केंद्र दे प्राइमरी शिक्षकों के रिक्त पदों के आंकड़े, बीएड को प्राइमरी शिक्षक पद के अयोग्य मानने में संशोधन के लिए 08 अप्रैल को सुनवाई

केंद्र दे प्राइमरी शिक्षकों के रिक्त पदों के आंकड़े

🔴 प्राथमिक शिक्षक भर्ती मामला

• सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मुख्य मुद्दा- अगस्त, 2023 के फैसले को पूर्व प्रभाव से लागू मानें या बाद से 

• बीएड को प्राइमरी शिक्षक पद के अयोग्य मानने में संशोधन के लिए सोमवार को सुनवाई



नई दिल्ली: प्राइमरी (कक्षा एक से पांच तक) शिक्षक पद पर भर्ती के लिए बीएड डिग्री धारकों को अयोग्य मानने के फैसले में संशोधन की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। कोर्ट के समक्ष विचार का मुख्य मुद्दा यह है कि पिछले वर्ष 11 अगस्त को दिया गया फैसला पूर्व प्रभाव से लागू माना जाएगा या बाद से। 


मध्य प्रदेश सरकार और अन्य कई पक्षकारों ने अर्जी दाखिल कर यह भी मुद्दा उठाया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीएड डिग्री धारक प्राइमरी शिक्षकों का क्या होगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद देश भर में बीएड डिग्री धारक प्राइमरी शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है और उनकी नौकरी जाने की नौबत है।


 बुधवार को कोर्ट ने मामले की सुनवाई टालते हुए केंद्र सरकार से कहा कि वह सभी राज्यों के प्राथमिक शिक्षकों के कुल खाली पदों और ब्रिज कोर्स के आंकड़े कोर्ट में पेश करे। इस बीच उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने अर्जी दाखिल कर शिक्षामित्रों को भी नियमित किए जाने की मांग की है।


 सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को देवेश शर्मा मामले में दिए फैसले में कहा था कि प्राथमिक शिक्षक पद पर भर्ती के लिए बीएड डिग्री धारक योग्य नहीं हैं। कोर्ट ने माना था कि बीटीसी और डीएलईडी ही इसके योग्य हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी व्यवस्था देने वाले राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया था और हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाएं खारिज कर दी थीं। 


सुप्रीम कोर्ट के फैसले का देशव्यापी असर हुआ है और बीएड डिग्री धारक प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी पर संकट आ गया है। मध्य प्रदेश सरकार ने और बहुत से प्रभावित लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आदेश में संशोधन करने की गुहार लगाई है।


इस तरह की अर्जियों पर सुनवाई करने की जरूरत ही नहीं

बुधवार को जस्टिस अनिरुद्ध बोस और सुधांशु धूलिया की पीठ ने सुनवाई की। कोर्ट को बताया गया कि यहां मुख्य मुद्दा यह है कि सुप्रीम कोर्ट का 11 अगस्त, 2023 का फैसला पूर्व प्रभाव से लागू माना जाएगा या बाद से। तभी डीएलईडी धारकों की ओर से पेश वकील गोपाल शंकरनारायण ने मांग का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आ चुका है। कोर्ट को इस तरह की अर्जियों पर सुनवाई करने की जरूरत ही नहीं है। 


पटना, छत्तीसगढ और उत्तराखंड हाई कोर्ट कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला पूर्व प्रभाव से लागू माना जाएगा। बंगाल, बिहार और राजस्थान के बीएड डिग्री धारकों की ओर से पेश वकील पीएस पटवालिया ने मामले में सुनवाई की मांग की। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन की ओर से पेश वकील अपराजिता सिंह और गौरव यादव ने भी कहा कि कोर्ट उनके मामले पर भी विचार करे। पीठ ने सुनवाई सोमवार तक टालते हुए केंद्र से कहा कि वह सभी राज्यों में प्राथमिक शिक्षकों के कुल रिक्त पदों और ब्रिज कोर्स के आंकड़े पेश करे।

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