बीएड डिग्रीधारक प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी से तो संकट टला, प्रशिक्षण का पेंच अब भी फंसा, 06 महीने का प्रशिक्षण तीन साल बाद भी नहीं कराया जा सका
बीएड डिग्रीधारक प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी से तो संकट टला, प्रशिक्षण का पेंच अब भी फंसा, 06 महीने का प्रशिक्षण तीन साल बाद भी नहीं कराया जा सका
■ चयनित लगभग 35 हजार बीएड डिग्रीधारियों का मामला
■ सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 35 हजार शिक्षकों की नौकरी बची
■ एनसीटीई ने दो साल के अंदर प्रशिक्षण कराने को कहा था
प्रयागराज । परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती के तहत चयनित तकरीबन 35 हजार बीएड डिग्रीधारियों की नौकरी से संकट तो टल गया है लेकिन प्रशिक्षण का पेच अभी भी फंसा हुआ है।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 28 जून 2018 की अधिसूचना के आधार पर बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षक भर्ती में शामिल किया गया था। उसी अधिसूचना में यह प्रावधान था कि चयन के दो साल के अंदर बीएड डिग्रीधारियों को छह महीने का ब्रिज कोर्स अनिवार्य रूप से कराया जाएगा।
ऐसा इसलिए किया गया ताकि बीएड और डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) के प्रशिक्षण में अंतर को दूर करते हुए बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक कक्षा के बच्चों की क्षमताओं और अपेक्षाओं से अवगत कराया जा सके। उसके बाद दिसंबर 2018 में शुरू हुई 69000 शिक्षक भर्ती में बीएड को मान्य कर लिया गया और हजारों अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया। 69000 भर्ती के पहले बैच में - 31277 और दूसरे बैच में 36590 शिक्षकों को क्रमशः अक्तूबर और दिसंबर 2020 में नियुक्ति मिली थी।
एनसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार दिसंबर 2022 तक बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों का छह महीने का ब्रिज कोर्स पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन समयसीमा के सवा साल बाद भी प्रशिक्षण को लेकर कोई हलचल नहीं है।
यह स्थिति तब है जबकि बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती अमान्य करने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को मुहर लगा दी थी। उस आदेश को स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 11 अगस्त 2023 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों की नौकरी पर खतरा नहीं है।
लेकिन यह सवाल आज भी बना हुआ है कि छह महीने का अनिवार्य प्रशिक्षण कराया जाएगा या नहीं। उल्लेखनीय है कि प्रशिक्षण नहीं कराये जाने से बीएड डिग्रीधारी इन शिक्षकों के सामने संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
सुप्रीम फैसले से 35 हजार शिक्षकों को मिली संजीवनी, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीएड डिग्रीधारी परिषदीय शिक्षकों को मिली राहत
प्रयागराज : सूबे के परिषदीय स्कूलों में कार्यरत तकरीबन 35 हजार शिक्षकों की नौकरी से खतरा टल गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीएड डिग्रीधारी इन शिक्षकों ने राहत की सांस ली है। सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक पद पर भर्ती के लिए बीएड डिग्रीधारकों को अयोग्य मानने के 11 अगस्त 2023 के फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा है कि फैसले से पहले हुई भर्ती पर इसका असर नहीं होगा।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने वर्ष 2018 में अधिसूचना जारी कर प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए बीएड को मान्य किया था। इस अधिसूचना के जारी होने के बाद प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में रिक्त सहायक अध्यापकों के 69000 पदों पर भर्ती कराई गई थी, जिसमें बड़ी संख्या में बीएड डिग्रीधारकों ने भी आवेदन किए थे। बहुत सटीक आंकड़ा तो नहीं है पर लगभग 35 हजार बीएड डिग्रीधारियों का चयन इस भर्ती में हुआ, जो प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्राइमरी स्कूलों में कार्यरत हैं।
11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही इनकी नींद उड़ी हुई थी, क्योंकि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई केंद्र सरकार और एनसीटीई की अपील को खारिज करते हुए कहा था कि प्राथमिक शिक्षक यानी पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए बीएड डिग्रीधारक योग्य नहीं हैं। इस कारण इन 35 हजार शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा था, जो सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण के बाद समाप्त हो गया है।
मध्य प्रदेश सरकार की अपील पर 11 अगस्त 2023 को दिए अपने फैसले पर स्थिति स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फैसले से पहले हुई भर्तियों पर इसका असर नहीं होगा। यूपी में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती फैसले से पहले हुई थी।
बीएड डिग्रीधारक प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी से तो संकट टला, प्रशिक्षण का पेंच अब भी फंसा, 06 महीने का प्रशिक्षण तीन साल बाद भी नहीं कराया जा सका
Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2
on
7:18 AM
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