बाल दिवस आज: 'नेहरू के नौनिहालों' को कब मिलेंगे अधिकार, आजादी के 68 साल बाद भी बाल मजदूरी को मजूबर हैं लाखों बच्चे




जहां पूरा देश शनिवार को पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन ‘बाल दिवस’ के रूप में मना रहा होगा, वहीं दूसरी ओर लाखों बच्चे आजादी के 68 सालों बाद भी अपने अधिकारों से महरूम रहेंगे। आज भी प्रदेश के लाखों बच्चे खेलने-कूदने और स्कूल जाने की उम्र में दो जून की रोटी के लिए बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं। इसका खुलासा राज्य सूचना आयोग में दाखिल एक रिसर्च से हुआ है। मुरादाबाद श्रम विभाग की ओर से दाखिल इस रिसर्च में अमरोहा की तीन तहसीलों के कुछ वार्डों में 5000 से ज्यादा बाल मजदूर पाए गए।

  • आरटीआई से मांगी सूचना 
मुरादाबाद के एक व्यक्ति ने आरटीआई के जरिए श्रम विभाग से बाल मजदूरों की सूचना मांगी थी। सूचना मांगी गई थी कि मुरादाबाद मंडल में कितने बाल श्रमिक हैं/ कितने बाल श्रमिक कारखानों या व्यवसायिक संस्थानों में काम करते हैं/ इन बाल श्रमिकों में कितनी लड़कियां हैं। जब इसकी जानकारी नहीं मिली, तो आवेदक ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। राज्य सूचना आयोग की सख्ती के पर श्रम विभाग ने मुरादाबाद स्थित तीर्थांकर यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क द्वारा किए गए बाल मजदूरों के रिसर्च की कॉपी आयोग में दाखिल की।
  • रिसर्च के साथ दिए सुझाव
रिसर्चर्स ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि बाल मजदूरी पर अंकुश लागने के लिए सबसे जरूरी है जनसंख्या पर नियंत्रण। इसके साथ ही शिक्षा के अधिकार के कानून को जमीन तक पहुंचाने के लिए मजबूत कदम उठाए जाएं। श्रम विभाग को ऐसा नियम बनाना चाहिए कि कारखानों और प्रतिष्ठानों में काम करने वाले मजदूरों को एक समान पैसा दिया जाए। चाहे वह बच्चा हो या फिर महिला। शोध में पाया गया कि बच्चों को कम पैसा देने के चक्कर में कारखानों में मजदूरी दी जाती है। जब एक समान पैसा देना होगा, तो कारखाना संचालक बच्चों को काम पर नहीं लगाएंगे।  

  •  चिंताजनक हैं रिसर्च के फैक्ट्स 
राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने बताया कि इस रिसर्च के फैक्ट चौंकाने वाले हैं। यह शोध मुरादाबाद मंडल के अमरोहा जिले के 48 वार्डों का है। यह वार्ड अमरोहा जिले की तीन तहसीलों के हैं। 2014 में हुए इस रिसर्च में इन 48 वार्डों में 5514 बाल मजदूर पाए गए। इनमें 3389 बाल मजदूर कारखानों और व्यवसायिक स्थलों पर मजदूरी करते मिले। बाल मजदूरों में 1106 लड़कियां भी मजदूरी करती पाई गईं थीं। शोध में कहा गया है कि सरकार, गैर सरकारी संस्थाओं की तमाम कोशिशों और मौजूदा श्रम कानून के बावजूद भी बाल मजदूरी पर अंकुश लागने में हमारी सरकारें विफल साबित हुई हैं। शोध में बाल श्रम का मुख्य कारण सामाजिक स्थिति के साथ गरीबी और साक्षरता न होना माना गया। कहा गया है कि बाल मजदूरों में 568 बच्चे ऐसे हैं, जो जूनियर हाईस्कूल तक पढ़े हैं, लेकिन गरीबी के कारण उन्हें बीच में ही स्कूल छोड़ना पड़ा। 

 यह रिसर्च इस बात की पुष्टि करने के लिए काफी है कि विश्व में सबसे ज्यादा बाल श्रमिक भारत में हैं। रिपोर्ट चिंताजनक है। हमने मुरादाबाद मंडल के उपश्रमायुक्त को इस रिपोर्ट के आधार पर फौरन ठोस कार्रवाई कर तीस दिनों के अंदर एक्शन रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही जल्द इस रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री और श्रम मंत्री को पत्र लिखूंगा।
- हाफिज उस्मान, राज्य सूचना आयुक्त


खबर साभार : नवभारत

Enter Your E-MAIL for Free Updates :   
बाल दिवस आज: 'नेहरू के नौनिहालों' को कब मिलेंगे अधिकार, आजादी के 68 साल बाद भी बाल मजदूरी को मजूबर हैं लाखों बच्चे Reviewed by Brijesh Shrivastava on 8:30 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.