक अथवा शिक्षा मित्रों की प्रक्रिया को त्रुटिहीन रखना राज्य सरकार का दायित्व है। हालांकि शिक्षा मित्र संगठनों का कहना है कि इस आदेश से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

दरअसल, प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में 1.72 लाख शिक्षा मित्र कार्यरत हैं। सपा सरकार ने इन शिक्षा मित्रों को शिक्षक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया था। लेकिन एनसीटीई ने 25 अगस्त 2010 को नोटिफिकेशन जारी कर शिक्षक बनने के लिए टीईटी की अनिवार्यता लागू कर दी। जिसके बाद टीईटी से छूट की मांग को लेकर शिक्षा मित्रों ने कई आंदोलन किए। 2011 में राज्य सरकार ने स्नताक पास एक लाख 24 हजार शिक्षा मित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से ट्रेनिंग कराने की अनुमति मांगी। उसके बाद बेसिक शिक्षा नियमावली में संशोधन करते हुए खुद ही टीईटी की अनिवार्यता खत्म करते हुए शिक्षा मित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षण देकर पहले चरण में एक लाख 24 हजार शिक्षा मित्रों को प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर दिया। शेष करीब 48 हजार शिक्षा मित्रों का समायोजन होना था कि मामला कोर्ट चला गया।

12 सितंबर को कोर्ट ने नियुक्ति को बताया था अवैध :
बीते 12 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा मित्रों के समायोजन को अवैध बताते हुए नियुक्ति रद्द कर दी थी। उसमें कई बातों को आधार बनाया गया था और यह भी कहा था कि बिना टीईटी उत्तीर्ण किए उम्मीदवार को शिक्षक नियुक्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट के इस निर्णय के बाद राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों को टीईटी से छूट दिए जाने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया था। इस संबंध में मुख्य सचिव आलोक रंजन ने एक अक्टूबर को एनसीटीई को पत्र भेजा था। जिसके जवाब में एनसीटीई के सदस्य सचिव ने स्थिति स्पष्ट कर दी। एनसीटीई ने एक लाख 24 हजार अप्रशिक्षित शिक्षकों (शिक्षा मित्र) को प्रशिक्षण दिए जाने को मंजूरी दे दी है। अब राज्य सरकार को शिक्षा मित्रों के मामले में निर्णय लेना है।

शिक्षा मित्र बोले, सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे पक्ष :

एनसीटीई का पत्र मिलने के बाद अब शिक्षा मित्र संगठन सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर अपना पक्ष रखने की तैयारी में हैं। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह का कहना है कि एनसीटीई के इस निर्णय के आधार पर हम सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे।


खबर साभार :  डेली न्यूज एक्टिविस्ट

Enter Your E-MAIL for Free Updates :   
शिक्षा मित्रों को थोड़ी राहत, 2010 से पहले नियुक्त और लगातार सेवारत शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट, प्रक्रिया को त्रुटिहीन रखना राज्य सरकार का दायित्व Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 8:29 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.