बेसिक शिक्षा की योजनाओं को लेकर सरकार सुस्त, बजट में मोटी रकम आवंटित, लेकिन खर्च धेला भर भी नही, फर्नीचर, बैग और एमडीएम के बर्तन का वितरण भी लटका
लखनऊ : शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू कर उनके लिए बजट और अनुपूरक बजट में मोटी रकम का इंतजाम करने वाली अखिलेश सरकार इस धनराशि को खर्च नहीं कर पा रही है। बजट के आयोजनागत मद में शिक्षा से जुड़ी फ्लैगशिप परियोजनाओं के लिए आवंटित रकम के खर्च को यदि पैमाना माना जाए, तो ज्यादातर योजनाओं पर बर्फ जमी है। चालू वित्तीय वर्ष की आधा से ज्यादा अवधि बीतने के बाद भी कई परियोजनाएं तो शुरू नहीं हो पायी हैं।
परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास, खासतौर पर बच्चों की खातिर फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए बजट में 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। फर्नीचर खरीदने का तौर-तरीका तय न हो पाने के कारण इस धनराशि से एक धेला भी नहीं खर्च हो सका है।
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को मुफ्त में स्कूल बैग देने के लिए सरकार ने 17 अगस्त को विधानमंडल में पेश किये गए अनुपूरक बजट में 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था की थी। उसके तीन महीने बाद भी स्कूल बैग बच्चों की पहुंच से दूर हैं। अभी स्कूल बैग की आपूर्ति के तौर-तरीके पर मंथन हो रहा है।
अनुपूरक बजट में ही सरकार ने परिषदीय स्कूलों में संचालित मिड-डे मील योजना के तहत प्रत्येक छात्र के लिए स्टेनलेस स्टील की एक थाली, गिलास व चम्मच खरीदने के लिए 50 करोड़ आवंटित किए थे। बर्तन खरीदने के लिए अभी कागजी घोड़े दौड़ाये जा रहे हैं।
अभिनव विद्यालयों की स्थापना के लिए भी बजट में 6.9 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है, लेकिन अब तक यह धनराशि जस की तस पड़ी है।
सरकार ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं उत्तीर्ण करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप देने के लिए बजट में 100 करोड़ रुपये का इंतजाम किया था। चालू वित्तीय वर्ष के सात महीने से ज्यादा बीतने के बाद भी लैपटॉप बांटना तो दूर, अभी तक वितरण के लिए जिलावार लक्ष्य नहीं तय हो पाए हैं।
कन्या विद्या धन की ओर वापसी करते हुए सरकार ने इस साल के बजट में उसे मेधावी छात्रओं के लिए संशोधित स्वरूप में लागू करने का एलान किया था। इसके लिए बजट में 300 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया। कन्या विद्या धन बांटने के लिए अक्टूबर के अंत तक 172.8 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की जा चुकी है, लेकिन खर्च हुए हैं सिर्फ 18 लाख रुपये।
सरकार ने बजट में इस साल राजकीय इंटर कॉलेजों में ‘क्लीन स्कूल, ग्रीन स्कूल योजना’ शुरू करने की मंशा जतायी थी। बजट में इसके लिए 50 करोड़ रुपये का बंदोबस्त किया गया था लेकिन योजना पर अब तक अमल शुरू नहीं हो पाया है।
माध्यमिक विद्यालयों में ई-बुक्स/ ई-लाइब्रेरी की स्थापना के लिए बजट में 6.31 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी जिसमें से अक्टूबर तक सिर्फ 22.33 फीसद धनराशि खर्च हो सकी है।
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