अमान्य विद्यालय संचालित मिले तो बीईओ होंगे जिम्मेदार, एक लाख रुपये तक का जुर्माना जायेगा लगाया

अमान्य विद्यालय संचालित मिले तो बीईओ होंगे जिम्मेदार, एक लाख रुपये तक का जुर्माना जायेगा लगाया 

लखनऊः कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय के बाद अन्य परिषदीय विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने - पर जोर है। इसके लिए प्रदेश में बिना मान्यता के संचालित निजी विद्यालयों पर शिकंजा भी कसा जा रहा है। अब किसी जिले में बगैर मान्यता वाले विद्यालय संचालित मिलेंगे तो संबंधित ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) सीधे जिम्मेदार माने जाएंगे।

निश्शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत ऐसे अमान्य विद्यालयों पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त अगर ये विद्यालय निर्देशों का लगातार उल्लंघन करते पाए जाते हैं, तो हर दिन के हिसाब से 10 हजार रुपये तक का जुर्माना भी वसूला जा सकेगा।

बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने कुछ दिन पहले सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि विशेष अभियान चलाकर अमान्य विद्यालयों की पहचान करें और उनके विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही, ऐसे विद्यालयों की सूची 15 जुलाई तक निदेशालय को भेजी जाए। जुलाई के बाद किसी जिले में अमान्य विद्यालय संचालित मिले तो उसके लिए संबंधित ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी जिम्मेदार माने जाएंगे। 

उधर, शिक्षक संगठनों का आरोप है कि इन अमान्य विद्यालयों को अधिकारियों की मौन स्वीकृति प्राप्त है, जिसके चलते ये वर्षों से संचालित हो रहे हैं। इनमें पढ़ने वाले बच्चों का यू-डायस नंबर न होने के कारण उनका नामांकन बाद में सरकारी विद्यालयों में नहीं हो पाता। यही वजह है कि परिषदीय विद्यालयों में नामांकन घट रहा है, जबकि अमान्य निजी विद्यालयों की संख्या बढ़ रही है। लगभग हर जिले में कुछ विद्यालय ऐसे हैं जो न तो मान्यता प्राप्त हैं और न ही यू-डायस पोर्टल पर पंजीकृत हैं। ऐसे विद्यालय शिक्षा के अधिकार अधिनियम का खुला उल्लंघन कर रहे हैं।




बिना मान्यता वाले स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही के लिए शुरू होगा बड़ा अभियान, सभी जिलों में खंड शिक्षा अधिकारियों को जांच के निर्देश

बिना मान्यता मिली शाखा तो बीईओ होंगे जिम्मेदार, एक लाख तक का जुर्माना तय

27 जून 2025
लखनऊ। राजधानी समेत पूरे मंडल में बिना मान्यता संचालित निजी स्कूलों के खिलाफ जल्द ही कड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (एडी बेसिक) ने लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई, उन्नाव और रायबरेली के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों की पहचान कर जांच कराएं और रिपोर्ट सौंपें।

बीएसए स्तर से खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को जिम्मेदारी दी गई है कि वे ब्लॉकवार ऐसे स्कूलों का सत्यापन करें। यदि जांच में कोई विद्यालय बिना मान्यता संचालित होता पाया गया या एक मान्यता प्राप्त स्कूल के नाम पर दूसरी बिना अनुमति शाखा चलती मिली, तो खंड शिक्षा अधिकारी को ही जिम्मेदार माना जाएगा। बेसिक शिक्षा परिषद, सीबीएसई और सीआईएससीई से संबद्ध सभी स्कूलों पर यह निर्देश समान रूप से लागू होंगे।


बिना मान्यता वाले स्कूलों को बंद कराया जाएगा। एक मान्यता पर जिन विद्यालयों की दूसरी शाखाएं चलती पाई जाएंगी उन पर जुर्माना लगाते हुए मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। इस संबंध में बीएसए को निर्देश दिए गए हैं। –श्याम किशोर तिवारी, एडी बेसिक, लखनऊ मंडल


दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी: बीएसए
रामप्रवेश ने सभी बीईओ को निर्देशित किया है कि बिना मान्यता चल रहे स्कूलों की रिपोर्ट जल्द सौंपें। यदि ऐसे स्कूल पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

जुर्माना और सजा : बिना मान्यता पाए जाने पर स्कूल प्रबंधन पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि इसके बावजूद विद्यालय संचालित होता है, तो 10,000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना वसूला जाएगा।


🔴 इन बिंदुओं पर होगी जांच

विद्यालय की मान्यता कब और किस संस्था से हुई

यदि शाखा है, तो उसकी पृथक मान्यता है या नहीं

मान्यता और संस्था (सोसाइटी) का नवीनीकरण

अग्निशमन विभाग की एनओसी की वैधता

बच्चों की सुरक्षा मानकों की स्थिति

स्कूल भवन की संरचनात्मक स्थिति




जिलों में चल रहे डमी स्कूल खोजेंगे बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग

बेसिक व माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों की संयुक्त टीमें जिलों में गैर मान्यता और डमी स्कूलों के खिलाफ चलाएंगी विशेष अभियान
 

लखनऊ। प्रदेश में बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात सही करने की कवायद के बीच अब डमी स्कूलों के खिलाफ भी अभियान चलाया जाएगा। इसमें ऐसे विद्यालयों को चिह्नित किया जाएगा, जो सीधे प्रवेश तो नहीं लेते हैं लेकिन दूसरे विद्यालयों के नामांकन वाले बच्चों को पढ़ाते हैं। क्योंकि इसका असर सरकारी स्कूलों पर पड़ रहा है।

बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाना बड़ी चुनौती है। तमाम कवायद के बाद भी इसमें अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा। इसे देखते हुए अब शासन ने बिना मान्यता वाले स्कूलों पर सख्ती करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बेसिक व माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों की संयुक्त टीमें जिलों में विशेष अभियान चलाएंगी। 

माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्ता की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा जानकारी दी गई है कि डमी स्कूल के छात्रों का नामांकन तो किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में होता है। मगर वास्तव में वे ऐसे संस्थानों में पढ़ाई करते हैं, जिनकी शैक्षिक मान्यता नहीं होती है। ऐसे विद्यालय जिनमें कक्षा आठ तक की मान्यता है, वे भी अवैध रूप से कक्षा नौ व 12 तक की कक्षाएं चला रहे हैं। 

उन्होंने कहा है कि इन विद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों का पंजीकरण नियम विरुद्ध किसी अन्य मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया जाता है। ऐसे में शासन ने अवैध व डमी स्कूलों की जांच के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक की अध्यक्षता में बेसिक शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी की तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। जो जिलों में जांच कर हर महीने मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक व सहायक मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को रिपोर्ट देंगे। इसके आधार पर कार्रवाई होगी। 


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